मिर्जापुर: पाकिस्तान की जेल में 11 साल तक यातनाएं झेलने के बाद 5 जनवरी को पुनवासी की घर तो वापसी हो गई. पाकिस्तान में प्रताड़ित किए जाने की वजह से पुनवासी अपनी याददाश्त खो चुके हैं. पुनवासी से मिलने रिश्तेदार और परिचित आ रहे हैं, लेकिन वे उन्हें भी नहीं पहचान पा रहे. परिजनों ने बताया कि वापस लाने के बाद से ही वे पुनवासी की रात-दिन देखभाल कर रहे हैं. क्योंकि उन्हें यहां कि बहुत ज्यादा याद नहीं है. परिजनों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि पुनवासी का मानसिक इलाज कराया जाए. साथ ही उनके रहने और खाने की व्यवस्था की जाए.
पुनवासी को गुमसुम देख बहन किरन चिंतित
पुनवासी के माता-पिता और 5 भाइयों की मौत हो चुकी है. झुग्गी-झोपड़ी भी टूट गई. पुनवासी की केवल एक बहन किरन देवी जीवित हैं. वह लालगंज बहुती में अपनी ससुराल में रहती हैं. देश लौटने पर पुनवासी अब अपनी बहन के पास हैं. भाई पुनवासी को गुमसुम देख बहन किरन बहुत चिंतित हैं और इलाज के लिए परेशान हैं. वह सरकार से इलाज और रहने खाने की व्यवस्था करने की मांग कर रही हैं.
2009 में भटक कर पहुंच गया था पाकिस्तान
देहात कोतवाली क्षेत्र के भरूहना में रहने वाले पुनवासी साल 2009 में भटक कर जोधपुर राजस्थान के रास्ते भारत की सीमा पार कर 9 मई 2009 को पाकिस्तान पहुंच गए थे. बिना वीजा पाकिस्तान में घुसने के कारण नौलखा लाहौर थाने में उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ. तब से पुनवासी पाकिस्तान की जेल में बंद थे. पुनवासी के घर का पता नहीं चलने के कारण उसकी वापसी में समय लग रहा था. पुनवासी की वापसी के लिए 5 साल पहले वाराणसी के डीएम को भारत सरकार से एक पत्र आया. इसमें वाराणसी से 40 किलोमीटर दूर पुनवासी के घर का पता लगाने के लिए कहा गया. पता स्पष्ट नहीं होने के चलते पुनवासी के बारे में कोई जानकारी नहीं हो पाई थी.
ऐसे पहुंचे घर
6 फरवरी 2019 को डीएम सहारनपुर, डीएम मिर्जापुर और डीएम हापुड़ को पुनवासी की नागरिकता की छानबीन के लिए शासन से पत्र आया. इसके बाद पुनवासी के घर की तलाश शुरू की हुई. इसमें मिर्जापुर एलआईयू ने 1 अक्टूबर 2020 को पुनवासी के घर का पता लगाया. इसके बाद पुनवासी की पाकिस्तान से वापसी के लिए भारत सरकार को पत्र भेजा गया. भारत सरकार के प्रयास से 17 नवंबर 2020 को पाकिस्तान ने पुनवासी को बीएसएफ पंजाब को अटारी बॉर्डर पर सौंप दिया. इसके बाद बहन और बहनोई पंजाब से पुनवासी को लेकर पुलिस की मदद से घर पहुंचे.