ETV Bharat / state

मिर्जापुर बना बनाना हब, किसान कमा रहे लाखों

author img

By

Published : Dec 18, 2020, 8:09 AM IST

उत्तर प्रदेश का मिर्जापुर जिला अब बनाना हब घोषित कर दिया गया है. यहां किसान जमकर केले की खेती कर रहे हैं. केले की खेती से उनकी आय भी लाखों रुपए हो चुकी है.

मिर्जापुर बनाना हब घोषित
मिर्जापुर बनाना हब घोषित

मिर्जापुर : देशभर में मशहूर भुसावल के केले की जगह अब मिर्जापुर के केले की मांग धीरे-धीरे बढ़ने लगी है. इसी वजह से अब मिर्जापुर के किसान भी पर्याप्त मात्रा में केले का उत्पादन करने लगे हैं. बुधवार को जनपद मिर्जापुर को बनाना हब घोषित कर दिया गया. यहां पर सैकड़ों किसान दूसरी खेती को छोड़कर केले की खेती कर रहे हैं. फिलहाल यहां 10 ट्रक केला बाहर के जनपद से आता है. इसी तरह से किसान मेहनत करते रहे तो आने वाले समय में बाहर से केला आना बंद हो जाएगा. वहीं, बनाना हब घोषित करते हुए ऊर्जा राज्य मंत्री रमाशंकर सिंह पटेल ने कहा कि अब मिर्जापुर में छोटे-छोटे दुकानों से लेकर ठेले तक पर मिर्जापुर का ही केला बिक रहा है. इससे किसानों को बहुत फायदा हो रहा है. पहले जहां किसान एक खेती पर 10 से 20 हजार रुपए की कमाई करते थे, वहीं आज दो से ढाई लाख रुपए तक की कमाई कर रहे हैं.

केले की खेती में मुनाफे की मिठास
मिर्जापुर के किसानों ने केले की खेती को लाभ का सौदा बना लिया है. पारंपरिक और घाटे की खेती को छोड़कर किसानों ने केले की खेती से बेहतर आमदनी लेना शुरू कर दिया है. जनपद में लगभग 500 बीघे में केले की खेती की जा रही है. कम निवेश से ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए टिशू कल्चर टेक्नोलॉजी को अपनाया गया है. किसान एक बीघा के केले की खेती में दो से तीन लाख की आमदनी कर रहे हैं. केले की खेती के प्रति किसानों के रुझान और उत्पादन को देखते हुए जिले को बनाना हब घोषित किया गया है.

भुसावल को टक्कर
केले की खेती की चर्चा होते ही भुसावल के केले की खेती का नाम लोगों के जेहन में आता है, लेकिन मिर्जापुर के सैकड़ों किसान अपनी मेहनत और हुनर के जरिए जिले के कई बीघा भूमि पर केले की फसल लहलहा कर भुसावल के केले को टक्कर देने के लिए उन्नत किस्म के केले की फसल को तैयार करने में जुट गए हैं. जनपद में लगभग 500 बीघे खेत में केले की खेती हो रही है. आगे दो हजार बीघा में करने का प्रयास किया जा रहा है. किसानों की मेहनत अब रंग लाने लगी है. बुधवार को ऊर्जा राज्य मंत्री रमाशंकर सिंह पटेल ने भी विसुन्दरपुर श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन कार्यक्रम घोषित किया है. बताया कि पहले धान, गेहूं की खेती करते थे. लागत ज्यादा थी, कमाई कम होती थी. धान व गेहूं की खेती से साल में 10 से 20 हजार की कमाई होती थी, मगर केले में साल में दो लाख तक की कमाई कर रहे है.

तीन बार फल
केले के पौधे से तीन बार फल मिलता है. जुलाई-अगस्त के महीने में केले की खेती करने वाले किसान एक बार पौधा लगाने के बाद तीन बार तक फसल तैयार कर सकते हैं. केले के एक पौधे की लागत लगभग 15 रुपए होती है. प्रति हेक्टेयर किसानों को सरकार 30738 रुपये अनुदान के रूप में भी देती है. कम लागत में अच्छी कमाई किसान कर सकते हैं. यही कारण है कि किसान पुरानी खेती छोड़कर केले की खेती पर ज्यादा जोर दे रहे हैं. जिला उद्यान अधिकारी मेवाराम ने बताया कि जिले में केले की खेती 2018 से शुरू की गई है. इस समय लगभग 500 बीघे में सैकड़ों किसान केले की खेती कर रहे हैं. केले की खेती की ओर किसानों का रुझान बढ़ा है. मिर्जापुर केले का हब बनने से बहुत लाभ मिलेगा. जिले में जितना केले की खपत है उतना उत्पादन नहीं हो पा रहा है. भुसावल के अपेक्षा यहां का केला बहुत अच्छा रहेगा, क्योंकि गंगा के क्षेत्र में मिट्टी अच्छी होती है. यहां के केले में अच्छी मिठास भी है.

मिर्जापुर : देशभर में मशहूर भुसावल के केले की जगह अब मिर्जापुर के केले की मांग धीरे-धीरे बढ़ने लगी है. इसी वजह से अब मिर्जापुर के किसान भी पर्याप्त मात्रा में केले का उत्पादन करने लगे हैं. बुधवार को जनपद मिर्जापुर को बनाना हब घोषित कर दिया गया. यहां पर सैकड़ों किसान दूसरी खेती को छोड़कर केले की खेती कर रहे हैं. फिलहाल यहां 10 ट्रक केला बाहर के जनपद से आता है. इसी तरह से किसान मेहनत करते रहे तो आने वाले समय में बाहर से केला आना बंद हो जाएगा. वहीं, बनाना हब घोषित करते हुए ऊर्जा राज्य मंत्री रमाशंकर सिंह पटेल ने कहा कि अब मिर्जापुर में छोटे-छोटे दुकानों से लेकर ठेले तक पर मिर्जापुर का ही केला बिक रहा है. इससे किसानों को बहुत फायदा हो रहा है. पहले जहां किसान एक खेती पर 10 से 20 हजार रुपए की कमाई करते थे, वहीं आज दो से ढाई लाख रुपए तक की कमाई कर रहे हैं.

केले की खेती में मुनाफे की मिठास
मिर्जापुर के किसानों ने केले की खेती को लाभ का सौदा बना लिया है. पारंपरिक और घाटे की खेती को छोड़कर किसानों ने केले की खेती से बेहतर आमदनी लेना शुरू कर दिया है. जनपद में लगभग 500 बीघे में केले की खेती की जा रही है. कम निवेश से ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए टिशू कल्चर टेक्नोलॉजी को अपनाया गया है. किसान एक बीघा के केले की खेती में दो से तीन लाख की आमदनी कर रहे हैं. केले की खेती के प्रति किसानों के रुझान और उत्पादन को देखते हुए जिले को बनाना हब घोषित किया गया है.

भुसावल को टक्कर
केले की खेती की चर्चा होते ही भुसावल के केले की खेती का नाम लोगों के जेहन में आता है, लेकिन मिर्जापुर के सैकड़ों किसान अपनी मेहनत और हुनर के जरिए जिले के कई बीघा भूमि पर केले की फसल लहलहा कर भुसावल के केले को टक्कर देने के लिए उन्नत किस्म के केले की फसल को तैयार करने में जुट गए हैं. जनपद में लगभग 500 बीघे खेत में केले की खेती हो रही है. आगे दो हजार बीघा में करने का प्रयास किया जा रहा है. किसानों की मेहनत अब रंग लाने लगी है. बुधवार को ऊर्जा राज्य मंत्री रमाशंकर सिंह पटेल ने भी विसुन्दरपुर श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन कार्यक्रम घोषित किया है. बताया कि पहले धान, गेहूं की खेती करते थे. लागत ज्यादा थी, कमाई कम होती थी. धान व गेहूं की खेती से साल में 10 से 20 हजार की कमाई होती थी, मगर केले में साल में दो लाख तक की कमाई कर रहे है.

तीन बार फल
केले के पौधे से तीन बार फल मिलता है. जुलाई-अगस्त के महीने में केले की खेती करने वाले किसान एक बार पौधा लगाने के बाद तीन बार तक फसल तैयार कर सकते हैं. केले के एक पौधे की लागत लगभग 15 रुपए होती है. प्रति हेक्टेयर किसानों को सरकार 30738 रुपये अनुदान के रूप में भी देती है. कम लागत में अच्छी कमाई किसान कर सकते हैं. यही कारण है कि किसान पुरानी खेती छोड़कर केले की खेती पर ज्यादा जोर दे रहे हैं. जिला उद्यान अधिकारी मेवाराम ने बताया कि जिले में केले की खेती 2018 से शुरू की गई है. इस समय लगभग 500 बीघे में सैकड़ों किसान केले की खेती कर रहे हैं. केले की खेती की ओर किसानों का रुझान बढ़ा है. मिर्जापुर केले का हब बनने से बहुत लाभ मिलेगा. जिले में जितना केले की खपत है उतना उत्पादन नहीं हो पा रहा है. भुसावल के अपेक्षा यहां का केला बहुत अच्छा रहेगा, क्योंकि गंगा के क्षेत्र में मिट्टी अच्छी होती है. यहां के केले में अच्छी मिठास भी है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.