मेरठ: एक ओर जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हर गांव में विकास कराने के दावे कर रहे हैं. वहीं मेरठ के गांव भगवानपुर चट्टावन की गलियों में भरा पानी न सिर्फ वाल्मीकि बस्ती के लिए मुसीबत बना हुआ है बल्कि सरकार के दावों की पोल खोल रहा है. तालाब की सफाई और पानी की निकासी नहीं हो पाने की वजह से गांव की गलियां ही तलाब बनी हुई है. आलम यह है कि बरसात के दिनों में तो गलियों में भरा पानी घरों में घुस जाता है. खास बात तो ये है कि पानी निकासी नहीं हो पाने से वाल्मीकि बस्ती के कई दर्जन युवक-युवतियां कुंवारे रह गए है. वाल्मीकि बस्ती की गलियों में भरे पानी की वजह से युवाओं के लिए रिश्ते नहीं आ रहे हैं.
वहीं, गंदगी की वजह से न तो कोई बेटे की बारात लेकर आने को तैयार है और न ही अपनी बेटी का रिश्ता कोई करना चाहता है. जिसके चलते बस्ती में माता-पिता को अपने युवा बच्चो के भविष्य की चिंता सताने लगी है. खास बात तो ये है कि इस गांव को स्थानीय सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने गोद लिया हुआ है.
मेरठ के गढ़ रोड़ स्त्तिथ गांव भगवानपुर चट्वावन को स्थानीय सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिया हुआ है. गांव में थोड़े बहुत विकास कार्य ग्राम प्रधान के घर आसपास तो कराए गए, लेकिन वाल्मीकि बस्ती की ओर कोई ध्यान नहीं दिया. गांव में 5 बड़े तालाब है, लेकिन प्रशासन और ग्राम प्रधान 4 की ही सफाई कराते है। बाल्मीकि बस्ती में लबालब भरे इस तालाब की सफाई कराना जरूरी नहीं समझता. तालाब की सफाई नहीं होने से न सिर्फ पानी निकासी प्रभावित हुई है बल्कि नालियों का पानी गलियों में बह रहा है.
बस्ती के तालाब की नहीं होती सफाई
ETV भारत की टीम मेरठ के भगवानपुर चट्टावन गांव की वाल्मीकि बस्ती पहुंची और स्थानीय लोगों के दर्द को साझा किया. जहां ग्रामीणों ने बताया कि गांव में 5 तालाब है. 4 तालाबों की 2-3 साल से सफाई हो जाती है, लेकिन उनकी बस्ती के इस तालाब की सफाई नहीं कराई जाती. वाल्मीकि बस्ती यह तालाब गंंदे पानी, कूड़े से अटा पड़ा है. जिसके चलते गांव के गंदे पानी की निकासी नहीं हो पा रही है. आलम यह है कि तालाब का गंदा पानी वापस नालियों के रास्ते गलियों में भर जाता है. बारिश के दिनों में हालात बद से बदतर हो जाते हैं. गलियों में भरा पानी घरों में भी घुस जाता है.
युवाओं की नहीं हो पा रही शादी
ग्रामीणों ने बताया कि उनका गांव स्थानीय सांसद राजेन्द्र अग्रवाल ने गोद लिया हुआ है. इसके बावजूद वाल्मीकि बस्ती के पानी निकासी तो दूर गलियों की सफाई भी नहीं कराई जा रही है. जिसके चलते गांव के युवक-युवतियों के रिश्ते करने मुश्किल हो गए हैं. गलियों में घुटनों तक भरा गंदा पानी इन ग्रामीणों के लिए अभिशाप बन चुका है. जिसे देखकर रिश्ते करने वाले मेहमान वापस लौट जाते हैं. ग्रामीणों के मुताबिक वाल्मीकि बस्ती में करीब 400 परिवार रहते हैं. जहां कई दर्जन युवक-युवतियां कुंवारे रह रहे है. कई परिवार तो बस्ती छोड़कर दूसरे स्थान पर जाकर बस गए है. दूसरे गांवो के ग्रामीण यहां के युवाओं की शादी करने को तैयार नहीं है.
बारिश के मौसम में गालियां बन जाती तालाब
गलियों में ठहरे बदबूदार गंदे पानी में जहां कीड़े फैलने से बीमारी का खतरा बना हुआ है. वहीं बारिश के दिनों में यह गंदा पानी घरों में घुस जाता है. बच्चों और महिलाओं का घर से निकलना दुश्वार हो जाता है. गंदे पानी में की वजह से वाल्मीकि के सैकड़ों परिवार शासन-प्रशासन की उपेक्षा का शिकार हो रहे है. गंदे पानी से निकलने की वजह से हम लोग एलर्जी और त्वचा रोगों के साथ कई बीमारियां होने का भी खतरा सता रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि कई बार शासन प्रशासन से पानी की निकासी, तालाब और गांव की गलियों की सफाई के लिए शिकायत कर चुके हैं लेकिन कहीं भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है.
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