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सीएम योगी ने कहा- संभल और बुलंदशहर में कलेक्ट्रेट दफ्तर इंटीग्रेटेड कॉम्प्लेक्स के रूप में विकसित करें - INTEGRATED COLLECTORATE COMPLEX

कलेक्ट्रेट हो या तहसील भवन, बजट पुनरीक्षण की अनुमति नहीं.

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मुख्यमंत्री का निर्देश, दो माह में पूरा कर दें शामली कलेक्ट्रेट का निर्माण. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 15 hours ago

लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिला और मंडल मुख्यालयों पर जनता से सीधे जुड़े कार्यालयों के लिए इंटीग्रेटेड कॉम्प्लेक्स के निर्माण पर बल दिया है. उन्होंने शुक्रवार को राजस्व विभाग के अंतर्गत जारी निर्माण कार्यों की समीक्षा करते हुए कहा कि गोरखपुर और वाराणसी में प्रशासनिक कार्यालयों के लिए इंटीग्रेटेड कॉम्प्लेक्स का निर्माण कराया जा रहा है, ऐसे ही सभी जिलों में किया जाना चाहिए.

इससे एक ही परिसर में सभी प्रमुख अधिकारी उपलब्ध होंगे और आम आदमी को भाग-दौड़ नहीं करनी होगी. उन्होंने निर्देश दिए कि बुलन्दशहर और संभल में प्रस्तावित कलेक्ट्रेट कार्यालयों को इंटीग्रेटेड कॉम्प्लेक्स के रूप में ही विकसित किया जाए. मुख्यमंत्री ने कार्य की गुणवत्ता पर जोर देते हुए कहा कि निर्माण से जुड़ी पीडब्ल्यूडी तथा कार्यदायी संस्थाओं में विशेषज्ञ इंजीनियरों का अभाव है.

अपने कामकाज को 'प्रोफेशनल' बनाए संस्थाएं : विभिन्न कार्यदायी संस्थाओं को अपने कामकाज को 'प्रोफेशनल' बनाने की जरूरत बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी को शासन स्तर से हर संभव सहायता उपलब्ध कराई जाएगी. बजट हो या मैनपॉवर, कहीं कोई कमी नहीं होनी चाहिए. उन्होंने निर्देश दिए कि सभी कार्यदायी संस्थाएं अपने कार्यों की साप्ताहिक समीक्षा करें, जबकि सचिव स्तर के अधिकारी द्वारा निर्माण कार्यों की पाक्षिक समीक्षा की जाए.

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि 50 करोड़ से अधिक की सभी निर्माण परियोजनाओं का किसी बाहरी टेक्निकल इंस्टिट्यूट द्वारा थर्ड पार्टी मासिक ऑडिट कराया जाए. जबकि इससे कम लागत वाली परियोजनाओं की ऑडिट स्थानीय तकनीकी संस्थाओं द्वारा कराया जाए, यह वहां के विद्यार्थियों के लिए भी उपयोगी होगा. मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिए कि कार्य प्रारंभ होने से पूर्व परियोजना की जो डिजाइन तय हुई है, उसमें किसी प्रकार का बदलाव कार्य प्रारंभ होने के बाद नहीं होना चाहिए. शासन से अनुमोदन लिया जाना अनिवार्य हो.

उन्होंने कहा कि निर्माण परियोजनाओं में देरी न केवल लागत में वृद्धि का कारण बनती है, बल्कि लक्षित वर्ग को समय पर लाभ से वंचित भी करती है. तहसील अथवा कलेक्ट्रेट से जुड़े किसी निर्माण परियोजना का बजट पुनरीक्षण नहीं किया जाना चाहिए. यही नहीं, परियोजना पूर्ण होने के बाद हस्तगत होने से पूर्व जिलाधिकारी द्वारा भी उसका भौतिक निरीक्षण किया जाए.

कार्य की गुणवत्ता मानक के अनुरूप न हो तो संबंधित के विरुद्ध कार्यवाही भी की जाए. मुख्यमंत्री ने जनपद शामली के कलेक्ट्रेट के अनवासीय भवनों के निर्माण की कार्यवाही पूरी करने के लिए दो माह का समय नियत करते हुए कहा कि यदि इसके बाद विलम्ब होता है तो संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी.

गोरखपुर कलेक्ट्रेट भवन का हो शीघ्र निर्माण : गोरखपुर कलेक्ट्रेट भवन का शीघ्र निर्माण स्थानीय आवश्यकता के अनुसार महत्वपूर्ण है, इसे बिना विलंब प्रारंभ करा दिया जाए. वहीं, लखनऊ में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण भवन को प्रत्येक दशा में अगले दो माह में पूरा कराने के भी निर्देश दिए गए. मुख्यमंत्री ने सुल्तानपुर की नवसृजित तहसील बल्दीराय, मथुरा के गोवर्धन, लखीमपुर की निघासन, गोला गोकर्णनाथ व धौरहरा तहसीलों के आवासीय भवनों के निर्माण कार्यों के पूरा होने के बाद इसके भौतिक सत्यापन के निर्देश दिए.

यह भी पढ़ें : कांग्रेस के 140 साल; 100 वर्ष शीर्ष पर, 40 साल धरातल के, कैसे हुआ राजनीति में इतना बड़ा उलटफेर

लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिला और मंडल मुख्यालयों पर जनता से सीधे जुड़े कार्यालयों के लिए इंटीग्रेटेड कॉम्प्लेक्स के निर्माण पर बल दिया है. उन्होंने शुक्रवार को राजस्व विभाग के अंतर्गत जारी निर्माण कार्यों की समीक्षा करते हुए कहा कि गोरखपुर और वाराणसी में प्रशासनिक कार्यालयों के लिए इंटीग्रेटेड कॉम्प्लेक्स का निर्माण कराया जा रहा है, ऐसे ही सभी जिलों में किया जाना चाहिए.

इससे एक ही परिसर में सभी प्रमुख अधिकारी उपलब्ध होंगे और आम आदमी को भाग-दौड़ नहीं करनी होगी. उन्होंने निर्देश दिए कि बुलन्दशहर और संभल में प्रस्तावित कलेक्ट्रेट कार्यालयों को इंटीग्रेटेड कॉम्प्लेक्स के रूप में ही विकसित किया जाए. मुख्यमंत्री ने कार्य की गुणवत्ता पर जोर देते हुए कहा कि निर्माण से जुड़ी पीडब्ल्यूडी तथा कार्यदायी संस्थाओं में विशेषज्ञ इंजीनियरों का अभाव है.

अपने कामकाज को 'प्रोफेशनल' बनाए संस्थाएं : विभिन्न कार्यदायी संस्थाओं को अपने कामकाज को 'प्रोफेशनल' बनाने की जरूरत बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी को शासन स्तर से हर संभव सहायता उपलब्ध कराई जाएगी. बजट हो या मैनपॉवर, कहीं कोई कमी नहीं होनी चाहिए. उन्होंने निर्देश दिए कि सभी कार्यदायी संस्थाएं अपने कार्यों की साप्ताहिक समीक्षा करें, जबकि सचिव स्तर के अधिकारी द्वारा निर्माण कार्यों की पाक्षिक समीक्षा की जाए.

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि 50 करोड़ से अधिक की सभी निर्माण परियोजनाओं का किसी बाहरी टेक्निकल इंस्टिट्यूट द्वारा थर्ड पार्टी मासिक ऑडिट कराया जाए. जबकि इससे कम लागत वाली परियोजनाओं की ऑडिट स्थानीय तकनीकी संस्थाओं द्वारा कराया जाए, यह वहां के विद्यार्थियों के लिए भी उपयोगी होगा. मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिए कि कार्य प्रारंभ होने से पूर्व परियोजना की जो डिजाइन तय हुई है, उसमें किसी प्रकार का बदलाव कार्य प्रारंभ होने के बाद नहीं होना चाहिए. शासन से अनुमोदन लिया जाना अनिवार्य हो.

उन्होंने कहा कि निर्माण परियोजनाओं में देरी न केवल लागत में वृद्धि का कारण बनती है, बल्कि लक्षित वर्ग को समय पर लाभ से वंचित भी करती है. तहसील अथवा कलेक्ट्रेट से जुड़े किसी निर्माण परियोजना का बजट पुनरीक्षण नहीं किया जाना चाहिए. यही नहीं, परियोजना पूर्ण होने के बाद हस्तगत होने से पूर्व जिलाधिकारी द्वारा भी उसका भौतिक निरीक्षण किया जाए.

कार्य की गुणवत्ता मानक के अनुरूप न हो तो संबंधित के विरुद्ध कार्यवाही भी की जाए. मुख्यमंत्री ने जनपद शामली के कलेक्ट्रेट के अनवासीय भवनों के निर्माण की कार्यवाही पूरी करने के लिए दो माह का समय नियत करते हुए कहा कि यदि इसके बाद विलम्ब होता है तो संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी.

गोरखपुर कलेक्ट्रेट भवन का हो शीघ्र निर्माण : गोरखपुर कलेक्ट्रेट भवन का शीघ्र निर्माण स्थानीय आवश्यकता के अनुसार महत्वपूर्ण है, इसे बिना विलंब प्रारंभ करा दिया जाए. वहीं, लखनऊ में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण भवन को प्रत्येक दशा में अगले दो माह में पूरा कराने के भी निर्देश दिए गए. मुख्यमंत्री ने सुल्तानपुर की नवसृजित तहसील बल्दीराय, मथुरा के गोवर्धन, लखीमपुर की निघासन, गोला गोकर्णनाथ व धौरहरा तहसीलों के आवासीय भवनों के निर्माण कार्यों के पूरा होने के बाद इसके भौतिक सत्यापन के निर्देश दिए.

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