लखनऊ : सरकारी अस्पतालों में कहीं पर दंत चिकित्सकों की फौज तैनात है, तो कहीं एक भी डॉक्टर न होने से मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है. बलरामपुर अस्पताल में PMS कैडर के 4 पद के सापेक्ष आठ BDS डॉक्टर और सुपर स्पेशलिटी यूनिट में सात MDS डॉक्टर तैनात हैं.
मड़ियांव की रहने वाली सलोनी वर्मा के दांत में दर्द उठने पर वे इलाज के लिए जानकीपुरम ट्रॉमा सेंटर गईं. यहां दंत चिकित्सक न होने पर डॉक्टर ने उन्हें बड़े सरकारी अस्पताल जाने की सलाह दी. साथ ही दर्द निवारक दवा दे दी. बलरामपुर अस्पताल में बीडीएस व एमडीएस मिलाकर करीब 15 डेंटल सर्जन तैनात हैं. इस अव्यवस्था के चलते मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है. इससे वे निजी अस्पताल के चक्कर लगाने को मजबूर हैं.
ये सभी विशेषज्ञ NHM के जरिये तैनात किए गए हैं. अस्पताल प्रशासन का कहना है डेंटल की सुपर स्पेशलिटी यूनिट में सात अलग-अलग विधा के विशेषज्ञ तैनात हैं. इनके जरिये मरीजों को सेवाएं मुहैया कराई जा रही हैं. बीकेटी स्थित रामसागर मिश्रा संयुक्त अस्पताल में एक दंत चिकित्सक तैनात हैं. इनके अवकाश पर जाने से मरीज परेशान होते हैं.
सिविल अस्पताल में दो BDS डॉक्टर तैनात हैं. बीआरडी महानगर, रानीलक्ष्मीबाई, ठाकुरगंज संयुक्त अस्पताल में दो-दो बीडीएस डॉक्टर तैनात हैं. किसी भी अस्पताल में MDS विशेषज्ञ नहीं है. नतीजा, मरीजों को दांत से जुड़ी गंभीर बीमारी के इलाज के लिए बलरामपुर या फिर केजीएमयू की डेंटल यूनिट में जाना पड़ रहा है.
बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ. सुशील प्रकाश ने कहा कि अस्पताल में बीडीएस के चार पद स्वीकृत हैं. इसके सापेक्ष यहां आठ डॉक्टर तैनात हैं. इसकी सूचना स्वास्थ्य महानिदेशक को भेजी गई है. ताकि, डॉक्टरों को दूसरे अस्पताल में संबद्ध किया जा सके. वहीं स्वास्थ्य महानिदेशक डॉक्टर रतन पाल सिंह सुमन ने कहा कि इस मामले में जानकारी प्राप्त हुई है. देखा जा रहा है कि सरकारी अस्पताल में कितने चिकित्सक है और उनके पद क्या है. उसके हिसाब से जहां पर पद से अधिक डॉक्टर तैनात हैं, वहां से चिकित्सकों को अस्पताल में तैनात किया जाएगा, जहां पर पद रिक्त हैं.
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