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मिर्जापुर: सोलर चरखा बदलेगा ग्रामीण महिलाओं की तकदीर - solar charkha will-improve women fate

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सोलर चरखा वितरण किया जाएगा. इससे जहां महिलाओं को घर में रोजगार मिलेगा, वहीं रोजगार मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी.

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सोलर चरखा सुधारेगा महिलाओं की आर्थिक स्थित.
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Published : Aug 14, 2020, 11:27 AM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST

मिर्जापुर: मिर्जापुर में स्वयं सहायता समूह की महिलाएं बहुत जल्द सोलर चरखा पर सूत कातती नजर आएंगी. गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए क्षेत्रीय ग्रामोद्योग एवं खादी संस्था ने जिले की महिलाओं को चयनित कर लिया है. महिलाओं को ट्रेनिंग देकर सोलर चरखा वितरण किया जाएगा. इससे जहां महिलाओं को घर में रोजगार मिलेगा. वहीं रोजगार मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी.

सोलर चरखा सुधारेगा महिलाओं की आर्थिक स्थित.
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) की ओर से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक बेहतर पहल की जा रही है. जिले की स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को सोलर चरखे उपलब्ध कराए जाएंगे. इसके लिए क्षेत्रीय ग्रामोद्योग अधिकारी, जिला ग्रामोद्योग अधिकारी खादी और डीसी एनआरएलएम ने 16 महिला लाभार्थियों को चयनित किया है. इन्हें पहले एनआरएलएम ट्रेनिंग दिलाएगा और ट्रेनिंग पूरी होने के बाद सोलर चरखा दिया जाएगा.

सौर ऊर्जा से चलने वाले सोलर चरखा को चलाना और उनका रखरखाव बहुत आसान है. कुल 25 लाभार्थियों को सोलर चरखा जिले में दिया जाना है. एक सोलर चरखे की कीमत 26 हजार रुपये है. इस सोलर चरखा से महिलाएं घर में सूत कातकर रोजगार कमा सकेंगी. वहीं परिवार चलाने के लिए एक आर्थिक मजबूती भी मिल जाएगी. इसके अलावा प्रवासी मजदूरों को विशेष तौर पर जोड़ने की योजना तैयार की जा रही है.

स्वयं सहायता से जुड़ी महिलाएं पहले से ही कई उत्पाद तैयार कर बाजार में बेच रही हैं. कोरोना काल में मास्क के साथ सरकारी स्कूल के बच्चों की ड्रेसें बनाई जा रही हैं. जिले में 8,000 स्वयं सहायता समूह की महिलाएं सक्रिय हैं. एक समूह में 12 से 14 महिलाएं होती हैं.

मिर्जापुर: मिर्जापुर में स्वयं सहायता समूह की महिलाएं बहुत जल्द सोलर चरखा पर सूत कातती नजर आएंगी. गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए क्षेत्रीय ग्रामोद्योग एवं खादी संस्था ने जिले की महिलाओं को चयनित कर लिया है. महिलाओं को ट्रेनिंग देकर सोलर चरखा वितरण किया जाएगा. इससे जहां महिलाओं को घर में रोजगार मिलेगा. वहीं रोजगार मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी.

सोलर चरखा सुधारेगा महिलाओं की आर्थिक स्थित.
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) की ओर से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक बेहतर पहल की जा रही है. जिले की स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को सोलर चरखे उपलब्ध कराए जाएंगे. इसके लिए क्षेत्रीय ग्रामोद्योग अधिकारी, जिला ग्रामोद्योग अधिकारी खादी और डीसी एनआरएलएम ने 16 महिला लाभार्थियों को चयनित किया है. इन्हें पहले एनआरएलएम ट्रेनिंग दिलाएगा और ट्रेनिंग पूरी होने के बाद सोलर चरखा दिया जाएगा.

सौर ऊर्जा से चलने वाले सोलर चरखा को चलाना और उनका रखरखाव बहुत आसान है. कुल 25 लाभार्थियों को सोलर चरखा जिले में दिया जाना है. एक सोलर चरखे की कीमत 26 हजार रुपये है. इस सोलर चरखा से महिलाएं घर में सूत कातकर रोजगार कमा सकेंगी. वहीं परिवार चलाने के लिए एक आर्थिक मजबूती भी मिल जाएगी. इसके अलावा प्रवासी मजदूरों को विशेष तौर पर जोड़ने की योजना तैयार की जा रही है.

स्वयं सहायता से जुड़ी महिलाएं पहले से ही कई उत्पाद तैयार कर बाजार में बेच रही हैं. कोरोना काल में मास्क के साथ सरकारी स्कूल के बच्चों की ड्रेसें बनाई जा रही हैं. जिले में 8,000 स्वयं सहायता समूह की महिलाएं सक्रिय हैं. एक समूह में 12 से 14 महिलाएं होती हैं.

Last Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST
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