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5 महीने से बेटे को छू भी नहीं पाए, कोरोना से जंग में जुटे डॉक्टर दंपति

कोविड-19 महामारी में कोरोना वारियर्स ने अहम भूमिका निभाई है. इनमें सफाईकर्मी से लेकर डॉक्टर्स शामिल हैं. इन्होंने अपनी जान की बाजी लगाकर लोगों की सेवा की है. ऐसे ही एक कोरोना वारियर्स दंपति मेरठ के हैं, जो पिछले 5 महीने से दिन-रात कोरोना मरीजों के इलाज में जुटे हैं और अपने 2 साल के मासूम बच्चे से 5 महीने से दूर हैं.

वीडियो कॉलिंग के जरिए अपने बच्चे से बात करते डॉक्टर दंपती.
वीडियो कॉलिंग के जरिए अपने बच्चे से बात करते डॉक्टर दंपती.
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Published : Aug 27, 2020, 1:32 PM IST

Updated : Aug 27, 2020, 4:00 PM IST

मेरठ: मेरठ के एक नामी सरकारी अस्पताल में तैनात महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. श्वेता महेश्वरी हर दूसरे दिन नवजातों को अपनी बाहों में लेती हैं, लेकिन पिछले पांच महीने से उन्होंने अपने दो साल के बेटे कुशाग्र से दूरी बना रखी है. श्वेता के पति डॉ संकेत त्यागी बाल रोग विशेषज्ञ हैं. दोनों की तैनाती मेरठ के एल.एल.आर.एम मेडिकल कॉलेज के कोविड वार्ड में है. दोनों ही इस साल मार्च के महीने से कोरोना मरीजों की देखभाल में लगे हुए हैं. इन्होंने अपने कर्तव्य को बड़ा माना और इसीलिए दोनों ने अपने बेटे और परिवार को छोड़कर अलग रहने का फैसला किया.

दोनों डॉक्टरों ने पिछले पांच महीने से अपने परिवार और दो साल के बेटे से दूरी बना रखी है. उनका बेटा अपने दादा-दादी के साथ पुश्तैनी घर में रह रहा है. डॉ. श्वेता महेश्वरी ने कहा कि अगर हम अपने बेटे और परिवार के साथ रहते तो उनके लिए कोरोना वायरस का जोखिम बढ़ जाता. इसलिए हम लोगों ने बेटे और परिवार से अलग रहने का फैसला किया. उन्होंने कहा कि जब मैं किसी नवजात को अपने हाथ में लेती हूं तो मुझे मेरा बेटा पास न होने के कारण दुख होता है. अब मैं अपने बेटे और परिवार से फोन पर बात कर लेती हूं.

डॉ. संकेत त्यागी ने कहा कि हम इन पांच महीने में केवल कुछ बार ही बेटे और परिवार से मिले. मुलाकात के समय, मैं और मेरी पत्नी एक कार में होते थे तो बेटा और परिवार के लोग दूसरी कार में, हम लोग दूर से ही बात करते थे. उन्होंने कहा कि बेटे को यह समझाना बेहद मुश्किल है कि हम दोनों उससे क्यों दूर हैं. दोनों का कहना है कि परिवार और बेटे से दूर रहना बेहद मुश्किल है, लेकिन कर्तव्य परिवार से बड़ा होता है. मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों की कमी भी है.

डॉ. श्वेता महेश्वरी ने कहा कि वो जब भी बेटे कुशाग्र से फोन पर बात करती हैं तो वो रोने लगता है और बातचीत इस वादे पर खत्म होती है कि हम लोग जल्द वापस आएंगे, लेकिन अभी जो हालात हैं, हम दोनों ये नहीं जानते हैं कि आखिर वो दिन कब आएगा.

अस्पताल में डॉक्टर्स 24-24 घंटे की ड्यूटी कर मरीजों का इलाज कर रहे हैं. ऐसे ही मेरठ के मेडिकल कॉलेज में तैनात डॉक्टर श्वेता और संकेत हैं, जो पिछले 5 माह से कोरोना वार्ड में मरीजों की देखभाल कर रहे हैं. वह मेरठ में ही एक किराए के मकान में रह रहे हैं. हालांकि जब भी उन्हें अपने बच्चे की याद आती है, तो वह वीडियो कॉलिंग के जरिए उससे बात करके अपना दिल बहला लेते हैं.

ईटीवी भारत की टीम मेरठ के इन कोरोना वारियर्स माता-पिता के जज्बे को सलाम करता है.

मेरठ: मेरठ के एक नामी सरकारी अस्पताल में तैनात महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. श्वेता महेश्वरी हर दूसरे दिन नवजातों को अपनी बाहों में लेती हैं, लेकिन पिछले पांच महीने से उन्होंने अपने दो साल के बेटे कुशाग्र से दूरी बना रखी है. श्वेता के पति डॉ संकेत त्यागी बाल रोग विशेषज्ञ हैं. दोनों की तैनाती मेरठ के एल.एल.आर.एम मेडिकल कॉलेज के कोविड वार्ड में है. दोनों ही इस साल मार्च के महीने से कोरोना मरीजों की देखभाल में लगे हुए हैं. इन्होंने अपने कर्तव्य को बड़ा माना और इसीलिए दोनों ने अपने बेटे और परिवार को छोड़कर अलग रहने का फैसला किया.

दोनों डॉक्टरों ने पिछले पांच महीने से अपने परिवार और दो साल के बेटे से दूरी बना रखी है. उनका बेटा अपने दादा-दादी के साथ पुश्तैनी घर में रह रहा है. डॉ. श्वेता महेश्वरी ने कहा कि अगर हम अपने बेटे और परिवार के साथ रहते तो उनके लिए कोरोना वायरस का जोखिम बढ़ जाता. इसलिए हम लोगों ने बेटे और परिवार से अलग रहने का फैसला किया. उन्होंने कहा कि जब मैं किसी नवजात को अपने हाथ में लेती हूं तो मुझे मेरा बेटा पास न होने के कारण दुख होता है. अब मैं अपने बेटे और परिवार से फोन पर बात कर लेती हूं.

डॉ. संकेत त्यागी ने कहा कि हम इन पांच महीने में केवल कुछ बार ही बेटे और परिवार से मिले. मुलाकात के समय, मैं और मेरी पत्नी एक कार में होते थे तो बेटा और परिवार के लोग दूसरी कार में, हम लोग दूर से ही बात करते थे. उन्होंने कहा कि बेटे को यह समझाना बेहद मुश्किल है कि हम दोनों उससे क्यों दूर हैं. दोनों का कहना है कि परिवार और बेटे से दूर रहना बेहद मुश्किल है, लेकिन कर्तव्य परिवार से बड़ा होता है. मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों की कमी भी है.

डॉ. श्वेता महेश्वरी ने कहा कि वो जब भी बेटे कुशाग्र से फोन पर बात करती हैं तो वो रोने लगता है और बातचीत इस वादे पर खत्म होती है कि हम लोग जल्द वापस आएंगे, लेकिन अभी जो हालात हैं, हम दोनों ये नहीं जानते हैं कि आखिर वो दिन कब आएगा.

अस्पताल में डॉक्टर्स 24-24 घंटे की ड्यूटी कर मरीजों का इलाज कर रहे हैं. ऐसे ही मेरठ के मेडिकल कॉलेज में तैनात डॉक्टर श्वेता और संकेत हैं, जो पिछले 5 माह से कोरोना वार्ड में मरीजों की देखभाल कर रहे हैं. वह मेरठ में ही एक किराए के मकान में रह रहे हैं. हालांकि जब भी उन्हें अपने बच्चे की याद आती है, तो वह वीडियो कॉलिंग के जरिए उससे बात करके अपना दिल बहला लेते हैं.

ईटीवी भारत की टीम मेरठ के इन कोरोना वारियर्स माता-पिता के जज्बे को सलाम करता है.

Last Updated : Aug 27, 2020, 4:00 PM IST
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