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लव जिहाद पर बने अध्यादेश का SC अधिवक्ता फराह फैज ने किया स्वागत

सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता फराह फैज ने यूपी सरकार के लव जिहाद के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि इस अध्यादेश से युवतियों की सुरक्षा हो सकेगी. साथ ही जबरन धर्म परिवर्तन के मामले में भी कमी आएगी.

फराह फैज
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Published : Nov 25, 2020, 8:44 AM IST

मेरठ: लव जिहाद को लेकर मंगलवार को यूपी सरकार की कैबिनेट बैठक में अध्यादेश पर फाइनल मुहर लग गई है. केबिनेट के इस फैसले की तारीख भी हो रही है. सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक मामले की अधिवक्ता रही फराह फैज ने भी इस अध्यादेश की सराहना की है. अधिवक्ता फराह फैज का कहना है कि इस अध्यादेश से न सिर्फ लव जिहाद के मामलों पर अंकुश लगेगा, बल्कि शादी के लिए जबरन धर्म परिवर्तन की घटनाओं में भी कमी आएगी.

लव जिहाद अध्यादेश पर फराह फैज का बयान.

लव जिहाद के खिलाफ क्यों आया अध्यादेश

उत्तर प्रदेश सरकार ने कैबिनेट बैठक में लव जिहाद पर अंकुश लगाने के लिए उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म सम परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020 पास किया है. इससे लव जिहाद के मामलों में काफी हद तक कमी आएगी. अक्सर देखा जाता है कि अपनी पहचान छिपाकर कुछ लोग न सिर्फ लड़कियों को बहला फुसला लेते थे, बल्कि उन्हें घर से भगा ले जाते थे. उनका शारीरिक एवं यौन शोषण करते थे. वहीं निकाह के नाम पर उन्हें जबरन धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर भी करते थे. ऐसे में इस कानून के लागू होने से इन मामलों पर काफी नियंत्रण पाया जा सकेगा.

युवतियों में जानकारी का अभाव

सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता फराह फैज ने बताया कि लड़कियां नियम, कानून एवं धार्मिक जानकारी नहीं होने की वजह से मजबूरीवश लव जिहाद का शिकार हो जाती हैं. इसलिए पढ़ाई-लिखाई के साथ सामाजिक, धार्मिक और कानून की जानकारी होना लड़कियों के लिए बहुत जरूरी है. क्योंकि लव जेहाद में फंसी युवतियों के पास घर वापसी का कोई रास्ता नहीं होता. परिजन लोक लाज के डर से पहले ही किनारा कर लेते हैं.

अपराध की श्रेणी में आया धर्म परिवर्तन

यूपी सरकार ने शादी के लिए धर्म परिवर्तन और लव जिहाद के खिलाफ विधेयक पारित कर इसे अपराध की श्रेणी में रखा है. यूपी केबिनेट ने इस तरह के विवाह को शून्य करार दिया है. जबरन धर्म परिवर्तन कराकर शादी करना अपराध माना जाएगा. इसके चलते बेटियों को गुमराह कर लव जिहाद में फंसाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का प्रावधान लाया गया है.

सजा का प्रावधान

सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता फराह फैज ने बताया कि यूपी सरकार का यह फैसला सराहनीय है. लव जिहाद के खिलाफ बनाये गए कानून में पांच साल की सजा और 15 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान रखा गया है. अगर शादी के लिए सामूहिक रूप से धर्म परिवर्तन कराया जाता है तो ऐसी संस्थाओं का पंजीकरण भी निरस्त कराया जाना तय है. इलाहाबाद हाईकोर्ट अपने एक फैसले में यह साफ कर चुका है कि शादी करने के लिए धर्म परिवर्तन जरूरी नहीं है. कोर्ट ने कहा है कि स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत दो समुदाय के लोग शादी कर सकते हैं, इसके लिए लोगों का जागरूक होना भी जरूरी है.

उन्होंने बताया कि अगर लव जिहाद का यह अध्यादेश लड़कियों की अस्मिता को सोचकर उनकी डिग्निटी को बचाने के लिए और उनकी सुरक्षा के लिए लाया गया है तो बहुत ही अच्छी बात है. अगर इसे राजनीति के लिए लाया गया है तो इससे गिरी हुई बात कोई और नहीं हो सकती. लव जिहाद के खिलाफ बनाये गए कानून पर अब राजनीति न होकर इसे कानून की शक्ल दे देनी चाहिए, ताकि लड़कियों की सुरक्षा हो सके और जबरदस्ती के धर्म परिवर्तन की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके. इस कानून के आने से हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्मों के लोग सुरक्षित रह सकेंगे. इससे बिना वजह की साम्प्रदायिक तनाव से भी मुक्ति मिल सकती है.

मेरठ: लव जिहाद को लेकर मंगलवार को यूपी सरकार की कैबिनेट बैठक में अध्यादेश पर फाइनल मुहर लग गई है. केबिनेट के इस फैसले की तारीख भी हो रही है. सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक मामले की अधिवक्ता रही फराह फैज ने भी इस अध्यादेश की सराहना की है. अधिवक्ता फराह फैज का कहना है कि इस अध्यादेश से न सिर्फ लव जिहाद के मामलों पर अंकुश लगेगा, बल्कि शादी के लिए जबरन धर्म परिवर्तन की घटनाओं में भी कमी आएगी.

लव जिहाद अध्यादेश पर फराह फैज का बयान.

लव जिहाद के खिलाफ क्यों आया अध्यादेश

उत्तर प्रदेश सरकार ने कैबिनेट बैठक में लव जिहाद पर अंकुश लगाने के लिए उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म सम परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020 पास किया है. इससे लव जिहाद के मामलों में काफी हद तक कमी आएगी. अक्सर देखा जाता है कि अपनी पहचान छिपाकर कुछ लोग न सिर्फ लड़कियों को बहला फुसला लेते थे, बल्कि उन्हें घर से भगा ले जाते थे. उनका शारीरिक एवं यौन शोषण करते थे. वहीं निकाह के नाम पर उन्हें जबरन धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर भी करते थे. ऐसे में इस कानून के लागू होने से इन मामलों पर काफी नियंत्रण पाया जा सकेगा.

युवतियों में जानकारी का अभाव

सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता फराह फैज ने बताया कि लड़कियां नियम, कानून एवं धार्मिक जानकारी नहीं होने की वजह से मजबूरीवश लव जिहाद का शिकार हो जाती हैं. इसलिए पढ़ाई-लिखाई के साथ सामाजिक, धार्मिक और कानून की जानकारी होना लड़कियों के लिए बहुत जरूरी है. क्योंकि लव जेहाद में फंसी युवतियों के पास घर वापसी का कोई रास्ता नहीं होता. परिजन लोक लाज के डर से पहले ही किनारा कर लेते हैं.

अपराध की श्रेणी में आया धर्म परिवर्तन

यूपी सरकार ने शादी के लिए धर्म परिवर्तन और लव जिहाद के खिलाफ विधेयक पारित कर इसे अपराध की श्रेणी में रखा है. यूपी केबिनेट ने इस तरह के विवाह को शून्य करार दिया है. जबरन धर्म परिवर्तन कराकर शादी करना अपराध माना जाएगा. इसके चलते बेटियों को गुमराह कर लव जिहाद में फंसाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का प्रावधान लाया गया है.

सजा का प्रावधान

सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता फराह फैज ने बताया कि यूपी सरकार का यह फैसला सराहनीय है. लव जिहाद के खिलाफ बनाये गए कानून में पांच साल की सजा और 15 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान रखा गया है. अगर शादी के लिए सामूहिक रूप से धर्म परिवर्तन कराया जाता है तो ऐसी संस्थाओं का पंजीकरण भी निरस्त कराया जाना तय है. इलाहाबाद हाईकोर्ट अपने एक फैसले में यह साफ कर चुका है कि शादी करने के लिए धर्म परिवर्तन जरूरी नहीं है. कोर्ट ने कहा है कि स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत दो समुदाय के लोग शादी कर सकते हैं, इसके लिए लोगों का जागरूक होना भी जरूरी है.

उन्होंने बताया कि अगर लव जिहाद का यह अध्यादेश लड़कियों की अस्मिता को सोचकर उनकी डिग्निटी को बचाने के लिए और उनकी सुरक्षा के लिए लाया गया है तो बहुत ही अच्छी बात है. अगर इसे राजनीति के लिए लाया गया है तो इससे गिरी हुई बात कोई और नहीं हो सकती. लव जिहाद के खिलाफ बनाये गए कानून पर अब राजनीति न होकर इसे कानून की शक्ल दे देनी चाहिए, ताकि लड़कियों की सुरक्षा हो सके और जबरदस्ती के धर्म परिवर्तन की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके. इस कानून के आने से हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्मों के लोग सुरक्षित रह सकेंगे. इससे बिना वजह की साम्प्रदायिक तनाव से भी मुक्ति मिल सकती है.

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