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केएन गोविंदाचार्य का अध्ययन प्रवास यात्रा देवप्रयाग से पहुंचा मिर्जापुर

बीजेपी के पूर्व संगठन मंत्री और राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के संरक्षक केएन गोविंदाचार्य मिर्जापुर पहुंचे. यहां मां विंध्यवासिनी देवी का दर्शन करने के बाद वे वाराणसी के लिए निकल गए. केएन गोविंदाचार्य एक महीने के लिए देवप्रयाग से गंगासागर तक अध्ययन प्रवास पर निकले हुए हैं.

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Published : Sep 19, 2020, 1:16 PM IST

k n govindacharya reached mirzapur
राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के संरक्षक केएन गोविंदाचार्य.

मिर्जापुर: बीजेपी के पूर्व संगठन मंत्री और राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के संरक्षक केएन गोविंदाचार्य एक महीने के लिए देवप्रयाग से गंगासागर तक अध्ययन प्रवास के लिए निकले हैं. उन्होंने 20 साल पहले अध्ययन अवकाश ले लिया था. केएन गोविंदाचार्य का कहना है कि उत्तर प्रदेश, बिहार और बंगाल परिवर्तन के व्यापक आंदोलन की पृष्ठभूमि है. बंग भंग का आंदोलन, बिहार का जयप्रकाश जी का आंदोलन और उत्तर प्रदेश में राम जन्मभूमि का आंदोलन एक उदाहरण है. यहां की स्थितियों को देखने के बाद देश की स्थितियों का अंदाज लग जाएगा.

मिर्जापुर पहुंचे बीजेपी के पूर्व संगठन मंत्री.
केएन गोविंदाचार्य एक महीने के लिए देवप्रयाग से गंगासागर तक एक बार फिर स्थितियों को समझने के लिए अध्ययन प्रवास यात्रा पर हैं. यह यात्रा 9 सितंबर से 2 अक्टूबर तक चलेगी. 18 सितंबर को यात्रा मिर्जापुर के विंध्याचल अष्टभुजा पहुंची. यहां पर केएन गोविंदाचार्य विश्राम करने के बाद 19 सितंबर को सुबह मां विंध्यवासिनी के दर्शन करने के बाद वाराणसी रवाना हो गए.

पत्रकारों से बात करते हुए केएन गोविंदाचार्य ने बताया कि मैंने 20 साल पहले अध्ययन अवकाश ले लिया था. अब क्या नए तत्व कारक जुड़े हैं, उसको समझने के लिए महीने भर का समय निकालकर अध्ययन प्रवास पर हूं. परिवर्तन का व्यापक आंदोलन उत्तर प्रदेश, बिहार और बंगाल की पृष्ठभूमि रखती है. इसीलिए इन राज्यों के गंगा किनारे के जिलों से होकर ज्यादा पढ़ने और समझने के लिए निकला हूं. बंगाल का आंदोलन बंग भंग, बिहार का जयप्रकाश आंदोलन, उत्तर प्रदेश में राम जन्मभूमि का आंदोलन ऐसे उदाहरण हैं. यहां की स्थितियों को देखने के बाद देश की स्थितियां का अंदाज लग जाएगा.

केएन गोविंदाचार्य से जब बीजेपी सरकार की बात पूछी गई तो उन्होंने कहा कि इस बात को मैंने सन 2000 में ही कहीं पीछे छोड़ दिया हूं. जिस सड़क पर मुझे चलना नहीं है, उसमें कितने नीम के पेड़ है और कितने आम के पेड़ हैं, उसको मैं क्यों गिनूं. उन्होंने कहा कि मैं कुछ और काम कर रहा हूं. मेरी नजर में कुछ और बड़ा काम करना है. मैं समाज के स्तर पर अपने काम में लगा हूं. बाकी जिनको सत्ता में रुचि है, वे उस पर काम करें.

ये भी पढ़ें: बिजली व्यवस्था को निजी हाथों में दे सकती है योगी सरकार, ऊर्जा राज्यमंत्री ने दिए संकेत

केएन गोविंदाचार्य ने 20 साल पहले 9 सितंबर 2000 को अध्ययन अवकाश ले लिया था. उस समय देश और दुनिया आर्थिक के दौर से गुजर रही थी. राजनीति में सत्ता या संगठन में रुचि 2000 में समाप्त कर ली थी. 20 साल अध्ययन अवकाश में किए गए अध्ययन और एक महीने का देवप्रयाग से गंगासागर तक का आत्म चिंतन करने के बाद 2 अक्टूबर को वे गंगा सागर में और 26 को समापन ग्राउंड जीरो, आजमगढ़ के विभूतिपुर में अपने विचार साझा करेंगे.

मिर्जापुर: बीजेपी के पूर्व संगठन मंत्री और राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के संरक्षक केएन गोविंदाचार्य एक महीने के लिए देवप्रयाग से गंगासागर तक अध्ययन प्रवास के लिए निकले हैं. उन्होंने 20 साल पहले अध्ययन अवकाश ले लिया था. केएन गोविंदाचार्य का कहना है कि उत्तर प्रदेश, बिहार और बंगाल परिवर्तन के व्यापक आंदोलन की पृष्ठभूमि है. बंग भंग का आंदोलन, बिहार का जयप्रकाश जी का आंदोलन और उत्तर प्रदेश में राम जन्मभूमि का आंदोलन एक उदाहरण है. यहां की स्थितियों को देखने के बाद देश की स्थितियों का अंदाज लग जाएगा.

मिर्जापुर पहुंचे बीजेपी के पूर्व संगठन मंत्री.
केएन गोविंदाचार्य एक महीने के लिए देवप्रयाग से गंगासागर तक एक बार फिर स्थितियों को समझने के लिए अध्ययन प्रवास यात्रा पर हैं. यह यात्रा 9 सितंबर से 2 अक्टूबर तक चलेगी. 18 सितंबर को यात्रा मिर्जापुर के विंध्याचल अष्टभुजा पहुंची. यहां पर केएन गोविंदाचार्य विश्राम करने के बाद 19 सितंबर को सुबह मां विंध्यवासिनी के दर्शन करने के बाद वाराणसी रवाना हो गए.

पत्रकारों से बात करते हुए केएन गोविंदाचार्य ने बताया कि मैंने 20 साल पहले अध्ययन अवकाश ले लिया था. अब क्या नए तत्व कारक जुड़े हैं, उसको समझने के लिए महीने भर का समय निकालकर अध्ययन प्रवास पर हूं. परिवर्तन का व्यापक आंदोलन उत्तर प्रदेश, बिहार और बंगाल की पृष्ठभूमि रखती है. इसीलिए इन राज्यों के गंगा किनारे के जिलों से होकर ज्यादा पढ़ने और समझने के लिए निकला हूं. बंगाल का आंदोलन बंग भंग, बिहार का जयप्रकाश आंदोलन, उत्तर प्रदेश में राम जन्मभूमि का आंदोलन ऐसे उदाहरण हैं. यहां की स्थितियों को देखने के बाद देश की स्थितियां का अंदाज लग जाएगा.

केएन गोविंदाचार्य से जब बीजेपी सरकार की बात पूछी गई तो उन्होंने कहा कि इस बात को मैंने सन 2000 में ही कहीं पीछे छोड़ दिया हूं. जिस सड़क पर मुझे चलना नहीं है, उसमें कितने नीम के पेड़ है और कितने आम के पेड़ हैं, उसको मैं क्यों गिनूं. उन्होंने कहा कि मैं कुछ और काम कर रहा हूं. मेरी नजर में कुछ और बड़ा काम करना है. मैं समाज के स्तर पर अपने काम में लगा हूं. बाकी जिनको सत्ता में रुचि है, वे उस पर काम करें.

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केएन गोविंदाचार्य ने 20 साल पहले 9 सितंबर 2000 को अध्ययन अवकाश ले लिया था. उस समय देश और दुनिया आर्थिक के दौर से गुजर रही थी. राजनीति में सत्ता या संगठन में रुचि 2000 में समाप्त कर ली थी. 20 साल अध्ययन अवकाश में किए गए अध्ययन और एक महीने का देवप्रयाग से गंगासागर तक का आत्म चिंतन करने के बाद 2 अक्टूबर को वे गंगा सागर में और 26 को समापन ग्राउंड जीरो, आजमगढ़ के विभूतिपुर में अपने विचार साझा करेंगे.

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