मेरठः पिछले नौ दिनों से लगातार मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा-अर्चना की जा रही है. मेरठ के गंगानगर की रहने वाली नम्रता ऐसे लोगों की सेवा में लगी हैं, जिन्हें अपनों ने ही ठुकरा दिया है. नम्रता इन दिनों ऐसे 32 बुजुर्गों की सेवा कर रहीं हैं. जिनका इस दुनिया में कोई सहारा नहीं है. उन्होंने कहा कि उनके लिए सच्ची पूजा-बुजुर्गों की सेवा करनी है. आइए जानते हैं किस तरह वह बुजुर्गों की मदद कर रहीं हैं.
बुजुर्गों की सेवा कर रहीं मेरठ की नम्रता
इन दिनों शारदीय नवरात्रि 2023 का महीना चल रहा है. माता दुर्गा के भक्त उनके अलग-अलग रूपों की हर दिन पूजा-पाठ कर रहे हैं.ऐसे में कुछ बुजुर्ग लोग हैं, जिन्हें उनके अपनों ने ही ठुकरा दिया है. वह अपनों की आस में इधर-उधर भटक रहे हैं. जिनकी सेवा करने वाला कोई नहीं है. लेकिन ऐसे बुजुर्गों की सेवा मेरठ की नम्रता कर रही हैं.
बुजुर्ग महिला और पुरुषों ने बताया
नम्रता ने बताया कि उन्होंने अपनी प्राइवेट नौकरी छोड़ दी और पति से अपनी इच्छा बताने के बाद एक भवन किराए पर ले लिया. उस मकान में वह बेसहारा बुजुर्गों को वहां आश्रय देकर उनकी सेवा करनी शुरू कर दी. इतना ही नहीं, वह बुजुर्गों की तमाम जरूरतों को भी पूरा करने का प्रयास करती हैं. ऐसे में इन बुजुर्ग महिला और पुरुषों ने भी ईटीवी भारत से अपनी पीड़ा बताते हुए भावुक हो गए.
किराए के भवन में रहते हैं बुजुर्ग
सबसे खास बात यह है कि नम्रता द्वारा लिए गए किराए के इस भवन में रहने वाले सभी बुजुर्गों के परिवार हैं. लेकिन उनके बुजुर्ग होने से परिवार ने उन्हें ठुकरा दिया. कई बुजुर्ग महिलाएं तो यहां ऐसी हैं जिनकी मानसिक स्थिति भी ठीक नहीं है. इसके बाद भी नम्रता उनकी सेवा करने में लगी रहती हैं.
बुजुर्गों ने कहा परिवार सो कौन बिछड़ना चाहता है
नम्रता के किराए के भवन में रहने वाली एक बुजुर्ग महिला अपना नाम पार्वती बताती हैं. साथ ही अपने पति का नाम महादेव बताती हैं. वहीं, मिथलेश नाम की बुजुर्ग महिला ने कहा कि कौन अपने परिवार से बिछड़ना चाहता है. लेकिन हमेशा दुत्कार मिलने से लोग परिवार छोड़ ही देते हैं. एक बुजुर्ग महिला मीरा ने बताया कि 2006 में उनके पति की मौत हो गई थी. उनके मुंबई में दो मकान भी हैं. लेकिन उनकी प्रॉपर्टी को उनके रिश्तेदारों ने हथिया कर उन्हें दर-दर भटकने के लिए छोड़ दिया. ऐसे ही अन्य बुजुर्ग महिला और पुरुषों ने अपनी-अपनी आपबीती सुनाई.
परिवार के लोग हैं उच्च पदों पर अधिकारी
यहां रहने वाले कई बुजुर्गों ने बताया कि जब उन्हें सहारे की जरूरत थी. उस वक्त उन्हें उनके अपनों ने ही ठुकरा दिया. ऐसे में वह अब कहां जांए. इसके अलावा कई बुजुर्गों ने तो बताया कि उनके परिवार के लोग उच्च पदों पर अधिकारी हैं. जबकि कुछ के बेटे या बेटी विदेश में अपने परिवार के साथ रहते हैं. इसके बाद भी उन्हें उनकी याद नहीं आती है. ऐसे में उनके लिए तो अब सिर्फ नम्रता ही सब कुछ हैं.
बुजुर्गों को अम्मा और बाबा कहकर बुलाती हैं नम्रता
बता दें कि यहां रहने वाली हर बुजुर्ग महिला को नम्रता अम्मा और बुजुर्ग पुरुषों को बाबा कहकर पुकारती हैं. नम्रता ने कहा कि बुजुर्गों की सेवा करने में उन्हें मन की शांति मिलती है.वह बुजुर्गों की सेवा करती रहेंगी. उन्हें बुजुर्गों की सेवा करके खुशी मिलती है.