मिर्जापुर: इस बार दिवाली पर चीन के बजाय स्थानीय कारीगरों द्वारा तैयार लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां बाजार की रौनक बढ़ाने जा रही. दीपावली पर बिकने वाली यहां की लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों की सर्वाधिक मांग रहती है. इसको देखते हुए ऑटोमेटिक मशीनों से बेहतर मूर्तियां कम समय में तैयार करने के लिए सीडीओ ने जनपद मेंं माटी कला के अंतर्गत काम करने वाले कुम्हार कारीगरों को प्लास्टर ऑफ पेरिस के सांचे, एयर स्प्रे कंप्रेसर पेंटिंग मशीन टूल किट का वितरण किया.
आत्मनिर्भर बनाने के लिए कारीगरों को दिया गया टूल किट
'आत्मनिर्भर भारत अभियान' को बढ़ावा देने के लिए इस दीपावली पर स्वदेशी वस्तुओं को लोकप्रिय बनाने और चीन को मात देने की सरकर पूरी तैयारी कर ली है. इसके तहत 'माटी कला बोर्ड' प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) के सांचे मंगाकर मूर्ति बनाने वाले कारीगरों को वितरित किया जा रहा है. दीपावली में मिर्जापुर के चुनार की बनी गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियां चीन से आने वाली मूर्तियों से भी खबसूरत हों, इसके लिए अपने हुनर से मिट्टी में जान डालने वाले 16 हुनरमंदों को सीडीओ ने मूर्तियों के प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) एयर स्प्रे कंप्रेसर पेंटिंग मशीन टूल किट का वितरण किया. देखने में ये पहल आपको छोटी लग सकती है, पर इसका संदेश बड़ा है.
दीपावली स्वदेशी मूर्तियों का होगा बाजार
जिले के कुम्हार व मिट्टी का कार्य करने वाले कारीगरों के आय की वृद्धि और तकनीकी सुविधा उपलब्ध कराने के लिए उत्तर प्रदेश माटीकला बोर्ड के तहत ग्रामोद्योग विभाग को दिया गया है. इन सांचों से ऑटोमेटिक मशीनों से बेहतरीन फिनिशिंग वाली मूर्तियां कम समय में तैयार कर सकते है. पहले यह कारीगर हाथों से 5 से 7 मूर्तियां तैयार करते थे. ज्यादा समय लगता था. अब यह 40 से 50 मूर्तियां तैयार करेंगे. काफी दिनों से इनको मशीनों का इंतजार था. मशीनों के मिल जाने से अब यह लोग खुश हैं.
चुनार की मूर्तियां है देश भर में फेमस
दीपावली के मौके पर भगवान गणेश और लक्ष्मी की मूर्तियां काफी मात्रा में खरीदी जाती है. मिर्जापुर के चुनार बाजार में सैकड़ों सालों से हजारों परिवार गणेश और लक्ष्मी की मूर्ति बनाने का काम करते हैं, जो कई पीढ़ियों से चला रहा है. यहां की मूर्तियां मध्य प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड समेत नेपाल तक जाती है. दीपावली पर ही इन पाटरी उद्योग के व्यापारियों को व्यापार करने का सबसे बड़ी उम्मीद होती है.