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फीकी पड़ती जा रही मिर्जापुर के पीतल उद्योग की चमक, पलायन को मजबूर हैं कारीगर

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Published : Sep 2, 2019, 10:41 AM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के जिले का पीतल उद्योग अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. इससे बर्तन बनाने वाले कारीगर भुखमरी की कगार पर आ गए है और काम की तलाश में पलायन कर रहे हैं.

सिमट रहा है मिर्जापुर का पीतल उद्योग.

मिर्जापुर: शान-शौकत और विलासिता का प्रतीक कहे जाने वाले पीतल के बर्तन जो कभी मिर्जापुर जिले का प्रतिनिधित्व करते थे, आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ने को मजबूर हैं. जनपद के कसरहट्टी मोहल्ले में सैकड़ों सालों से लोग बर्तन बनाने का काम कर रहे हैं. इससे हजारों लोगों की रोजी-रोटी चलती थी, लेकिन आज यह उद्योग सिमटने की कगार पर है.

सिमट रहा है मिर्जापुर का पीतल उद्योग.

व्यापारियों के पास आर्डर न होने कारण कारीगर भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं. ऐसे में कारीगर काम की तलाश में अन्य जिलों के लिए पलायन कर रहे हैं. यदि यही हाल रहा तो वह समय दूर नहीं जब पीतल उद्योग नाम मात्र का रह जाएगा.

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मिर्जापुरी बर्तनों के नाम से है मशहूर
मिर्जापुरी पीतल बर्तनों का पूरे देश में अपना स्थान है. यहां शादी-विवाह के साथ अन्य सामाजिक कार्यक्रमों में उपयोग किए जाने वाले प्राचीन डिजाइन के बर्तन बनाए जाते हैं. यह बर्तन अपने सौंदर्य और कलात्मकता के लिए देश भर में मशहूर हैं. बिहार, मध्य प्रदेश, उड़ीसा आदि राज्यों में ये बर्तन मिर्जापुरी बर्तनों के नाम से जाने जाते हैं.

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10 हजार करीगरों को मिलता है रोजगार
इस क्षेत्र में लगभग 480 इकाइयां स्थापित हैं, जिसमें से 2800 श्रमिक कार्यरत हैं. इसका उत्पाद चार पांच चरणों में होता है. सभी चरणों की एक अलग इकाई स्थापित होती है. इस उद्योग में लगभग 1,500 परिवार विभिन्न औद्योगिक इकाइयों द्वारा उत्पादित यूटेंसिल लगाकर जॉब वर्क कर फिनिश्ड उत्पाद व्यापारियों को देते हैं. इस कार्य में प्रत्यक्ष रूप से 4,300 और अप्रत्यक्ष रूप से 10 हजार व्यक्ति कार्य में लगे हैं.

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काम न मिलने की वजह से ज्यादातर कारीगर पलायन को मजबूर हैं. नोटबंदी और जीएसटी के बाद से माल नहीं निकल रहा है. शादी-विवाह के समय लोग थोड़ी बहुत खरीदारी करते हैं. नहीं तो पीतल उद्योग पहले से बहुत कम हो गया है.
-मुन्ना लाल, कारीगर

मिर्जापुर के पीतल उद्योग को बढ़ाने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. पीतल उद्योग में लगभग 200 से ज्यादा छोटी-बड़ी इकाई कार्यरत है. सरकार इन लोगों को भी लाभान्वित करने का प्रयास कर रही है. सरकार विभिन्न योजनाएं ला रही है, जिससे कारीगरों और व्यापारियों को दिक्कत न हो. एनजीटी पॉल्यूशन से एनओसी न मिलने से थोड़ी प्रॉब्लम होती है. इसके लिए शहर से इस उद्योग को लालगंज चुनार हलिया जैसे क्षेत्र में लगाने को कहा जा रहा है.
-वी के चौधरी, ग्राम उद्योग अधिकारी

मिर्जापुर: शान-शौकत और विलासिता का प्रतीक कहे जाने वाले पीतल के बर्तन जो कभी मिर्जापुर जिले का प्रतिनिधित्व करते थे, आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ने को मजबूर हैं. जनपद के कसरहट्टी मोहल्ले में सैकड़ों सालों से लोग बर्तन बनाने का काम कर रहे हैं. इससे हजारों लोगों की रोजी-रोटी चलती थी, लेकिन आज यह उद्योग सिमटने की कगार पर है.

सिमट रहा है मिर्जापुर का पीतल उद्योग.

व्यापारियों के पास आर्डर न होने कारण कारीगर भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं. ऐसे में कारीगर काम की तलाश में अन्य जिलों के लिए पलायन कर रहे हैं. यदि यही हाल रहा तो वह समय दूर नहीं जब पीतल उद्योग नाम मात्र का रह जाएगा.

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मिर्जापुरी बर्तनों के नाम से है मशहूर
मिर्जापुरी पीतल बर्तनों का पूरे देश में अपना स्थान है. यहां शादी-विवाह के साथ अन्य सामाजिक कार्यक्रमों में उपयोग किए जाने वाले प्राचीन डिजाइन के बर्तन बनाए जाते हैं. यह बर्तन अपने सौंदर्य और कलात्मकता के लिए देश भर में मशहूर हैं. बिहार, मध्य प्रदेश, उड़ीसा आदि राज्यों में ये बर्तन मिर्जापुरी बर्तनों के नाम से जाने जाते हैं.

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10 हजार करीगरों को मिलता है रोजगार
इस क्षेत्र में लगभग 480 इकाइयां स्थापित हैं, जिसमें से 2800 श्रमिक कार्यरत हैं. इसका उत्पाद चार पांच चरणों में होता है. सभी चरणों की एक अलग इकाई स्थापित होती है. इस उद्योग में लगभग 1,500 परिवार विभिन्न औद्योगिक इकाइयों द्वारा उत्पादित यूटेंसिल लगाकर जॉब वर्क कर फिनिश्ड उत्पाद व्यापारियों को देते हैं. इस कार्य में प्रत्यक्ष रूप से 4,300 और अप्रत्यक्ष रूप से 10 हजार व्यक्ति कार्य में लगे हैं.

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काम न मिलने की वजह से ज्यादातर कारीगर पलायन को मजबूर हैं. नोटबंदी और जीएसटी के बाद से माल नहीं निकल रहा है. शादी-विवाह के समय लोग थोड़ी बहुत खरीदारी करते हैं. नहीं तो पीतल उद्योग पहले से बहुत कम हो गया है.
-मुन्ना लाल, कारीगर

मिर्जापुर के पीतल उद्योग को बढ़ाने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. पीतल उद्योग में लगभग 200 से ज्यादा छोटी-बड़ी इकाई कार्यरत है. सरकार इन लोगों को भी लाभान्वित करने का प्रयास कर रही है. सरकार विभिन्न योजनाएं ला रही है, जिससे कारीगरों और व्यापारियों को दिक्कत न हो. एनजीटी पॉल्यूशन से एनओसी न मिलने से थोड़ी प्रॉब्लम होती है. इसके लिए शहर से इस उद्योग को लालगंज चुनार हलिया जैसे क्षेत्र में लगाने को कहा जा रहा है.
-वी के चौधरी, ग्राम उद्योग अधिकारी

Intro:शान- शौकत विलासिता तक प्रतीक पीतल बर्तन जो कभी मिर्जापुर जिले का राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व करता था लेकिन आज अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है जनपद के कसरहट्टी मोहल्ले में सैकड़ों सालों से यहां के लोग कार्य कर रहे हैं हजारों लोगों का रोजी-रोटी चलता था लेकिन आज सिमटने के कगार पर है व्यापारियों के पास आर्डर ना होने कारण कारीगर भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं ऐसे में कारीगर काम की तलाश में अन्य जिलों के लिए पलायन कर रहे हैं यदि यही हाल रहा तो वह समय दूर नहीं जब पीतल उद्योग नाम मात्र का रह जायेगा।


Body:मिर्जापुर का पीतल बर्तन उद्योग एक प्राचीनतम उद्योग है मिर्जापुर पीतल बर्तन के क्षेत्र में पूरे देश में अपना स्थान रखता है यहां पर शादी विवाह अन्य सामाजिक कार्यक्रमों में उपयोग में आने वाली प्राचीन डिजाइन की बर्तन बनाई जाती है परंपरागत बर्तन जैसे हंडा ,परात ,लोटा, गिलास, थाली आदि बनाए जाते हैं यह बर्तन अपने सौंदर्य कलात्मकता के लिए मशहूर हैं बिहार मध्य प्रदेश उड़ीसा आदि राज्यों में बर्तन मिर्जापुरी बर्तनों के नाम से जाने जाते हैं इस क्षेत्र में लगभग 480 इकाइयां स्थापित हैं जिसमें से 2800 श्रमिक कार्यरत हैं इसका उत्पाद चार पांच चरणों में होता है सभी चरणों की एक अलग इकाई स्थापित होती है । इस उद्योग में लगभग 1500 परिवार विभिन्न औद्योगिक इकाइयों द्वारा उत्पादित यूटेंसिल लगाकर जॉब वर्क कर फिनिश्ड उत्पाद व्यापारियों को देते हैं। इस कार्य में प्रत्यक्ष रूप से 4300 तथा अप्रत्यक्ष रूप से 10,000 व्यक्ति कार्य में लगे हैं।

काम कर रहे कारीगरों का कहना है कि काम कम मिलने को जैसे यहां से ज्यादातर कारीगर दूसरे जगह जाकर काम करने को मजबूर हो रहे हैं कुछ तो चले भी गए हैं जीएसटी के मार से बताते हैं व्यापारी माल का डर कम हो रहा है इसलिए काम कम निकल पा रहा है थोड़ा बहुत जो भी माल निकल रहा है उस शादी विवाह के समय लोग अपने परिवार को देने के लिए खरीदारी होती है उसी समय थोड़ा बहुत चलता है नहीं तो बिल्कुल एक तरह से समझ पीतल उद्योग पहले से बहुत कम हो गया है।

Bite-मुन्ना लाल-कारीगर
Bite-वी के चौधरी- ग्राम उद्योग अधिकारी


Conclusion:वही ग्राम उद्योग अधिकारी का कहना है मिर्जापुर के पीतल उद्योग को बढ़ाने के लिए सरकार प्रयास कर रही है पीतल उद्योग में लगभग 200 से ज्यादा छोटे या बड़े इकाई कार्यरत है कुटीर उद्योग का धंधा है यह सबसे ज्यादा कसरहट्टी मोहल्ले में लोग इकाइयां लगाए रखे हैं काम करते हैं यहां के लोगों को भी लाभान्वित करने के लिए सरकार प्रयास कर रही है सरकार विभिन्न योजनाएं ला रही है जिससे कि कारीगरों व्यापारियों कोई दिक्कत ना हो मुख्यमंत्री स्वराज रोजगार योजना है।एनजीटी पॉल्यूशन से एनओसी न मिलने से थोड़ा प्रॉब्लम होती है इसके लिए शहर से इस उद्योग को लालगंज चुनार हलिया जैसे क्षेत्र में लगाने को कहा जा रहा है शहर से दूर करने का काम किया जा रहा है इसके लिए भी थोड़ा सा प्रॉब्लम हो रहा है व्यापारियों को।

जय प्रकाश सिंह
मिर्ज़ापुर
9453881630
Last Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST
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