मेरठः किसानों की आय बढ़ने के लिए सरकार हर मुमकिन प्रयास कर रही है. इसी कड़ी में गन्ना किसानों के लिए नई प्रजातियों को विकसित किया जा रहा है. गन्ना विभाग ने तीन ऐसी प्रजातियों को तैयार किया है, जिनको बीमारी भी कम लगेगी और उससे किसानों की आय भी बढ़ेगी. इनमें से एक नई प्रजाति लखनऊ में जबकि दो को मुजफ्फरनगर में तैयार किया गया है.
जिले के उप गन्ना आयुक्त राजेश मिश्रा ने बताया कि इन तीनों नई वैरायटी को अलग-अलग नर्सरी में तैयार करके किसानों को सीमित मात्रा में बीज बनाने के लिए दिया जा रहा है. उनका कहना है कि वेस्ट यूपी में किसान गन्ने की खेती पर अधिक भरोसा करते हैं. ऐसे में इन तीन नई वैराइटी वाले बीज किसानों के लिए बेहद ही अधिक मुनाफा देने वाले हैं.
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गन्ना विकास संस्थान मुजफ्फरनगर के निदेशक डॉ. वीनेश कुमार सिंह ने बताया कि किसान लंबे समय से गन्ने की खेती कर रहे हैं. करीब दस वर्ष हो चुके हैं, तब से पश्चिम के किसानों ने सी ओ 0238 अर्ली प्रजाति की बुवाई करनी शुरू की है. तब से भारत में पश्चिमी उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर गन्ना उत्पादन में आ गया है. लेकिन एक ही प्रजाति की सौ प्रतिशत बुवाई किए जाने के कारण इस प्रजाति में कीड़ों और कीटों को झेलने की प्रतिरोधक क्षमता खत्म होने लगी है. आमतौर पर देखा जाता है कि किसान गन्ना उगाने के लिए अधिक बीज का उपयोग करते हैं. वे कहते हैं कि, अधिक बीज से फसल अच्छी नहीं हो सकती बल्कि गन्ना विभाग द्वारा जो पैरामीटर्स बताए जाते हैं. उस आधार से खेती करके अधिक पैदावार की जा सकती है. एक हैक्टेयर में सिर्फ 25 हजार पौधे लगाने चाहिए, जो बुवाई करते हैं उसमें दो आंख से ज्यादा न हों.
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मेरठ के किनोनी में स्थित शुगर मिल के यूनिट हेड केपी. सिंह ने बताया कि गन्ने की प्रगतिशील अर्ली प्रजाति सीओ 15023, सीओ 13235 और सीओ 14201 ये तीन वे प्रजातियां हैं, जिनकी सलाह गन्ना किसानों को दी जा रही है. .
मिल के गन्ना महाप्रबंधक परोपकार सिंह ने बताया कि क्षेत्र के प्रगतिशील किसान, गन्ना वैज्ञानिक, गन्ना विभाग के अधिकारियों के बीच बेहतर सामंजस्य बनाकर तीन नई प्रजातियों को उगाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि किसान कई बार एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में अंधाधुंध किटनाशकों का उपयोग करते हैं, उससे कोई फायदा नहीं होता.
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