मेरठ: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक भी चिड़ियाघर नहीं है, लेकिन अब मेरठ में चिड़ियाघर बनेगा. इसके लिए वाकायदा प्लान तैयार कर लिया गया है. वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने इसके लिए स्थान भी चिह्नित कर लिया है. हालांकि ये जू आम चिड़ियाघरों से अलग मिनी जू (MINI ZOO) होगा. सरकार ने प्रदेश में मिनी चिड़ियाघर खोलने का मन बनाया था. इसके बाद अब मेरठ के सुंदरवन में मिनी जू खोलने का प्रस्ताव तैयार किया गया है.
आमतौर पर देखा जाता है कि जू के प्रति बच्चों में खास उत्साह होता है, लेकिन क्षेत्रफल के लिहाज से अपना प्रदेश काफी बड़ा है. ऐसे में अभी तक पश्चिमी यूपी में कोई चिड़ियाघर नहीं था, लेकिन अब सरकार की मंशा के मुताबिक मेरठ में आगामी समय में बच्चों का ज्ञानवर्धन व मनोरंजन हो सकेगा. मेरठ के वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने मेरठ के सुंदरवन में मिनी जू बनाने का प्रपोजल तैयार करके शासन को भेज दिया है.
चिड़ियाघर में आकर लोग जागरूक तो होते ही हैं, साथ ही उन्हें वन्यजीवों के बारे में रोचक जानकारी भी हांसिल होती है. बच्चो में खास क्रेज भी चिड़ियाघर को लेकर हमेशा से देखा गया है. इसी दिशा में सरकार भी कार्य कर रही है. डीएफओ राजेश कुमार ने बताया कि सरकार चाहती है कि प्रदेश में मिनी जू स्थापित हों, जिसके लिए मेरठ और मुरादाबाद में इसकी तैयारी है. डीएफओ ने बताया कि मिनी जू का क्योंकि क्षेत्रफल भी कम रहेगा, इस वजह से वहां बड़े वन्यजीवों को जगह मिल पाना मुश्किल होगा. छोटे और अलग-अलग प्रजातियों के वन्यजीवों यहां रखा जाएगा. इस बात पर विशेष ध्यान रहेगा कि वन्यजीवों से लोगों का जुड़ाव बने व मिनी जू सभी को अपनी ओर आकर्षित कर सकने में सफल हो.
इस बारे में प्रभागीय निदेशक राजेश कुमार ने बताया कि शहरी क्षेत्र में मिनी जू बनाने के लिए शासन से निर्देश पूर्व में हुए थे. उन्होंने कहा कि कोई भी चिड़ियाघर होता है तो उससे शहर की भी एक पहचान बनती है. उन्होंने कहा कि ज़ू का अपना महत्व है. उन्होंने बताया कि कानपुर, लखनऊ और गोरखपुर में बड़े चिड़ियाघर हैं.
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मेरठ के संजयवन में पूर्व में भी मिनी जू था. 1992 तक मिनी चिड़ियाघर हुआ करता था. सुंदरवन को पर्यटन के लिहाज से पहले से ही महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है. वर्तमान में भी यहां काफी कुछ ऐसा है जो हर किसी को लुभाता है. ऐसे में मिनी जू बनने से यहां प्रकृति से जुड़ाव के साथ-साथ लोग वन्यजीवों के बारे में भी जान पाएंगे. जिम्मेदार अधिकारियों का मानना है कि इस दिशा में सरकार भी गम्भीर है.