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कौन थी देश की इकलौती महिला मुख्य चुनाव आयुक्त, जानिए कितना रहा कार्यकाल - INDIA FIRST WOMAN CEC

वी.एस. रमादेवी ने देश की पहली महिला मुख्य चुनाव आयुक्त बनकर इतिहास रच दिया था. हालांकि वह मात्र 16 दिनों तक ही पद पर रहीं.

V S Ramadevi
वी.एस. रमादेवी (X @INCIndia)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 17, 2025, 4:43 PM IST

हैदराबाद : विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में चुनाव की अपनी अलग महत्ता है. ऐसे में लोकसभा चुनाव के अलावा अलग-अलग राज्यों के होने वाले विधानसभा चुनावों को शांतिपूर्ण व निष्पक्ष कराने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की होती है. इस वजह से चुनाव आयोग का दायित्व काफी महत्वपूर्ण होता है. वहीं चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) की भूमिका सबसे अहम होती है. लेकिन हम आपको देश की पहली महिला मुख्य चुनाव आयुक्त के बारे में बताएंगे, जिनको बहुत कम लोग ही जानते होंगे.

महज 16 दिनों का था कार्यकाल
वी.एस.रमादेवी ने राज्यसभा की महासचिव के अलावा कर्नाटक की राज्यपाल बनने वाली पहली महिला भी थीं. बता दें कि वी.एस.रमादेवी को 26 नवंबर 1990 को भारत की मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया था. इसके साथ ही उन्होंने इतिहास बना दिया था. हालांकि रमादेवी के नाम सबसे कम समय तक के कार्यकाल का भी रिकॉर्ड है. उनका कार्यकाल 11 दिसंबर 1990 को खत्म हो गया था, जो महज 16 दिनों तक चला था.

उनके कार्यकाल में नहीं हुए एक भी चुनाव
रमादेवी का जन्म आंध्र प्रदेश के पश्चिम गोदावरी जिले में 1934 में हुआ था. वह वकालत की पढ़ाई के बाद नेता बनी. इतना ही नहीं मुख्य चुनाव आयुक्त रहते हुए उनके कार्यकाल में एक भी बार चुनाव नहीं हुआ. रमादेवी के बाद सीईसी के पद पर आईएएस टीएन शेषन आए जिनकों निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए याद किया जाता है.

बता दें कि देश की पहली मुख्य चुनाव आयुक्त रहने के बाद वीएस रमादेवी ने राज्यसभा की महासचिव का पदभार भी संभाला था. इसके बाद उन्होंने 1997 से 1999 तक हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल के रूप में काम किया. वहीं 1999 से 2002 तक कर्नाटक की पहली महिला राज्यपाल के रूप पदभार संभाला. वीएस रमादेवी की वर्ष 2013 में 79 वर्ष की आयु में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी.

ये भी पढ़ें- कल रिटायर हो रहे मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार, नए CEC की नियुक्ति के लिए पीएम मोदी की अगुवाई में आज बैठक

हैदराबाद : विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में चुनाव की अपनी अलग महत्ता है. ऐसे में लोकसभा चुनाव के अलावा अलग-अलग राज्यों के होने वाले विधानसभा चुनावों को शांतिपूर्ण व निष्पक्ष कराने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की होती है. इस वजह से चुनाव आयोग का दायित्व काफी महत्वपूर्ण होता है. वहीं चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) की भूमिका सबसे अहम होती है. लेकिन हम आपको देश की पहली महिला मुख्य चुनाव आयुक्त के बारे में बताएंगे, जिनको बहुत कम लोग ही जानते होंगे.

महज 16 दिनों का था कार्यकाल
वी.एस.रमादेवी ने राज्यसभा की महासचिव के अलावा कर्नाटक की राज्यपाल बनने वाली पहली महिला भी थीं. बता दें कि वी.एस.रमादेवी को 26 नवंबर 1990 को भारत की मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया था. इसके साथ ही उन्होंने इतिहास बना दिया था. हालांकि रमादेवी के नाम सबसे कम समय तक के कार्यकाल का भी रिकॉर्ड है. उनका कार्यकाल 11 दिसंबर 1990 को खत्म हो गया था, जो महज 16 दिनों तक चला था.

उनके कार्यकाल में नहीं हुए एक भी चुनाव
रमादेवी का जन्म आंध्र प्रदेश के पश्चिम गोदावरी जिले में 1934 में हुआ था. वह वकालत की पढ़ाई के बाद नेता बनी. इतना ही नहीं मुख्य चुनाव आयुक्त रहते हुए उनके कार्यकाल में एक भी बार चुनाव नहीं हुआ. रमादेवी के बाद सीईसी के पद पर आईएएस टीएन शेषन आए जिनकों निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए याद किया जाता है.

बता दें कि देश की पहली मुख्य चुनाव आयुक्त रहने के बाद वीएस रमादेवी ने राज्यसभा की महासचिव का पदभार भी संभाला था. इसके बाद उन्होंने 1997 से 1999 तक हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल के रूप में काम किया. वहीं 1999 से 2002 तक कर्नाटक की पहली महिला राज्यपाल के रूप पदभार संभाला. वीएस रमादेवी की वर्ष 2013 में 79 वर्ष की आयु में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी.

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