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MEERUT NEWS: बढ़ती महंगाई से किसान परेशान, बोले- सरकार अच्छी पर नहीं हो रहा काम - मेरठ में किसान परेशान

मेरठ में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियों ने अभी से ही कमर कसनी शुरू कर दी है. इस दौरान ईटावी भारत ने मेरठ के किसानों से सरकार के कामकाज के बारे में जानकारी ली तो किसानों ने सरकार की कमियों को उजागर करने में कोई कसर नहीं छोड़ाी.

बढ़ती महंगाई से किसान परेशान.
बढ़ती महंगाई से किसान परेशान.
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Published : Aug 28, 2021, 11:00 AM IST

Updated : Aug 28, 2021, 11:22 AM IST

मेरठ: प्रदेश में योगी सरकार के कार्यकाल का ये आखिरी साल है. 2022 में यूपी में विधानसभा के चुनाव होने हैं. ऐसे में अगर पश्चिमी उत्तरप्रदेश की बात की जाए तो पश्चिमी यूपी की राजनीति का केंद्र मेरठ को माना जाता है. सरकार के विकास के दावे और अन्नदाता के हितों के लिए सरकार की घोषणाएं यहां के किसानों को सम्मोहित करती नजर नहीं आ रही हैं. यही वजह है कि किसान सरकार की कमियों को उजागर करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. ईटीवी भारत ने मेरठ के कई अलग-अलग ग्रामीण इलाकों में पहुंचकर असल मुद्दों पर चर्चा की. जहां किसान सरकार को खूब आईना दिखाते नजर आ रहे हैं.

जिले के फफूंदा गांव के किसान नवीन भड़ाना कहते हैं कि कभी पश्चिमी यूपी को हरित प्रदेश बनाने का मुद्दा प्रमुख हुआ करता था. जोकि अब कहीं गुम हो गया. महंगाई इस समय सबसे बड़ा मुद्दा है. किसान-काश्तकार सभी महंगाई से परेशान है. किसान राजवीर कहते हैं कि सरकार अपने ताकत से चल तो रही है लेकिन पब्लिक से सरकार का वास्ता अभी नहीं पड़ा है. वो कहते हैं कि सरकार फ्री में राशन जैसे चावल गेंहू बांट रही है, लेकिन सरकार किसान के लिए कुछ नहीं कर पा रही है. किसानों की फसल का वाजिब दाम भी नहीं मिल रहा है.

जानकारी देते ग्रामीण.
युवा किसान सतीश कहते हैं कि सरकार उन्हें पसंद तो आई लेकिन कोई कामकाज नहीं कर रही. उन्होंने कहा कि सरकार ने महंगाई पर कोई रोक नहीं लगाई लिहाजा महंगाई चरम पर है. वो कहते हैं कि जैसे आज के राजनीतिक दलों के हालात हैं उससे तो विपक्ष की नैया पार लगनी मुश्किल ही दिख रही है.


कैली गांव के किसान राजवीर कहते हैं कि गन्ना किसानों को साढ़े 4 साल हो गए हैं. एक रुपये की बढोत्तरी गन्ना मूल्य में नहीं की गई. वहीं वो कहते हैं कि मजबूरी ये है कि सरकार ने कुछ नहीं किया, लेकिन जाएं तो जाएं कहां. किसान मूलचंद शर्मा ने बताया कि किसान सरकार की तरफ लगातार मुंह ताक रहा है कि किसान को सब्सिडी मिले, बिजली के बिलों पर नियंत्रण हो ,साथ ही गन्ना का भुगतान समय से हो, लेकिन वो कहते हैं कि ऐसा नहीं होने से सरकार की आलोचना किसानों में खूब हो रही है. कवट्ठे गांव के कालू का कहना है कि वो मजदूरी करते हैं लेकिन उनके पास कोई काम नहीं है. उन्होंने तमाम समस्याएं भी गिनाईं. साथ ही ये भी कहा कि सरकार जो भी बड़े फैसले लेगी. वह उनके साथ हैं. इस रिपोर्ट में सरकार को सभी लोग आईना तो दिखा ही रहे हैं खरी खरी भी सुना रहे हैं. मगर लोगों के पास कोई विकल्प भी तो नहीं है.

इसे भी पढ़ें- MSP पर बना कानून तो हर किसान को होगा 10-20,000 प्रति एकड़ का फायदा

मेरठ: प्रदेश में योगी सरकार के कार्यकाल का ये आखिरी साल है. 2022 में यूपी में विधानसभा के चुनाव होने हैं. ऐसे में अगर पश्चिमी उत्तरप्रदेश की बात की जाए तो पश्चिमी यूपी की राजनीति का केंद्र मेरठ को माना जाता है. सरकार के विकास के दावे और अन्नदाता के हितों के लिए सरकार की घोषणाएं यहां के किसानों को सम्मोहित करती नजर नहीं आ रही हैं. यही वजह है कि किसान सरकार की कमियों को उजागर करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. ईटीवी भारत ने मेरठ के कई अलग-अलग ग्रामीण इलाकों में पहुंचकर असल मुद्दों पर चर्चा की. जहां किसान सरकार को खूब आईना दिखाते नजर आ रहे हैं.

जिले के फफूंदा गांव के किसान नवीन भड़ाना कहते हैं कि कभी पश्चिमी यूपी को हरित प्रदेश बनाने का मुद्दा प्रमुख हुआ करता था. जोकि अब कहीं गुम हो गया. महंगाई इस समय सबसे बड़ा मुद्दा है. किसान-काश्तकार सभी महंगाई से परेशान है. किसान राजवीर कहते हैं कि सरकार अपने ताकत से चल तो रही है लेकिन पब्लिक से सरकार का वास्ता अभी नहीं पड़ा है. वो कहते हैं कि सरकार फ्री में राशन जैसे चावल गेंहू बांट रही है, लेकिन सरकार किसान के लिए कुछ नहीं कर पा रही है. किसानों की फसल का वाजिब दाम भी नहीं मिल रहा है.

जानकारी देते ग्रामीण.
युवा किसान सतीश कहते हैं कि सरकार उन्हें पसंद तो आई लेकिन कोई कामकाज नहीं कर रही. उन्होंने कहा कि सरकार ने महंगाई पर कोई रोक नहीं लगाई लिहाजा महंगाई चरम पर है. वो कहते हैं कि जैसे आज के राजनीतिक दलों के हालात हैं उससे तो विपक्ष की नैया पार लगनी मुश्किल ही दिख रही है.


कैली गांव के किसान राजवीर कहते हैं कि गन्ना किसानों को साढ़े 4 साल हो गए हैं. एक रुपये की बढोत्तरी गन्ना मूल्य में नहीं की गई. वहीं वो कहते हैं कि मजबूरी ये है कि सरकार ने कुछ नहीं किया, लेकिन जाएं तो जाएं कहां. किसान मूलचंद शर्मा ने बताया कि किसान सरकार की तरफ लगातार मुंह ताक रहा है कि किसान को सब्सिडी मिले, बिजली के बिलों पर नियंत्रण हो ,साथ ही गन्ना का भुगतान समय से हो, लेकिन वो कहते हैं कि ऐसा नहीं होने से सरकार की आलोचना किसानों में खूब हो रही है. कवट्ठे गांव के कालू का कहना है कि वो मजदूरी करते हैं लेकिन उनके पास कोई काम नहीं है. उन्होंने तमाम समस्याएं भी गिनाईं. साथ ही ये भी कहा कि सरकार जो भी बड़े फैसले लेगी. वह उनके साथ हैं. इस रिपोर्ट में सरकार को सभी लोग आईना तो दिखा ही रहे हैं खरी खरी भी सुना रहे हैं. मगर लोगों के पास कोई विकल्प भी तो नहीं है.

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Last Updated : Aug 28, 2021, 11:22 AM IST
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