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जानिए क्या है करवा चौथ व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि...

पति-पत्नी के प्रेम का प्रतीक करवा चौथ का त्योहार मनाने की तैयारियां जोर शोर से चल रही हैं. इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए न सिर्फ निर्जला व्रत रखती हैं. बल्कि शिव-पार्वती और शिव परिवार की पूजा करती हैं. इस वर्ष करवा चौथ का क्या है शुभ मुहूर्त और पूजन विधि बता रहे हैं ज्योतिषाचार्य पंडित रोहित वशिष्ठ...

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करवा चौथ.
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Published : Nov 3, 2020, 6:53 PM IST

मेरठ: पति-पत्नी के प्रेम का प्रतीक करवा चौथ का त्योहार मनाने की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. एक शुभ मुहूर्त में कहानी सुनने के बाद सुहागिन महिलाएं शिव-पार्वती से आशीर्वाद प्राप्त करती हैं. इस बार जहां सभी त्योहारों पर कोरोना वायरस का असर देखा जा रहा है. वहीं बुधवार को करवा चौथ का दिन विशेष संगोग भी बन रहा है. इस सहयोग को शिव योग कहा जा रहा है. बुधवार को शिव योग में शिव परिवार की पूजा करने से घर परिवार में सुख समृध्दि और खुशहाली आती हैं. ज्योतिषाचार्य पंडित रोहित वशिष्ठ के मुताबिक करवा चौथ की कलश स्थापना के बाद कथा सुनने लिए सुबह 11 से 12 बजे और दोपहर बाद 2:40 बजे से शाम 5: 30 बजे तक दो प्रकार के शुभमुहूर्त है. जबकि 12:10 बजे से 1:30 बजे तक राहुकाल की दशा रहेगी.

करवा चौथ शुभ मुहूर्त.

कथा सुनने का शुभ मुहूर्त
पंडित रोहित वशिष्ठ ने बताया कि इस बार कथा करने एवं सुनने के लिए दो मुहूर्त निकल रहे हैं. पहला मुहूर्त सुबह 11:00 बजे से लेकर दोपहर 12:00 बजे तक रहेगा है और 12:10 से 1: 30 मिनट तक राहुकाल है. राहुकाल के चलते सावधानी बरतने की आवश्यकता है. उसके पश्चात दोपहर 2:40 बजे से 5:30 बजे तक दूसरा शुभ मुहूर्त है. इन दो मुहूर्त में कथा करने से विशेष फल मिलेगा.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में शाम 8:10 बजे निकलेगा चांद
पंडित रोहित के मुताबिक चंद्र उदय का समय पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रात्रि 8:10 है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश मेरठ सहारनपुर इत्यादि के आसपास लगभग 8:10 चन्द्र उदय होगा. इस बार शिव नामक योग में मृगशिरा नक्षत्र में बुधवार के दिन यह व्रत आया है. नयन अपने आप में विशेष संयोग है. ऐसा अवसर बहुत वर्षों बाद आता है. इसलिए उसमें बड़े पवित्रता एवं सावधानी के साथ इस व्रत को करें. ऐसा करने से महिलाओं और पुरुषों की मनोवांछित इच्छाएं अवश्य पूर्ण होगी.

व्रत में किन सावधानियों का रखे ध्यान
पंडित जी के मुताविक करवा चौथ के व्रत में कई प्रकार की सावधानी रखनी होती हैं. इस व्रत में विशेष सावधानी रखने की बात यह है कि किसी भी प्रकार से व्रत खंडित नहीं होना चाहिए. मन में उभाव नहीं आना चाहिए और सावधानी पूर्वक चंद्रमा के निकलने पर चंद्रमा को अर्घ देने के बाद व्रत पूर्ण माना जाता है. इसलिए चंद्र उदय होने तक व्रत भंग नहीं होना चाहिए.

विशेष संयोग लेकर आ रहा बुधवार का दिन
इस वर्ष करवा चौथ का व्रत विशेष संयोग लेकर आ रहा है. इस बार बुधवार के दिन करवा चौथ का त्योहार मनाया जा रहा है और बुधवार को भगवान गणेश जी का दिन माना जाता है. खास बात ये है शिव नाम के योग में यह व्रत आया है. भगवान शिव स्वंम परमेश्वर हैं. कल्याणकारी अर्थ के रूप में शिव कहा गया है. शिव का अर्थ है कल्याण करने वाला और मृगशिरा नक्षत्र, जो चंद्रमा का नक्षत्र है. इस नक्षत्र को मन की शांति के लिए विशेष रूप से माना गया है. चंद्रमा की पूजा करने से मन शांत रहता है. इन सुंदर योगों के साथ उलिस बार करवा चौथ का व्रत मनाया जा रहा है. स्त्रियों को भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी और कार्तिकेय की पूजा करते हुए इस व्रत को करना चाहिए.

क्यों मनाते हैं करवा चौथ का त्योहार
पंडित रोहित वशिष्ठ ने ETV भारत से बातचीत में बताया कि करवा चौथ व्रत को हमारे धर्म शास्त्रों में वर्क चतुर्थी व्रत भी कहते हैं. इस व्रत के विषय में वामन पुराण में भी विस्तार बताया गया है. करवा चौथ का व्रत पत्नियां अपने पति की दीर्घायु की कामना के लिए रखती है. इस व्रत में विशेष रूप से भगवान शिव, मां पार्वती के साथ श्री गणेश और श्री कार्तिक की भी पूजा की जाती है. सुहागिन महिलाओं द्वारा करवा चौथ का व्रत करने से पति को दीर्घायु प्राप्त होती है. पत्नी की भी मन वांछित कामनाएं पूरी होती हैं.

द्रोपदी ने पांडव के लिए रखा था करवा चौथ का व्रत
वामन पुराण के अनुसार श्रीकृष्ण ने द्रोपति को इस व्रत के बारे में बताया था. अज्ञातवास के समय मे जब पांचो पांडव वन में संकट झेल रहे थे. उस समय द्रोपती ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा कि मेरे संकटों का निवारण कैसे होगा. तब भगवान श्रीकृष्ण ने इस द्रोपदी को इस व्रत को करने की सलाह दी थी. जिसके बाद द्रोपदी ने करवा चौथ का व्रत रखा और विधि विधान से शिव परिवार की पूजा पाठ की थी. पंडित रोहित वशिष्ठ ने बताया कि इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने किया था. मान्यता है कि तभी से इस बात का प्रचलन आरंभ हुआ है.

मेरठ: पति-पत्नी के प्रेम का प्रतीक करवा चौथ का त्योहार मनाने की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. एक शुभ मुहूर्त में कहानी सुनने के बाद सुहागिन महिलाएं शिव-पार्वती से आशीर्वाद प्राप्त करती हैं. इस बार जहां सभी त्योहारों पर कोरोना वायरस का असर देखा जा रहा है. वहीं बुधवार को करवा चौथ का दिन विशेष संगोग भी बन रहा है. इस सहयोग को शिव योग कहा जा रहा है. बुधवार को शिव योग में शिव परिवार की पूजा करने से घर परिवार में सुख समृध्दि और खुशहाली आती हैं. ज्योतिषाचार्य पंडित रोहित वशिष्ठ के मुताबिक करवा चौथ की कलश स्थापना के बाद कथा सुनने लिए सुबह 11 से 12 बजे और दोपहर बाद 2:40 बजे से शाम 5: 30 बजे तक दो प्रकार के शुभमुहूर्त है. जबकि 12:10 बजे से 1:30 बजे तक राहुकाल की दशा रहेगी.

करवा चौथ शुभ मुहूर्त.

कथा सुनने का शुभ मुहूर्त
पंडित रोहित वशिष्ठ ने बताया कि इस बार कथा करने एवं सुनने के लिए दो मुहूर्त निकल रहे हैं. पहला मुहूर्त सुबह 11:00 बजे से लेकर दोपहर 12:00 बजे तक रहेगा है और 12:10 से 1: 30 मिनट तक राहुकाल है. राहुकाल के चलते सावधानी बरतने की आवश्यकता है. उसके पश्चात दोपहर 2:40 बजे से 5:30 बजे तक दूसरा शुभ मुहूर्त है. इन दो मुहूर्त में कथा करने से विशेष फल मिलेगा.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में शाम 8:10 बजे निकलेगा चांद
पंडित रोहित के मुताबिक चंद्र उदय का समय पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रात्रि 8:10 है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश मेरठ सहारनपुर इत्यादि के आसपास लगभग 8:10 चन्द्र उदय होगा. इस बार शिव नामक योग में मृगशिरा नक्षत्र में बुधवार के दिन यह व्रत आया है. नयन अपने आप में विशेष संयोग है. ऐसा अवसर बहुत वर्षों बाद आता है. इसलिए उसमें बड़े पवित्रता एवं सावधानी के साथ इस व्रत को करें. ऐसा करने से महिलाओं और पुरुषों की मनोवांछित इच्छाएं अवश्य पूर्ण होगी.

व्रत में किन सावधानियों का रखे ध्यान
पंडित जी के मुताविक करवा चौथ के व्रत में कई प्रकार की सावधानी रखनी होती हैं. इस व्रत में विशेष सावधानी रखने की बात यह है कि किसी भी प्रकार से व्रत खंडित नहीं होना चाहिए. मन में उभाव नहीं आना चाहिए और सावधानी पूर्वक चंद्रमा के निकलने पर चंद्रमा को अर्घ देने के बाद व्रत पूर्ण माना जाता है. इसलिए चंद्र उदय होने तक व्रत भंग नहीं होना चाहिए.

विशेष संयोग लेकर आ रहा बुधवार का दिन
इस वर्ष करवा चौथ का व्रत विशेष संयोग लेकर आ रहा है. इस बार बुधवार के दिन करवा चौथ का त्योहार मनाया जा रहा है और बुधवार को भगवान गणेश जी का दिन माना जाता है. खास बात ये है शिव नाम के योग में यह व्रत आया है. भगवान शिव स्वंम परमेश्वर हैं. कल्याणकारी अर्थ के रूप में शिव कहा गया है. शिव का अर्थ है कल्याण करने वाला और मृगशिरा नक्षत्र, जो चंद्रमा का नक्षत्र है. इस नक्षत्र को मन की शांति के लिए विशेष रूप से माना गया है. चंद्रमा की पूजा करने से मन शांत रहता है. इन सुंदर योगों के साथ उलिस बार करवा चौथ का व्रत मनाया जा रहा है. स्त्रियों को भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी और कार्तिकेय की पूजा करते हुए इस व्रत को करना चाहिए.

क्यों मनाते हैं करवा चौथ का त्योहार
पंडित रोहित वशिष्ठ ने ETV भारत से बातचीत में बताया कि करवा चौथ व्रत को हमारे धर्म शास्त्रों में वर्क चतुर्थी व्रत भी कहते हैं. इस व्रत के विषय में वामन पुराण में भी विस्तार बताया गया है. करवा चौथ का व्रत पत्नियां अपने पति की दीर्घायु की कामना के लिए रखती है. इस व्रत में विशेष रूप से भगवान शिव, मां पार्वती के साथ श्री गणेश और श्री कार्तिक की भी पूजा की जाती है. सुहागिन महिलाओं द्वारा करवा चौथ का व्रत करने से पति को दीर्घायु प्राप्त होती है. पत्नी की भी मन वांछित कामनाएं पूरी होती हैं.

द्रोपदी ने पांडव के लिए रखा था करवा चौथ का व्रत
वामन पुराण के अनुसार श्रीकृष्ण ने द्रोपति को इस व्रत के बारे में बताया था. अज्ञातवास के समय मे जब पांचो पांडव वन में संकट झेल रहे थे. उस समय द्रोपती ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा कि मेरे संकटों का निवारण कैसे होगा. तब भगवान श्रीकृष्ण ने इस द्रोपदी को इस व्रत को करने की सलाह दी थी. जिसके बाद द्रोपदी ने करवा चौथ का व्रत रखा और विधि विधान से शिव परिवार की पूजा पाठ की थी. पंडित रोहित वशिष्ठ ने बताया कि इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने किया था. मान्यता है कि तभी से इस बात का प्रचलन आरंभ हुआ है.

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