मेरठ: वेस्ट यूपी में पपीते की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक प्रदेश सरकार के साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग के साथ मिलकर किसानों की आय बढ़ाने की योजना पर काम कर रहे हैं. इसके तहत पपीते की खेती को बढ़ावा देने और इसका लाभ किसानों को पहुंचाने पर काम किया जा रहा है. बाजार में पूरे वर्ष पपीते की डिमांड रहती है. ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि पपीते की खेती किसानों की आय बढ़ाने में बहुत कारगर साबित होगी.
सहफसली खेती का सबसे बड़ा फायदा यह है कि किसान एक समय में दो से अधिक फसल की पैदावार कर सकता है. डाॅ. सेंगर ने बताया कि वेस्ट यूपी के किसान मुख्य रूप से गन्ने की खेती करते हैं. ऐसे में यदि वह पपीते की खेती करते हैं, तो उन्हें ज्यादा आर्थिक लाभ होगा.
पौध लगाने का उपयुक्त समय
डाॅ. सेंगर ने बताया कि इस समय पपीते की पौध खेत में लगाने का उपयुक्त समय है. यदि किसान जुलाई माह में पपीते की पौध लगाते हैं, तो उसका पूरा विकास होता है. बगीचे में पौध लगाते समय एक दूसरे के पौध के बीच की दूरी कम से कम डेढ़ मीटर होनी चाहिए. इसी तरह एक लाइन से दूसरी लाइन की दूरी भी एक से डेढ मीटर की होनी चाहिए. उन्होंने बताया कि लाइन के बीच की खाली जगह में किसान सहफसली खेती कर सकते हैं.
टिशू कल्चर लैब में तैयार हो रहे पौधे
पपीते की उन्नत प्रजाति विकसित करने के लिए कृषि विश्वविद्यालय की टिशु कल्चर लैब में पौध तैयार की जा रही है. डाॅ. सेंगर के अनुसार यह पौधा रोग रहित होता है. इसलिए उसका उत्पादन भी अच्छा होता है. उन्होंने बताया कि किसानों को इसकी जानकारी देने के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण भी दिया जाता है.