मिर्जापुरः सिटी ब्लॉक के छोटे से गांव धनी पट्टी की रहने वाली हैं प्रज्ञा देवी. जो इन दिनों महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई हैं. प्रज्ञा ने खुद को साबित करने और अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए पुरुषों के वर्चस्व वाले उस पेशे को चुना है, जिसमें महिलाओं की मौजूदगी न के बराबर है. वह जिले की पहली महिला-ई-रिक्शा चालक हैं.
पुरुषों के वर्चस्व को चुनौती देती प्रज्ञा देवी महिलाओं के लिए आदर्श बन गई हैं. प्रज्ञा घर का कामकाज, बच्चों का लालन-पालन करने के बाद, सड़कों पर ई-रिक्शा लेकर निकल जाती हैं. उन्हें ऐसा करते देख हर कोई हैरान रह जाता है.
दरअसल, गरीब परिवार की प्रज्ञा की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. उनके पांच बच्चे हैं. गरीबी के कारण जब परिवार चलाने और बच्चों की परवरिश में दिक्कत आने लगी, तो प्रज्ञा ने खुद घर से बाहर निकल कर कुछ काम करने की ठानी. जिसके बाद प्रज्ञा ने एक स्वयंसेवी संस्था की मदद से ई-रिक्शा खरीदा. पहली बार सड़क पर जब प्रज्ञा ई-रिक्शा लेकर निकलीं, तो लोगों ने उनका उपहास उड़ाया. लेकिन इससे वो विचलित नहीं हुईं.
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'जिले की महिलाओं के लिए आदर्श हैं प्रज्ञा देवी'
प्रज्ञा देवी गांव से शहर के कचहरी, रोडवेज और घंटाघर तक के इलाके की सड़कों पर सवारियों को उनके मंजिल तक पहुंचाती हैं. प्रज्ञा का कहना है कि वह दिन भर में 300 से 500 कमा लेती हैं. उनके रिक्शे पर बैठने के लिए लोग इंतजार करते रहते हैं. वहीं दूसरी महिलाओं का कहना है, कि प्रज्ञा जिले की महिलाओं के लिए एक मिसाल है.
प्रज्ञा देवी ने हमे बताया, कि करीब 2 साल से वो ई-रिक्शा चला रही हैं. उनका कहना था कि उनकी मजबूरी है काम करना. उनके पति पलंबर का काम करते हैं. जो प्रतिदिन नहीं मिलता है. मजबूरी में उन्होंने यह रास्ता चुना. अब उन्हें अच्छा लग रहा है. इससे उनके परिवार का लालन-पालन और बच्चों की पढ़ाई लिखाई अच्छे से हो रही है.