मिर्जापुर: जिले में चले मदरसों की जांच एसआईटी ने शुरू कर दी है, जिससे फर्जी मदरसा संचालकों में हड़कंप मचा हुआ है. आरटीआई के तहत खुलासा हुआ है कि मिर्जापुर जिले में एक दर्जन से ज्यादा मदरसे सिर्फ कागजों पर चल रहे हैं. जमीन पर न तो इनके भवन है ना ही कोई समिति. मदरसों के वित्तीय अनिमितताओं और गड़बड़ियों के मामले को लेकर विशेष जांच दल जिले में संचालित हर मदरसे का भौतिक निरीक्षण करने जा रही है, जबकि यह सभी मदरसे यूपी मदरसा पोर्टल पर दर्ज हैं. सरकार की ओर से सहायता भी दी जा रही है. करोड़ों रुपये का घोटाला बताया जा रहा है.
मिर्जापुर में फर्जी मदरसों की खुली पोल आरटीआई के तहत फर्जी मदरसों के सिंडिकेट का हुआ खुलासाजनपद में चल रहे मदरसों का आरटीआई के तहत बड़े सिंडिकेट का खुलासा हुआ है. अल्पसंख्यक विभाग के इस खेल में जिले के कुल 14 मदरसे फर्जी मिले हैं. फर्जी मदरसों की जांच एसआईटी ने शुरू कर दी है, जिससे फर्जी संचालकों में हड़कंप मचा हुआ है. बिना भौतिक सत्यापन किए ही कागजों पर मदरसों का खेल चल रहा था. फर्जी मदरसों को कागज पर चलाकर लाखों रुपये का बंदरबांट विभाग की मिलीभगत और फर्जी संचालकों के बीच होता रहा. इसके लिए आरटीआई कार्यकर्ता इरशाद अली द्वारा इस पूरे मामले की जांच की मांग स्थानीय स्तर से लेकर मुख्यमंत्री और राज्यपाल तक किया जाता रहा, जिसके बाद फर्जी पाए गए 14 मदरसों की जांच एसआईटी द्वारा की जाएगी .इस जांच से फर्जी संचालकों में एक बार फिर हड़कंप मचा हुआ है.
जनपद में संचालित सभी मदरसे एसआईटी के रडार पर
आरटीआई के तहत फर्जी मदरसों का खुलासा होने के बाद जिले के सभी मदरसे एसआईटी के रडार पर हैं. आरटीआई के तहत जनपद में 14 मदरसे फर्जी पाए गए हैं, बिना भौतिक सत्यापन किए ही इन्हें कागजों पर चलाया जा रहा था. इन मदरसों को लाखों रुपये भुगतान किया गया है, करोड़ों रुपये का घोटाला हुआ है. इसको देखते हुए अल्पसंख्यक अधिकारी निवर्तमान विनोद जयसवाल ने बीस मदरसों की जांच के लिए भेजा था. अब बीस की जगह जनपद के सभी 143 मदरसों की जांच एसआईटी करेगी.
बिना मानक मिले मदरसे
मदरसोंकी एसआईटी जांच को लेकर मदरसा संचालकों में हड़कंप मचा हुआ है. जब ईटीवी भारत की टीम ने इन संचालकों से संपर्क करना चाहा और मदरसों को देखना चाहा तो एक अलग तस्वीर निकल कर आई है. बीस मदरसों की जांच के लिए निवर्तमान अधिकारी ने लिखा था. इनमें 14 मदरसें आरटीआई के तहत फर्जी पाए गए हैं, उनमें जमाते निशा और जहानिया निस्वा जसोवर मदरसे की पड़ताल की गई तो यहां पर मदरसे तो पाए गए, लेकिन वे मानक के अनुसार नहीं थे. जर्जर बिल्डिंग और टीन सेट में चलाए जा रहे मदरसे से यह लगता है कि मदरसे सुचारू रूप से नहीं चलाए जा रहे हैं. केवल कोटा पूर्ति के लिए और धन गबन करने के लिए यह कार्य किया जा रहा था.
जांच के रडार में ये मदरसे
जिला मुख्यालय से पांच किलोमीटर दूर चलने वाले मदरसा जमाते निशा भी एसआईटी जांच के दायरे में है. यहां पढ़ाने वाले शिक्षक का कहना है कि वर्ष 2010 में तत्कालीन अल्पसंख्यक अधिकारी विनोद जायसवाल द्वारा उनको मान्यता देते हुए सारे मद और वेतन को निर्गत किया गया था, लेकिन जब से जांच की बात चर्चा में आई है उसके बाद से ही उन लोगों का वेतन नहीं दिया जा रहा है. जिस अधिकारी द्वारा मान्यता दिया गया बाद में उसी अधिकारी द्वारा मदरसे की जांच के लिए लिखा गया है.
मदरसा शिक्षकों को नहीं मिला वेतन
मदरसे में पढ़ा रहे अध्यापकों ने बताया कि कोरोना काल की वजह से मदरसा बंद चल रहा है. यह मदरसा कई सालों से चलाए जा रहे हैं. विभाग के द्वारा जांच की जा रही है. हम लोगों की 2017 के बाद वेतन नहीं आ रहा है. जमाते निशा मदरसा के अध्यापक शाहिद अली ने बताया कि मदरसा कई सालों से चल रहा है पुराने अल्पसंख्यक अधिकारी ने रजिस्टर में चेक करके दो बार सैलरी भी जारी कराया है. इसके बाद क्या हुआ यह नहीं बता सकते हैं, अब जांच की बात कही जा रही है.
जहानिया निस्वा मदरसे के अध्यापक खुद मान रहे हैं कि मानक के अनुसार नहीं है. इसी को लेकर जांच की जा रही है और हमारे यहां बच्चे आते हैं. 2017 तक सैलरी आई है. इसके बाद अब नहीं आ रही है. जनवरी में दोबारा फिर से सैलरी आ गई है. मदरसे के पास के अभिभावक भी बता रहे हैं कि मदरसा चलता है. हमारे बच्चे पढ़ने जाते हैं, जब से बच्चे पढ़ रहे हैं केवल एक बार ही स्कॉलरशिप मिल पाई है.
अल्पसंख्यक विभाग के प्रभारी अधिकारी कुलदीप मिश्रा ने बताया कि जिले के सभी 143 मदरसों की जांच एसआईटी कर रही है, जिसमें 20 मदरसे निवर्तमान अल्पसंख्यक अधिकारी ने जांच के लिए लिखा था वह भी मदरसे से हैं. अभी जनपद में सभी मदरसे संचालित हैं. अल्पसंख्यक विभाग से जो भी एसआईटी द्वारा मांगा जाएगा, उसे पूरा सहयोग किया जाएगा.