मेरठ : जिस तरह गठबंधन के नेताओं को प्रचार के दौरान जनसमर्थन मिल रहा था, उस तरह से परिणाम नहीं आए. लिहाजा गठबंधन के नेताओं को विचार-विमर्श और चिंतन-मंथन करना चाहिए. ये कहना है समाजवादी पार्टी के नेता व पूर्व कैबिनेट मंत्री शाहिद मंजूर का.
उन्होंने कहा कि काफी सीटें रहीं हैं जहां कांटे का मुकाबला था. जीत हार का अंतर बेहद कम था. उनका आरोप है कि ऐसी विधानसभा सीटों को तो सरकारी तंत्र पी गया. हालांकि वे मानते हैं कि 2017 से बेहतर स्थिति हुई है. उन्होंने कहा कि गठबंधन की वजह से पश्चिम में अच्छा चुनाव लड़ा है.
शाहिद मंजूर ने किठौर विधानसभा सीट से जीत दर्ज कराई है. उन्होंने बीजेपी के पश्चिमी यूपी के कई बड़े चेहरों की हार को गिनाते हुए कहा कि बीजेपी के प्रति लोगों में नाराजगी थी. यही वजह है कि पार्टी के कई कद्दावर नेता और मंत्री भी चुनाव हार गए.
पूर्व कैबिनेट मंत्री ने भाजपा सरकार की नीतियों पर तंज कसा. उन्होंने गन्ना बेल्ट से आने वाले गन्ना मंत्री सुरेश राणा का जिक्र करते हुए कहा कि गन्नामंत्री अगर चुनाव हारता है तो इससे यह स्पष्ट होता है कि गन्ने और किसानों के प्रति बीजेपी की सोच ठीक नहीं रही.
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उन्होंने कहा कि बहुत सी ऐसी सीटें हैं जहां दो हजार या उससे भी कम मार्जिन से बीजेपी जीती है. पूर्व कैबिनेट मंत्री का आरोप है कि ऐसी कई सीट गठबंधन की रही हैं जहां दो प्रत्याशियों के बीच बेहद कम अंतर था. उन्होंने कहा कि ऐसी जगहों की सीटों को तो सरकारी तंत्र पी गया.
शाहिद मंजूर का मानना है कि गठबंधन ने ठीक प्रदर्शन किया है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि गठबंधन की ही सफलता है कि मेरठ की सिवालखास विधानसभा सीट पर गठबंधन जीती है. अपेक्षित परिणाम न आने पर शाहिद मंजूर कहते हैं कि गठबंधन के नेताओं को समीक्षा करनी चाहिए कि कहां चूक हुई.
किठौर से बीजेपी के प्रत्याशी को हराकर विधायक बने पूर्वमंत्री शाहिद मंजूर का कहना है कि वे खुद भी गठबंधन की वजह से जीते हैं. उन्होंने जिले के अफसरों की तारीफ करते हुए कहा कि वे शुक्रिया अता करते हैं जिले के उन अधिकारियों का जिन्होंने पारदर्शिता व निष्पक्षता से चुनाव कराया.
उन्होंने कहा कि ऐसे ही अधिकारी होने चाहिए जो दूध का दूध और पानी का पानी करें. शाहिद मंजूर का कहना है कि जितना बड़ा जनसमर्थन गठबंधन के नेताओं को मिल रहा था, प्रचार के दौरान उस हिसाब से परिणाम नहीं आए.
उन्होंने कहा कि उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष जिस तरह जनता के बीच गए और जनता का अपार जनसमर्थन उन्हें प्राप्त हुआ, उस तरह के परिणाम नहीं आए. उन्होंने कहा कि गठबंधन के नेताओं को मंथन चिंतन और विचार विमर्श करने की जरूरत है. हालांकि वे मानते हैं कि पिछली बार से इस बार बेहतर परिणाम रहे हैं लेकिन संतोषजनक नहीं हैं.