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कंतित शरीफ बाबा की दरगाह पर ऐसे पूरी होती हैं मन्नतें

यूपी के मिर्जापुर वासियों की मान्यता है कि जो अजमेर के ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह तक नहीं पहुंच पाते हैं, अगर वह कंतित शरीफ बाबा की दरगाह पर आकर मन्नतें मांगते हैं, तो उनकी दुआएं पूरी होती हैं. देखिए यह स्पेशल रिपोर्ट.

कंतित शरीफ बाबा की दरगाह
कंतित शरीफ बाबा की दरगाह
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Published : Feb 25, 2021, 12:50 AM IST

मिर्जापुर: विंध्याचल में स्थित मां विंध्यवासिनी शक्तिपीठ के पास कंतित शरीफ में हजरत ख्वाजा इस्माइल की दरगाह गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल है. कंतित शरीफ का सालाना उर्स बृहस्पतिवार भोर में हिंदू परिवार की ओर से पहली चादर चढ़ाने के बाद शुरू हो गया है. मान्यता है कि जो लोग अजमेर के ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह तक नहीं पहुंच पाते हैं वह कंतित शरीफ बाबा की दरगाह में मन्नत मांगते हैं तो उन्हें अजमेर शरीफ वाले बाबा की दुआ प्राप्त होती है. तीन दिवसीय यह उर्स मेला 700 वर्षों से लगता चला रहा है. मेले में लाखों लोग माथा टेकने हर दिन पहुंचते हैं.

स्पेशल रिपोर्ट.
दरगाह गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल है
आस्था का केंद्र मां विंध्यवासिनी मन्दिर के चंद कदम की दूरी पर स्थित कंतित शरीफ नाम से प्रसिद्ध हजरत ख्वाजा इस्माइल चिश्ती की दरगाह देश भर में विख्यात है. हिंदुओं की जितनी आस्था मां विंध्यवासिनी शक्तिपीठ के लिए आते हैं, उतनी ही मान्यता कंतित शरीफ की दरगाह को भी प्राप्त है. तीन दिवसीय हजरत ख्वाजा इस्माइल चिश्ती की दरगाह पर लगने वाला प्रसिद्ध उर्स मेला सामाजिक सद्भाव की मिसाल पेश करता 700 वर्षों से चला रहा है. इस उर्स मेले में देश भर से मुस्लिम के साथ अन्य धर्मों के लोग भी जियारत करने आते हैं, मुरादे मांगते हैं और उनकी मुरादें पूरी होने पर चादर चढ़ाकर सिरानी बांटते हैं.
कंतित शरीफ बाबा की दरगाह
कंतित शरीफ बाबा की दरगाह
मेले की है सबसे बड़ी खासियत
उर्स मेला शुरू होने से पहले बाबा की मजार पर पहली चादर हिंदू परिवार की ओर से चढ़ाया जाता है.कई दशकों से चादर चढ़ाने का काम शहर के कसरहट्टी मोहल्ले के रहने वाले हिंदू कसेरा परिवार करता चला रहा है. सैकड़ों साल पहले जवाहरलाल के पुरखे देवी अफ्तार ने मन्नत पूरी होने के बाद चादर पोशी की थी उसी के बाद से यह परिवार लगातार दरगाह पर चादर चढ़ाते चला आ रहा है.औलाद की मन्नत पूरी होने के बाद पहली चादर पोशी की गई थी. जुगल किशोर, जवाहर लाल ,नरसिंह दास अब घनश्याम दास चादर कोशिश कर रहे हैं. इनके चादर चढ़ाने के बाद से ही यह इस मेले का शुरुआत होता है.
700 वर्षों से लगता है उर्स मेला
700 वर्षों से लगता है उर्स मेला
लाखों की संख्या में पहुंचते है जायरीन
इस मेले में पूर्वांचल के साथ विभिन्न प्रांतों से लोग जायरीन आते हैं अकीदत के साथ दरगाह पर चादर पोशी कर दुआएं मांगते हैं. तीन दिन तक चलने वाले इस दरगाह पर चादर चढ़ाने और मन्नत मांगने वालों का तांता लगा रहता है. मान्यता है कि कंतित शरीफ में झोली फैलाने वालों की मुरादे अवश्य पूरी होती है .ख्वाजा इस्माइल चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह की सालाना उर्स के पहले दिन से लेकर आखिरी दिन तक महिला, पुरुष, बच्चे सभी का हुजूम उमड़ा रहता है और कंतित शरीफ की मजार पर माथा टेकने के लिए कतार में लगे रहते हैं.
कंतित शरीफ बाबा की दरगाह
कंतित शरीफ बाबा की दरगाह
मेले में रहती है सुरक्षा की बंदोबस्त
कंतित शरीफ मेला तीन दिन तक चलने वाले इस मेले को दो जोन और 4 सेक्टर में बांटा गया है. मेला प्रभारी सीओ सिटी प्रभात राय को जिम्मेदारी दी गई है. सीओ सिटी समेत 182 पुलिसकर्मी लगाए गए हैं. जोन में निरीक्षक और सेक्टर में उप निरीक्षक लगाए गए हैं जिनकी ड्यूटी दो पाली में 12 -12 घंटे रहेगी मेले में कंट्रोल रूम को खोया पाया केंद्र भी बनाया गया है सीसीटीवी कैमरों से मेला क्षेत्र की कड़ी निगरानी की जा रही है. गंगा किनारे होने के चलते गोताखोर और एनडीआरएफ की टीम लगाई गई है. अराजक तत्वों पर नजर रखने के लिए सिविल ड्रेस में पुलिस भ्रमण करती रहेगी.मेले में किसी प्रकार की कोई दिक्कत न हो इसके लिए नगर एसपी और नगर मजिस्ट्रेट मेले का बीच-बीच में जायजा लेते रहते हैं और मुस्लिम समुदाय धर्म गुरुओं के साथ बैठक कर उनकी समस्याओं और सुझाव को जानते हैं. यह मेला 18 से 21 फरवरी तक चलेगा.
700 वर्षों से लगता है उर्स मेला
700 वर्षों से लगता है उर्स मेला
जो अजमेर ख्वाजा शरीफ नहीं जा पाते हो यहां पर आते हैं तो उनकी मान्यताएं पूरी होती हैं
कहा जाता है जो अजमेर के ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह तक नहीं पहुंच पाते हैं अगर वह कंतित शरीफ बाबा की दरगाह पर आ कर मन्नतें मांगते हैं तो उन्हें अजमेर शरीफ वाले बाबा की दुआ मिल जाती है. कंतित शरीफ स्थित ख्वाजा इस्माइल चिश्ती रहमतुल्ला अलैह ख्वाजा गरीब नवाज अजमेर के भांजे हैं. इसीलिए जो लोग अजमेर नहीं पहुंच पाते यहां पर आकर मन्नते मांगते हैं दुआएं अजमेर शरीफ वाले बाबा का मिल जाती है.

मिर्जापुर: विंध्याचल में स्थित मां विंध्यवासिनी शक्तिपीठ के पास कंतित शरीफ में हजरत ख्वाजा इस्माइल की दरगाह गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल है. कंतित शरीफ का सालाना उर्स बृहस्पतिवार भोर में हिंदू परिवार की ओर से पहली चादर चढ़ाने के बाद शुरू हो गया है. मान्यता है कि जो लोग अजमेर के ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह तक नहीं पहुंच पाते हैं वह कंतित शरीफ बाबा की दरगाह में मन्नत मांगते हैं तो उन्हें अजमेर शरीफ वाले बाबा की दुआ प्राप्त होती है. तीन दिवसीय यह उर्स मेला 700 वर्षों से लगता चला रहा है. मेले में लाखों लोग माथा टेकने हर दिन पहुंचते हैं.

स्पेशल रिपोर्ट.
दरगाह गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल है
आस्था का केंद्र मां विंध्यवासिनी मन्दिर के चंद कदम की दूरी पर स्थित कंतित शरीफ नाम से प्रसिद्ध हजरत ख्वाजा इस्माइल चिश्ती की दरगाह देश भर में विख्यात है. हिंदुओं की जितनी आस्था मां विंध्यवासिनी शक्तिपीठ के लिए आते हैं, उतनी ही मान्यता कंतित शरीफ की दरगाह को भी प्राप्त है. तीन दिवसीय हजरत ख्वाजा इस्माइल चिश्ती की दरगाह पर लगने वाला प्रसिद्ध उर्स मेला सामाजिक सद्भाव की मिसाल पेश करता 700 वर्षों से चला रहा है. इस उर्स मेले में देश भर से मुस्लिम के साथ अन्य धर्मों के लोग भी जियारत करने आते हैं, मुरादे मांगते हैं और उनकी मुरादें पूरी होने पर चादर चढ़ाकर सिरानी बांटते हैं.
कंतित शरीफ बाबा की दरगाह
कंतित शरीफ बाबा की दरगाह
मेले की है सबसे बड़ी खासियत
उर्स मेला शुरू होने से पहले बाबा की मजार पर पहली चादर हिंदू परिवार की ओर से चढ़ाया जाता है.कई दशकों से चादर चढ़ाने का काम शहर के कसरहट्टी मोहल्ले के रहने वाले हिंदू कसेरा परिवार करता चला रहा है. सैकड़ों साल पहले जवाहरलाल के पुरखे देवी अफ्तार ने मन्नत पूरी होने के बाद चादर पोशी की थी उसी के बाद से यह परिवार लगातार दरगाह पर चादर चढ़ाते चला आ रहा है.औलाद की मन्नत पूरी होने के बाद पहली चादर पोशी की गई थी. जुगल किशोर, जवाहर लाल ,नरसिंह दास अब घनश्याम दास चादर कोशिश कर रहे हैं. इनके चादर चढ़ाने के बाद से ही यह इस मेले का शुरुआत होता है.
700 वर्षों से लगता है उर्स मेला
700 वर्षों से लगता है उर्स मेला
लाखों की संख्या में पहुंचते है जायरीन
इस मेले में पूर्वांचल के साथ विभिन्न प्रांतों से लोग जायरीन आते हैं अकीदत के साथ दरगाह पर चादर पोशी कर दुआएं मांगते हैं. तीन दिन तक चलने वाले इस दरगाह पर चादर चढ़ाने और मन्नत मांगने वालों का तांता लगा रहता है. मान्यता है कि कंतित शरीफ में झोली फैलाने वालों की मुरादे अवश्य पूरी होती है .ख्वाजा इस्माइल चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह की सालाना उर्स के पहले दिन से लेकर आखिरी दिन तक महिला, पुरुष, बच्चे सभी का हुजूम उमड़ा रहता है और कंतित शरीफ की मजार पर माथा टेकने के लिए कतार में लगे रहते हैं.
कंतित शरीफ बाबा की दरगाह
कंतित शरीफ बाबा की दरगाह
मेले में रहती है सुरक्षा की बंदोबस्त
कंतित शरीफ मेला तीन दिन तक चलने वाले इस मेले को दो जोन और 4 सेक्टर में बांटा गया है. मेला प्रभारी सीओ सिटी प्रभात राय को जिम्मेदारी दी गई है. सीओ सिटी समेत 182 पुलिसकर्मी लगाए गए हैं. जोन में निरीक्षक और सेक्टर में उप निरीक्षक लगाए गए हैं जिनकी ड्यूटी दो पाली में 12 -12 घंटे रहेगी मेले में कंट्रोल रूम को खोया पाया केंद्र भी बनाया गया है सीसीटीवी कैमरों से मेला क्षेत्र की कड़ी निगरानी की जा रही है. गंगा किनारे होने के चलते गोताखोर और एनडीआरएफ की टीम लगाई गई है. अराजक तत्वों पर नजर रखने के लिए सिविल ड्रेस में पुलिस भ्रमण करती रहेगी.मेले में किसी प्रकार की कोई दिक्कत न हो इसके लिए नगर एसपी और नगर मजिस्ट्रेट मेले का बीच-बीच में जायजा लेते रहते हैं और मुस्लिम समुदाय धर्म गुरुओं के साथ बैठक कर उनकी समस्याओं और सुझाव को जानते हैं. यह मेला 18 से 21 फरवरी तक चलेगा.
700 वर्षों से लगता है उर्स मेला
700 वर्षों से लगता है उर्स मेला
जो अजमेर ख्वाजा शरीफ नहीं जा पाते हो यहां पर आते हैं तो उनकी मान्यताएं पूरी होती हैं
कहा जाता है जो अजमेर के ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह तक नहीं पहुंच पाते हैं अगर वह कंतित शरीफ बाबा की दरगाह पर आ कर मन्नतें मांगते हैं तो उन्हें अजमेर शरीफ वाले बाबा की दुआ मिल जाती है. कंतित शरीफ स्थित ख्वाजा इस्माइल चिश्ती रहमतुल्ला अलैह ख्वाजा गरीब नवाज अजमेर के भांजे हैं. इसीलिए जो लोग अजमेर नहीं पहुंच पाते यहां पर आकर मन्नते मांगते हैं दुआएं अजमेर शरीफ वाले बाबा का मिल जाती है.
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