मेरठ: कोरोना महामारी के चलते हुए लॉकडाउन के बाद सभी शिक्षण संस्थाएं बंद चल रही हैं. कुछ शिक्षण संस्थाओं ने ऑनलाइन कोर्स तो पूरा करा दिया है, लेकिन प्रैक्टिकल को लेकर समस्याएं सामने आ रही हैं. ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ रहा है सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय के छात्रों को. पीजी फाइनल ईयर के छात्रों को फील्ड प्रैक्टिकल के लिए धान की फसल का ट्रायल लगाना होता है, लेकिन इस समय यूनिवर्सिटी शिक्षण कार्य के लिए बंद होने की वजह से छात्र अपने इस ट्रायल प्रैक्टिकल को करने में असमर्थ हैं.
शिक्षक को दी फील्ड प्रैक्टिकल की नई व्यवस्था
इस समस्या को देखते हुए एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने इस बार फील्ड प्रैक्टिकल के लिए नई व्यवस्था की है. इस व्यवस्था के तहत पीजी स्टूडेंट्स का जो एडवाइजर यानी शिक्षक होगा, वहीं फील्ड प्रदर्शन के लिए क्रॉप लगाएगा. इस समय धान की रोपाई का समय है, इसलिए एडवाइजर स्टूडेंट्स द्वारा चयनित प्रजाति का धान खेत में लगवाएगा. कुलसचिव डॉ. बीआर सिंह ने बताया कि जब तक स्टूडेंट लाॅकडाउन की स्थिति सामान्य होने तक यूनिवर्सिटी में वापस नहीं आएंगे तब तक एडवाइजर को ही खेत में लगाई गई क्रॉप की निगरानी करनी होगी. जैसा स्टूडेंट्स कहेगा वैसा ही शिक्षक को फील्ड ट्रायल में उसकी बताई क्रॉप को खाद पानी देने की व्यवस्था करानी होगी.
फसल लगाने से लेकर उत्पादन तक का होता है डाटा तैयार
इसमें स्टूडेंट्स हीजनल क्राप का चयन करता है. इसमें छात्र फसल लगाने से लेकर उत्पादन होने तक का डाटा तैयार करता है. कितना उसने फसल में खाद दिया, कितनी बार पानी दिया, उसका पूरा रिकॉर्ड तैयार किया जाता है. यह सब करने के बाद फसल का कितना उत्पादन हुआ, यह उसके प्रैक्टिकल के आंकड़ों में शामिल रहता है. फसल के उत्पादन और गुणवत्ता के अनुसार ही उसे प्रैक्टिकल में नंबर दिए जाते हैं, लेकिन लाॅकडाउन की वजह से अपने स्टूडेंट्स अपने घरों पर हैं. यूनिवर्सिटी शिक्षण कार्य के लिए बंद है.
3 जुलाई से शुरू होगी परीक्षा
कुलसचिव डॉ. बीआर सिंह ने बताया कि यूनिवर्सिटी पीजी के दूसरे टर्म की परीक्षा 3 से 10 जुलाई के बीच ऑनलाइन कराने की तैयारी कर रहा है, जबकि वार्षिक परीक्षा 13 से 17 जुलाई के बीच शुरू कराने की तैयारी की जा रही है. कुलसचिव ने बताया कि शेष जो भी परीक्षा और प्रैक्टिकल हैं, शासन के दिशा निर्देशानुसार कराए जाएंगे. सभी स्टूडेंट्स को इस संबंध में सूचना दे दी गई है.
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