ETV Bharat / state

क्या जाटलैंड के राजनीतिक समीकरणों से प्रभावित होगा यूपी चुनाव, इस बार किसे नफा और किसे नुकसान

author img

By

Published : Jan 18, 2022, 8:07 PM IST

Updated : Jan 18, 2022, 10:20 PM IST

यूपी में जाटों की आबादी करीब 4 फीसदी है जबकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इनकी आबादी 17 फीसदी है. वहीं, मुस्लिम आबादी भी यूपी में जहां 18 फीसदी है वहीं पश्चिम में यह औसतन 32 फीसदी मानी जाती है. ऐसे ही दलित मतदाता यूपी में 21 फीसदी है जबकि पश्चिमी यूपी में 26 फीसदी के करीब है. इस 26 फीसदी में 80 फीसदी जाटव शामिल हैं.

UP Assembly Election 2022  Uttar Pradesh Assembly Election 2022  UP Election 2022 Prediction   UP Election Results 2022   UP Election 2022 Opinion Poll   UP 2022 Election Campaign highlights  UP Election 2022 live  Akhilesh Yadav vs Yogi Adityanath    up chunav 2022   UP Election 2022   up election news in hindi   up election 2022 district wise    UP Election 2022 Public Opinion    यूपी चुनाव न्यूज
क्या जाटलैंड में बनने बिगड़ने वाले समीकरणों से प्रभावित होगा यूपी, इस बार किसे नफा और किसे नुकसान

मेरठ : विधानसभा चुनावों को लेकर डुगडुगी बज चुकी है. अब 10 फरवरी को मेरठ समेत 11 जिलों की 58 विधानसभा सीटों पर पहले चरण का चुनाव कराया जाएगा. कुल 7 चरणों में 403 विधानसभा सीटों पर चुनाव होना है. इस बीच सबसे बड़ा प्रश्न पश्चिमी उत्तर प्रदेश की करीब 110 सीटों का है जो जिनपर जाट और गुर्जर वोटों का खासा दबदबा है. हालांकि ऐसा नहीं है कि यही वोट यहां जीत और हार निर्धारित करते हैं, पर यह वोट महत्वपूर्ण जरूर हैं.

गौरतलब है कि शुगर बाउल, किसान बेल्ट, जाट लैंड, जाट-मुस्लिम एकता की प्रयोगशाला और न जाने कितने ही नामों से उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपनी पहचान रखने वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश इन दिनों काफी महत्वपूर्ण हो गया है. पश्चिम में एक कहावत भी है कि 'जिसका जाट उसके ठाठ'. इसकी एक वजह यह भी है कि चौधराहट करने वाले जाट समाज के पीछे अन्य जातियों का रुझान भी यहां तय होता रहा है. पर इस बार किसानों के मुद्दे को लेकर जिस तरह जाट और गुर्जर समाज एक हुआ, उसने पश्चिम में राजनीति के नए आयाम के संकेत देने शुरू कर दिए. पश्चिम से इस बार का सियासी माहौल, और चुनावी दंगल पर खास रिपोर्ट..

क्या जाटलैंड के राजनीतिक समीकरणों से प्रभावित होगा यूपी चुनाव, इस बार किसे नफा और किसे नुकसान

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाटों की स्थिति

यूपी में जाटों की आबादी करीब 4 फीसदी है जबकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इनकी आबादी 18 फीसदी है. वहीं, मुस्लिम आबादी भी यूपी में जहां 18 फीसदी है वहीं पश्चिम में यह औसतन 32 फीसदी मानी जाती है. ऐसे ही दलित मतदाता यूपी में 21 फीसदी है जबकि पश्चिमी यूपी में 26 फीसदी के करीब है. इनमें 80 फीसदी जाटव शामिल है.

कुल मिलाकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दलित, मुस्लिम के बाद तीसरे नंबर पर जाट वोटर ही आते हैं. जाटों के रुख से सहारनपुर मंडल की तीन सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, कैराना, मेरठ मंडल की पांच मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, बुलंदशहर, मुरादाबाद मंडल की बिजनौर, मुरादाबाद, संभल, अमरोहा, नगीना, अलीगढ़ मंडल की हाथरस, अलीगढ़, फतेहपुर सीकरी आदि 18 सीटों का रुख तय होता है. इन 18 लोकसभा सीटों में 110 विधानसभा सीटों पर जाट वोट असर रखता है.

UP Assembly Election 2022  Uttar Pradesh Assembly Election 2022  UP Election 2022 Prediction   UP Election Results 2022   UP Election 2022 Opinion Poll   UP 2022 Election Campaign highlights  UP Election 2022 live  Akhilesh Yadav vs Yogi Adityanath    up chunav 2022   UP Election 2022   up election news in hindi   up election 2022 district wise    UP Election 2022 Public Opinion    यूपी चुनाव न्यूज
क्या जाटलैंड के राजनीतिक समीकरणों से प्रभावित होगा यूपी चुनाव, इस बार किसे नफा और किसे नुकसान

हरिशंकर जोशी कहते हैं कि ऐसे में सपा का अन्य दलों से गठबंधन, जाटलैंड में राष्ट्रीय लोकदल का साथ और आरएलडी को सहानुभूति वोट गठबंधन को मजबूत करता है और बीजेपी को कड़ी चुनौती भी देता दिखाई देता है.

वहीं, राजनीतिक विश्लेषक पवन शर्मा बताते हैं कि वेस्टर्न यूपी में जाट मजबूत स्थिति में हैं. हालांकि जो विकास वेस्टर्न यूपी में पिछले कुछ वर्षों में हुआ है, उससे ये समझा जा सकता है कि अब जातिवाद से उठकर विकास के नाम पर वोट दिए जा रहे हैं.

UP Assembly Election 2022  Uttar Pradesh Assembly Election 2022  UP Election 2022 Prediction   UP Election Results 2022   UP Election 2022 Opinion Poll   UP 2022 Election Campaign highlights  UP Election 2022 live  Akhilesh Yadav vs Yogi Adityanath    up chunav 2022   UP Election 2022   up election news in hindi   up election 2022 district wise    UP Election 2022 Public Opinion    यूपी चुनाव न्यूज
क्या जाटलैंड के राजनीतिक समीकरणों से प्रभावित होगा यूपी चुनाव, इस बार किसे नफा और किसे नुकसान

मुजफ्फरनगर दंगे ने बदल दिया सामाजिक ताना बाना

2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कई दलों की सोशल इंजीनिरिंग को तार तार कर दिया था. राजनीतिक और सामाजिक ताना बाना पूरी तरह बदल गया. बीएसपी का दलित-मुस्लिम, आरएलडी का जाट-मुस्लिम और एसपी का मुस्लिम-पिछड़ा समीकरण पूरी तरह ध्वस्त हो गया.

दंगे के बाद यहां चौधरी चरण सिंह के वक्त तैयार हुआ सियासी 'अजगर' यानी अहीर, जाट, गुर्जर और राजपूत और 'मजगर' मतलब मुसलमान, जाट, गुर्जर और राजपूत की एकजुटता भी धराशाही हो गई थी. हालांकि बीजेपी ने सवर्ण वोटों के साथ जाट और दूसरे पिछड़ों को साधकर 2014 में कामयाबी हासिल की थी. यहां तक कि किसानों की लड़ाई लड़ने वाले महेंद्र सिंह टिकैत का परिवार भी इस किसान बिरादरी (जाटों) को बीजेपी के पक्ष में जाने से नहीं रोक पाया था. दंगे के साथ कैराना से पलायन, लव जिहाद जैसे मुद्दों से खाई बढ़ती चली गई.

UP Assembly Election 2022  Uttar Pradesh Assembly Election 2022  UP Election 2022 Prediction   UP Election Results 2022   UP Election 2022 Opinion Poll   UP 2022 Election Campaign highlights  UP Election 2022 live  Akhilesh Yadav vs Yogi Adityanath    up chunav 2022   UP Election 2022   up election news in hindi   up election 2022 district wise    UP Election 2022 Public Opinion    यूपी चुनाव न्यूज
क्या जाटलैंड के राजनीतिक समीकरणों से प्रभावित होगा यूपी चुनाव, इस बार किसे नफा और किसे नुकसान

हालांकि करीब तीन वर्ष पूर्व मुज़फ़्फ़रनगर के सिसौली में किसानों की महापंचायत में जाट और मुसलमान एक साथ आए और दोनों समुदायों ने अपनी-अपनी 'ग़लतियों को मानकर उन्हें सुधारने' का संकल्प भी लिया. महापंचायत के मंच से जाट किसान नेताओं ने चौधरी अजीत सिंह का समर्थन नहीं करने के लिए ख़ेद भी जताया. इस महापंचायत के बाद से पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति ने करवट ले ली और भाजपा की चिंताएं बढ़ा दीं. जब कृषि क़ानूनों को लेकर वार्ता के कई दौर विफल हो गए और इन क़ानूनों पर गतिरोध बढ़ने लगा तो जाटों ने खुलकर भाजपा के ख़िलाफ़ आवाज़ उठानी शुरू कर दी. नतीजा ये हुआ कि चुनाव के क़रीब आते आते, भाजपा अपनी रणनीति पर विचार करने पर मजबूर होने लगी.

पश्चिम की 90 सीटों पर जाट निभाते हैं अहम भूमिका

'सेंटर फ़ॉर द स्टडी ऑफ़ डेवलपिंग सोसाइटीज़' यानी 'सीएसडीएस' की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2014 में हुए विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को 77 प्रतिशत जाटों का वोट मिला जो 2019 के लोकसभा के चुनावों में बढ़कर 91 प्रतिशत हो गया. विश्लेषक कहते हैं कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 120 विधानसभा सीटों में से लगभग 90 ऐसी सीटें हैं जहां जाटों के वोट निर्णायक भूमिका निभाते हैं.

मौजूदा विधानसभा चुनावों में वेस्ट का जाट किसका साथ देगा? आरएलडी उनका भरोसा जीतेगा या नहीं यह तो वक्त ही बताएगा. फिलहाल यहां के जाटों में केंद्र और प्रदेश की सरकारों की तरफ से किसान आंदोलन, गन्ना मूल्य भुगतान, 15 साल पुराने ट्रैक्टर की बंदी आदि मुद्दों को लेकर नाराजगी साफ देखी जा रही है. इस बदलाव पर बीजेपी की भी पैनी नजर है.

खाप पंचायत का भी खासा असर

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी हरियाणा की तरह खाप पंचायतों को खासा जोर है. हालांकि मिश्रित आबादी होने के चलते इसका उतना असर नहीं दिखता जितना कि हरियाणा में है. इसके बावजूद खाप चौधरियों का अपना ही रुतबा है. वे हमेशा खुद को अराजनीतिक बताते आए हैं. बालियान खाप के मुखिया चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने 1991 के चुनाव में बड़े ही तरीके से बीजेपी को वोट देने का इशारा कर दिया था. 1996 में भारतीय किसान कामगार पार्टी (वर्तमान राष्ट्रीय लोकदल) के पक्ष में टिकैत ने वोट देने को कह दिया था.

2007 में खतौली विधानसभा क्षेत्र से महेंद्र सिंह टिकैत के पुत्र और भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने चुनाव लड़ा लेकिन वह हार गए. 2012 में अमरोहा लोकसभा सीट से भी राकेश को हार का मुंह देखना पड़ा. कई बार सियासी दलों ने खाप चौधरियों के पसंदीदा को प्रत्याशी बनाकर बड़ा दाव खेलने की कोशिश की लेकिन वे सफल नहीं होते दिखे.

वहीं, कलस्यान खाप राजनीति दोनों में ही सक्रिय हैं. चौधरी मुख्तयार सिंह खाप चौधरी रहे और बाबू हुकुम सिंह राजनीति में बड़ा नाम कमाया. हालांकि बालियान खाप के चौधरी नरेश टिकैत कहते हैं कि खाप हमेशा सामाजिक संगठन हैं. हमारा किसी भी प्रत्याशी या दल के प्रति न तो समर्थन है और न विरोध करते है.

RLD-SP के गठबंधन ने इस तरह बांटी हैं टिकटें

हाथरस के सादाबाद से प्रदीप चौधरी गुड्ड (रालोद), छाता से तेजपाल सिंह (रालोद), आगरा कैंट से कुंअर सिंह वकील (सपा), फतेहपुर सीकरी से ब्रिजेश चाहर (रालोद), मथुरा के गोवर्धन से प्रीतम सिंह (रालोद), जाट बहुल बल्देव से बबीता देवी (रालोद), आगरा देहात से महेश कुमार जाटव (रालोद), बाह से मधुसूदन शर्मा (सपा) और खैरागढ़ से रौतान सिंह (रालोद) को मैदान में उतारा गया है.

UP Assembly Election 2022  Uttar Pradesh Assembly Election 2022  UP Election 2022 Prediction   UP Election Results 2022   UP Election 2022 Opinion Poll   UP 2022 Election Campaign highlights  UP Election 2022 live  Akhilesh Yadav vs Yogi Adityanath    up chunav 2022   UP Election 2022   up election news in hindi   up election 2022 district wise    UP Election 2022 Public Opinion    यूपी चुनाव न्यूज
क्या जाटलैंड के राजनीतिक समीकरणों से प्रभावित होगा यूपी चुनाव, इस बार किसे नफा और किसे नुकसान

यह भी पढ़ें : लखीमपुर खीरी हिंसाः हाईकोर्ट ने गृह राज्य मंत्री के बेटे की जमानत पर फैसला सुरक्षित किया

वहीं, कैराना से सपा के नाहिद हसन को, शामली से प्रसन्न चौधरी (रालोद), खतौली से राजपाल सिंह सैनी (रालोद), नहटौर से मुंशी राम (रालोद), किठौर से शाहिद मंजूर (सपा), लोनी से मदन भैया (रालोद), चरथावल से पंकज मलिक (सपा), पुरकाजी से अनिल कुमार (रालोद), मोदीनगर से सुरेश शर्मा (रालोद), हापुड़ के धौलाना से असलम चौधरी (सपा), हापुड़ से गजराज सिंह (रालोद), बुलंदशहर से हाजी यूनुस (रालोद), बुलंदशहर के स्याना से दिलनवाज खान (रालोद), साहिबाबाद से अमर पाल शर्मा (सपा), अलीगढ़ के खैर से भगवती प्रसाद सूर्यवंशी (रालोद), कोल से सलमान सईद (सपा) मेरठ से रफीक अंसार (सपा), बागपत से अहमद हमीद (रालोद), जेवर से अवतार सिंह भड़ाना (रालोद) और अलीगढ़ से जफर आलम (सपा) को गठबंधन ने टिकट दिया है.

छह दर्जन सीटों पर था भाजपा का कब्जा

पिछले विधानसभा चुनाव 2017 को देखें तो पश्चिमी यूपी की करीब 6 दर्जन से अधिक सीटों पर भाजपा का कब्जा था लेकिन, इस बार के विधानसभा चुनाव में गठबंधन (सपा-रालोद) किसान आंदोलन, दलित, मुस्लिम और जाट वोटों को भुना भाजपा का खेल बिगाड़ने में लगी हुई है.

भाजपा चल रही विकास का कार्ड

उधर, भाजपा अपने 'विकास' कार्ड के जरिए गठबंधन के मनसूबों पर पानी फेर सकती है. दरअसल, भाजपा पश्चिमी यूपी के वोट बैंक को साधने के लिए कई विकास योजानाओं का लोकार्पण और एलान कर रही है. किसानों खासकर जाटों को लुभाने के लिए योगी सरकार ने निजी नलकूपों के लिए बिजली दरें 50 फीसदी घटा दी है. सरकार का दावा है कि किसानों के गन्ना फसल पर भी लाभ दिया गया है.

वहीं, पीएम मोदी ने गंगा-एक्सप्रेस-वे का लोकार्पण कर पश्चिम से पूर्व तक वोटरों पर अपना 'विकास का दांव' खेला है. मोदी जेवर एयरपोर्ट, मेरठ में ध्यानचंद विश्वविद्यालय, राजा महेंद्र प्रताप सिंह विश्वविद्यालय का शिलान्यास कर विपक्षी दलों को मजबूत संदेश दे चुके हैं. वहीं, बागपत, शामली, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर होते हुए 12 हजार करोड़ की लागत से बनने वाले दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस-वे बनाने की एलान किया गया है जो भाजपा के लिए बड़ा तुरुप का पत्ता साबित हो सकता है. कुल मिलाकर जिस तरह से सपा-रालोद के 'जाति कार्ड' को भाजपा 'विकास कार्ड' के जरिए पश्चिम में भेदने में लगी है, उससे यूपी का चुनावी खेल दिलचस्प होता दिखाई दे रहा है.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इन खाप पंचायतों का दबदबा

गठवाला-मलिक, शरपा, दहिया, बत्तीसा, सलकलायन-तोमर, बालियान-रघुवंशी, सुजाल, छपरौली चौबीसी, राणा, कालखंडे, लाटियान, राठौड़-राठी , कर्णवाल, चवालीसा, तगा-त्यागी, चौहान मेरठवासा, बदनू प्रमुख खाप हैं. इसके अलावा सादात-ए-बारहा मुस्लिम (सैय्यद), कलस्यान-चौहान (गुर्जर) खाप पंचायतें हैं जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खासा दबदबा रखतीं हैं.

मेरठ : विधानसभा चुनावों को लेकर डुगडुगी बज चुकी है. अब 10 फरवरी को मेरठ समेत 11 जिलों की 58 विधानसभा सीटों पर पहले चरण का चुनाव कराया जाएगा. कुल 7 चरणों में 403 विधानसभा सीटों पर चुनाव होना है. इस बीच सबसे बड़ा प्रश्न पश्चिमी उत्तर प्रदेश की करीब 110 सीटों का है जो जिनपर जाट और गुर्जर वोटों का खासा दबदबा है. हालांकि ऐसा नहीं है कि यही वोट यहां जीत और हार निर्धारित करते हैं, पर यह वोट महत्वपूर्ण जरूर हैं.

गौरतलब है कि शुगर बाउल, किसान बेल्ट, जाट लैंड, जाट-मुस्लिम एकता की प्रयोगशाला और न जाने कितने ही नामों से उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपनी पहचान रखने वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश इन दिनों काफी महत्वपूर्ण हो गया है. पश्चिम में एक कहावत भी है कि 'जिसका जाट उसके ठाठ'. इसकी एक वजह यह भी है कि चौधराहट करने वाले जाट समाज के पीछे अन्य जातियों का रुझान भी यहां तय होता रहा है. पर इस बार किसानों के मुद्दे को लेकर जिस तरह जाट और गुर्जर समाज एक हुआ, उसने पश्चिम में राजनीति के नए आयाम के संकेत देने शुरू कर दिए. पश्चिम से इस बार का सियासी माहौल, और चुनावी दंगल पर खास रिपोर्ट..

क्या जाटलैंड के राजनीतिक समीकरणों से प्रभावित होगा यूपी चुनाव, इस बार किसे नफा और किसे नुकसान

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाटों की स्थिति

यूपी में जाटों की आबादी करीब 4 फीसदी है जबकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इनकी आबादी 18 फीसदी है. वहीं, मुस्लिम आबादी भी यूपी में जहां 18 फीसदी है वहीं पश्चिम में यह औसतन 32 फीसदी मानी जाती है. ऐसे ही दलित मतदाता यूपी में 21 फीसदी है जबकि पश्चिमी यूपी में 26 फीसदी के करीब है. इनमें 80 फीसदी जाटव शामिल है.

कुल मिलाकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दलित, मुस्लिम के बाद तीसरे नंबर पर जाट वोटर ही आते हैं. जाटों के रुख से सहारनपुर मंडल की तीन सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, कैराना, मेरठ मंडल की पांच मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, बुलंदशहर, मुरादाबाद मंडल की बिजनौर, मुरादाबाद, संभल, अमरोहा, नगीना, अलीगढ़ मंडल की हाथरस, अलीगढ़, फतेहपुर सीकरी आदि 18 सीटों का रुख तय होता है. इन 18 लोकसभा सीटों में 110 विधानसभा सीटों पर जाट वोट असर रखता है.

UP Assembly Election 2022  Uttar Pradesh Assembly Election 2022  UP Election 2022 Prediction   UP Election Results 2022   UP Election 2022 Opinion Poll   UP 2022 Election Campaign highlights  UP Election 2022 live  Akhilesh Yadav vs Yogi Adityanath    up chunav 2022   UP Election 2022   up election news in hindi   up election 2022 district wise    UP Election 2022 Public Opinion    यूपी चुनाव न्यूज
क्या जाटलैंड के राजनीतिक समीकरणों से प्रभावित होगा यूपी चुनाव, इस बार किसे नफा और किसे नुकसान

हरिशंकर जोशी कहते हैं कि ऐसे में सपा का अन्य दलों से गठबंधन, जाटलैंड में राष्ट्रीय लोकदल का साथ और आरएलडी को सहानुभूति वोट गठबंधन को मजबूत करता है और बीजेपी को कड़ी चुनौती भी देता दिखाई देता है.

वहीं, राजनीतिक विश्लेषक पवन शर्मा बताते हैं कि वेस्टर्न यूपी में जाट मजबूत स्थिति में हैं. हालांकि जो विकास वेस्टर्न यूपी में पिछले कुछ वर्षों में हुआ है, उससे ये समझा जा सकता है कि अब जातिवाद से उठकर विकास के नाम पर वोट दिए जा रहे हैं.

UP Assembly Election 2022  Uttar Pradesh Assembly Election 2022  UP Election 2022 Prediction   UP Election Results 2022   UP Election 2022 Opinion Poll   UP 2022 Election Campaign highlights  UP Election 2022 live  Akhilesh Yadav vs Yogi Adityanath    up chunav 2022   UP Election 2022   up election news in hindi   up election 2022 district wise    UP Election 2022 Public Opinion    यूपी चुनाव न्यूज
क्या जाटलैंड के राजनीतिक समीकरणों से प्रभावित होगा यूपी चुनाव, इस बार किसे नफा और किसे नुकसान

मुजफ्फरनगर दंगे ने बदल दिया सामाजिक ताना बाना

2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कई दलों की सोशल इंजीनिरिंग को तार तार कर दिया था. राजनीतिक और सामाजिक ताना बाना पूरी तरह बदल गया. बीएसपी का दलित-मुस्लिम, आरएलडी का जाट-मुस्लिम और एसपी का मुस्लिम-पिछड़ा समीकरण पूरी तरह ध्वस्त हो गया.

दंगे के बाद यहां चौधरी चरण सिंह के वक्त तैयार हुआ सियासी 'अजगर' यानी अहीर, जाट, गुर्जर और राजपूत और 'मजगर' मतलब मुसलमान, जाट, गुर्जर और राजपूत की एकजुटता भी धराशाही हो गई थी. हालांकि बीजेपी ने सवर्ण वोटों के साथ जाट और दूसरे पिछड़ों को साधकर 2014 में कामयाबी हासिल की थी. यहां तक कि किसानों की लड़ाई लड़ने वाले महेंद्र सिंह टिकैत का परिवार भी इस किसान बिरादरी (जाटों) को बीजेपी के पक्ष में जाने से नहीं रोक पाया था. दंगे के साथ कैराना से पलायन, लव जिहाद जैसे मुद्दों से खाई बढ़ती चली गई.

UP Assembly Election 2022  Uttar Pradesh Assembly Election 2022  UP Election 2022 Prediction   UP Election Results 2022   UP Election 2022 Opinion Poll   UP 2022 Election Campaign highlights  UP Election 2022 live  Akhilesh Yadav vs Yogi Adityanath    up chunav 2022   UP Election 2022   up election news in hindi   up election 2022 district wise    UP Election 2022 Public Opinion    यूपी चुनाव न्यूज
क्या जाटलैंड के राजनीतिक समीकरणों से प्रभावित होगा यूपी चुनाव, इस बार किसे नफा और किसे नुकसान

हालांकि करीब तीन वर्ष पूर्व मुज़फ़्फ़रनगर के सिसौली में किसानों की महापंचायत में जाट और मुसलमान एक साथ आए और दोनों समुदायों ने अपनी-अपनी 'ग़लतियों को मानकर उन्हें सुधारने' का संकल्प भी लिया. महापंचायत के मंच से जाट किसान नेताओं ने चौधरी अजीत सिंह का समर्थन नहीं करने के लिए ख़ेद भी जताया. इस महापंचायत के बाद से पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति ने करवट ले ली और भाजपा की चिंताएं बढ़ा दीं. जब कृषि क़ानूनों को लेकर वार्ता के कई दौर विफल हो गए और इन क़ानूनों पर गतिरोध बढ़ने लगा तो जाटों ने खुलकर भाजपा के ख़िलाफ़ आवाज़ उठानी शुरू कर दी. नतीजा ये हुआ कि चुनाव के क़रीब आते आते, भाजपा अपनी रणनीति पर विचार करने पर मजबूर होने लगी.

पश्चिम की 90 सीटों पर जाट निभाते हैं अहम भूमिका

'सेंटर फ़ॉर द स्टडी ऑफ़ डेवलपिंग सोसाइटीज़' यानी 'सीएसडीएस' की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2014 में हुए विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को 77 प्रतिशत जाटों का वोट मिला जो 2019 के लोकसभा के चुनावों में बढ़कर 91 प्रतिशत हो गया. विश्लेषक कहते हैं कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 120 विधानसभा सीटों में से लगभग 90 ऐसी सीटें हैं जहां जाटों के वोट निर्णायक भूमिका निभाते हैं.

मौजूदा विधानसभा चुनावों में वेस्ट का जाट किसका साथ देगा? आरएलडी उनका भरोसा जीतेगा या नहीं यह तो वक्त ही बताएगा. फिलहाल यहां के जाटों में केंद्र और प्रदेश की सरकारों की तरफ से किसान आंदोलन, गन्ना मूल्य भुगतान, 15 साल पुराने ट्रैक्टर की बंदी आदि मुद्दों को लेकर नाराजगी साफ देखी जा रही है. इस बदलाव पर बीजेपी की भी पैनी नजर है.

खाप पंचायत का भी खासा असर

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी हरियाणा की तरह खाप पंचायतों को खासा जोर है. हालांकि मिश्रित आबादी होने के चलते इसका उतना असर नहीं दिखता जितना कि हरियाणा में है. इसके बावजूद खाप चौधरियों का अपना ही रुतबा है. वे हमेशा खुद को अराजनीतिक बताते आए हैं. बालियान खाप के मुखिया चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने 1991 के चुनाव में बड़े ही तरीके से बीजेपी को वोट देने का इशारा कर दिया था. 1996 में भारतीय किसान कामगार पार्टी (वर्तमान राष्ट्रीय लोकदल) के पक्ष में टिकैत ने वोट देने को कह दिया था.

2007 में खतौली विधानसभा क्षेत्र से महेंद्र सिंह टिकैत के पुत्र और भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने चुनाव लड़ा लेकिन वह हार गए. 2012 में अमरोहा लोकसभा सीट से भी राकेश को हार का मुंह देखना पड़ा. कई बार सियासी दलों ने खाप चौधरियों के पसंदीदा को प्रत्याशी बनाकर बड़ा दाव खेलने की कोशिश की लेकिन वे सफल नहीं होते दिखे.

वहीं, कलस्यान खाप राजनीति दोनों में ही सक्रिय हैं. चौधरी मुख्तयार सिंह खाप चौधरी रहे और बाबू हुकुम सिंह राजनीति में बड़ा नाम कमाया. हालांकि बालियान खाप के चौधरी नरेश टिकैत कहते हैं कि खाप हमेशा सामाजिक संगठन हैं. हमारा किसी भी प्रत्याशी या दल के प्रति न तो समर्थन है और न विरोध करते है.

RLD-SP के गठबंधन ने इस तरह बांटी हैं टिकटें

हाथरस के सादाबाद से प्रदीप चौधरी गुड्ड (रालोद), छाता से तेजपाल सिंह (रालोद), आगरा कैंट से कुंअर सिंह वकील (सपा), फतेहपुर सीकरी से ब्रिजेश चाहर (रालोद), मथुरा के गोवर्धन से प्रीतम सिंह (रालोद), जाट बहुल बल्देव से बबीता देवी (रालोद), आगरा देहात से महेश कुमार जाटव (रालोद), बाह से मधुसूदन शर्मा (सपा) और खैरागढ़ से रौतान सिंह (रालोद) को मैदान में उतारा गया है.

UP Assembly Election 2022  Uttar Pradesh Assembly Election 2022  UP Election 2022 Prediction   UP Election Results 2022   UP Election 2022 Opinion Poll   UP 2022 Election Campaign highlights  UP Election 2022 live  Akhilesh Yadav vs Yogi Adityanath    up chunav 2022   UP Election 2022   up election news in hindi   up election 2022 district wise    UP Election 2022 Public Opinion    यूपी चुनाव न्यूज
क्या जाटलैंड के राजनीतिक समीकरणों से प्रभावित होगा यूपी चुनाव, इस बार किसे नफा और किसे नुकसान

यह भी पढ़ें : लखीमपुर खीरी हिंसाः हाईकोर्ट ने गृह राज्य मंत्री के बेटे की जमानत पर फैसला सुरक्षित किया

वहीं, कैराना से सपा के नाहिद हसन को, शामली से प्रसन्न चौधरी (रालोद), खतौली से राजपाल सिंह सैनी (रालोद), नहटौर से मुंशी राम (रालोद), किठौर से शाहिद मंजूर (सपा), लोनी से मदन भैया (रालोद), चरथावल से पंकज मलिक (सपा), पुरकाजी से अनिल कुमार (रालोद), मोदीनगर से सुरेश शर्मा (रालोद), हापुड़ के धौलाना से असलम चौधरी (सपा), हापुड़ से गजराज सिंह (रालोद), बुलंदशहर से हाजी यूनुस (रालोद), बुलंदशहर के स्याना से दिलनवाज खान (रालोद), साहिबाबाद से अमर पाल शर्मा (सपा), अलीगढ़ के खैर से भगवती प्रसाद सूर्यवंशी (रालोद), कोल से सलमान सईद (सपा) मेरठ से रफीक अंसार (सपा), बागपत से अहमद हमीद (रालोद), जेवर से अवतार सिंह भड़ाना (रालोद) और अलीगढ़ से जफर आलम (सपा) को गठबंधन ने टिकट दिया है.

छह दर्जन सीटों पर था भाजपा का कब्जा

पिछले विधानसभा चुनाव 2017 को देखें तो पश्चिमी यूपी की करीब 6 दर्जन से अधिक सीटों पर भाजपा का कब्जा था लेकिन, इस बार के विधानसभा चुनाव में गठबंधन (सपा-रालोद) किसान आंदोलन, दलित, मुस्लिम और जाट वोटों को भुना भाजपा का खेल बिगाड़ने में लगी हुई है.

भाजपा चल रही विकास का कार्ड

उधर, भाजपा अपने 'विकास' कार्ड के जरिए गठबंधन के मनसूबों पर पानी फेर सकती है. दरअसल, भाजपा पश्चिमी यूपी के वोट बैंक को साधने के लिए कई विकास योजानाओं का लोकार्पण और एलान कर रही है. किसानों खासकर जाटों को लुभाने के लिए योगी सरकार ने निजी नलकूपों के लिए बिजली दरें 50 फीसदी घटा दी है. सरकार का दावा है कि किसानों के गन्ना फसल पर भी लाभ दिया गया है.

वहीं, पीएम मोदी ने गंगा-एक्सप्रेस-वे का लोकार्पण कर पश्चिम से पूर्व तक वोटरों पर अपना 'विकास का दांव' खेला है. मोदी जेवर एयरपोर्ट, मेरठ में ध्यानचंद विश्वविद्यालय, राजा महेंद्र प्रताप सिंह विश्वविद्यालय का शिलान्यास कर विपक्षी दलों को मजबूत संदेश दे चुके हैं. वहीं, बागपत, शामली, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर होते हुए 12 हजार करोड़ की लागत से बनने वाले दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस-वे बनाने की एलान किया गया है जो भाजपा के लिए बड़ा तुरुप का पत्ता साबित हो सकता है. कुल मिलाकर जिस तरह से सपा-रालोद के 'जाति कार्ड' को भाजपा 'विकास कार्ड' के जरिए पश्चिम में भेदने में लगी है, उससे यूपी का चुनावी खेल दिलचस्प होता दिखाई दे रहा है.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इन खाप पंचायतों का दबदबा

गठवाला-मलिक, शरपा, दहिया, बत्तीसा, सलकलायन-तोमर, बालियान-रघुवंशी, सुजाल, छपरौली चौबीसी, राणा, कालखंडे, लाटियान, राठौड़-राठी , कर्णवाल, चवालीसा, तगा-त्यागी, चौहान मेरठवासा, बदनू प्रमुख खाप हैं. इसके अलावा सादात-ए-बारहा मुस्लिम (सैय्यद), कलस्यान-चौहान (गुर्जर) खाप पंचायतें हैं जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खासा दबदबा रखतीं हैं.

Last Updated : Jan 18, 2022, 10:20 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.