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3 मिनट में एक कविता लिखकर शंशांक ने बनाया हार्डवर्ड विश्व रिकॉर्ड, 31 दिन में 50 कविताएं लिखी

मिर्जापुर के शशांक श्रीवास्तव ने 31 दिन में 50 कविता लिख कर हार्डवर्ड बुक विश्व रिकॉर्ड में नाम अपना दर्ज कराया है. शशांक एक लोक गायक भी हैं.

शशांक द्वारा लिखी कविताएं
शशांक द्वारा लिखी कविताएं
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 26, 2023, 8:38 PM IST

शशांक श्रीवास्तव ने बनाया हार्वर्ड बुक विश्व रिकॉर्ड

मिर्जापुर: अगर हौसले मजबूत हों तो किसी भी नामुमकिन काम को मुमकिन में बदला जा सकता है. इसे मिर्जापुर के रहने वाले शशांक श्रीवास्तव ने साबित कर दिखाया है. शंशाक ने 31 दिन में 50 कविता लिख कर हार्डवर्ड विश्व रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करा लिया है. शशांक श्रीवास्तव एक लोकगीत कलाकार भी है. वहीं, शशांक के बड़े पिता राजेश श्रीवास्त भी गजल गायक है, जोकि उनके गुरू भी हैं.

शशांक को कविताएं लिखने के लिए मिले सर्टिफिकेट
शशांक को कविताएं लिखने के लिए मिले सर्टिफिकेट

शशांक श्रीवास्तव ने बताया कि कविताएं लिखने की प्रेरणा उन्हें बड़े पिता राजेश श्रीवास्तव और दादा राधे मोहन वर्मा से मिली थी. कोरोना काल में उन्होंने अपने दादा की लिखी हुई कुछ कविताएं पढ़ी थी. जिसके बाद उन्होंने कविताएं लिखना शुरू किया. शशांक का कहना है कि कविताएं लिखने के दौरान सोचा कि कुछ रिकॉर्ड बनाया जाए. फिर इसके बाद में इंटरनेट पर सर्च किया. जिसमें हार्वर्ड बुक विश्व रिकॉर्ड संस्था के बारे में पता चला. जो ऐसी प्रतिभाओं को मौका देती है.

शशांक द्वारा लिखी कविताएं
शशांक द्वारा लिखी कविताएं

शशांक ने बताया कि इसके बाद 9 जुलाई से कविता लेखन का काम शुरू किया और 31 दिन में 50 कविताएं लिख दी. हर कविता को लिखने में तीन मिनट का समय लगा. इसके बाद हार्वर्ड वर्ल्ड रिकॉर्ड्स को मेल कर दिया. जिसका अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय लंदन में है. संगठन ने कविताओं की जांच करने के बाद 11 अगस्त को हार्डवर्ड विश्व रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट दिया है.

हार्वर्ड बुक विश्व रिकॉर्ड
हार्वर्ड बुक विश्व रिकॉर्ड


वहीं, शशांक श्रीवास्तव को हार्वर्ड बुक विश्व रिकॉर्ड मिलने पर उनके बड़े पिता राजेश श्रीवास्तव ने बधाई दी है. उन्होंने कहा कि मिर्जापुर के लिए यह गर्व की बात है. शशांक ने आज यह रिकॉर्ड बनाया है, हार्डवर्ड बुक विश्व रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट भी मिल गया है. यह विश्व का पहला रिकॉर्ड है, जो शशांक को प्राप्त हुआ है. शशांक ने 3 मिनट हर कविता को लिखने का रिकॉर्ड अपने नाम किया है.


यह भी पढ़ें: नाम गिनीज बुक में दर्ज, दांत दुनिया में सबसे ज्यादा मजबूत, पर आर्थिक तंगी से जूझ रहा परिवार

यह भी पढ़ें: काशी में वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के लिए 35 शेफ ने तैयार की 70 तरह की चटनी

शशांक श्रीवास्तव ने बनाया हार्वर्ड बुक विश्व रिकॉर्ड

मिर्जापुर: अगर हौसले मजबूत हों तो किसी भी नामुमकिन काम को मुमकिन में बदला जा सकता है. इसे मिर्जापुर के रहने वाले शशांक श्रीवास्तव ने साबित कर दिखाया है. शंशाक ने 31 दिन में 50 कविता लिख कर हार्डवर्ड विश्व रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करा लिया है. शशांक श्रीवास्तव एक लोकगीत कलाकार भी है. वहीं, शशांक के बड़े पिता राजेश श्रीवास्त भी गजल गायक है, जोकि उनके गुरू भी हैं.

शशांक को कविताएं लिखने के लिए मिले सर्टिफिकेट
शशांक को कविताएं लिखने के लिए मिले सर्टिफिकेट

शशांक श्रीवास्तव ने बताया कि कविताएं लिखने की प्रेरणा उन्हें बड़े पिता राजेश श्रीवास्तव और दादा राधे मोहन वर्मा से मिली थी. कोरोना काल में उन्होंने अपने दादा की लिखी हुई कुछ कविताएं पढ़ी थी. जिसके बाद उन्होंने कविताएं लिखना शुरू किया. शशांक का कहना है कि कविताएं लिखने के दौरान सोचा कि कुछ रिकॉर्ड बनाया जाए. फिर इसके बाद में इंटरनेट पर सर्च किया. जिसमें हार्वर्ड बुक विश्व रिकॉर्ड संस्था के बारे में पता चला. जो ऐसी प्रतिभाओं को मौका देती है.

शशांक द्वारा लिखी कविताएं
शशांक द्वारा लिखी कविताएं

शशांक ने बताया कि इसके बाद 9 जुलाई से कविता लेखन का काम शुरू किया और 31 दिन में 50 कविताएं लिख दी. हर कविता को लिखने में तीन मिनट का समय लगा. इसके बाद हार्वर्ड वर्ल्ड रिकॉर्ड्स को मेल कर दिया. जिसका अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय लंदन में है. संगठन ने कविताओं की जांच करने के बाद 11 अगस्त को हार्डवर्ड विश्व रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट दिया है.

हार्वर्ड बुक विश्व रिकॉर्ड
हार्वर्ड बुक विश्व रिकॉर्ड


वहीं, शशांक श्रीवास्तव को हार्वर्ड बुक विश्व रिकॉर्ड मिलने पर उनके बड़े पिता राजेश श्रीवास्तव ने बधाई दी है. उन्होंने कहा कि मिर्जापुर के लिए यह गर्व की बात है. शशांक ने आज यह रिकॉर्ड बनाया है, हार्डवर्ड बुक विश्व रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट भी मिल गया है. यह विश्व का पहला रिकॉर्ड है, जो शशांक को प्राप्त हुआ है. शशांक ने 3 मिनट हर कविता को लिखने का रिकॉर्ड अपने नाम किया है.


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