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Meerut District Jail में कैदियों की पहल, सब्जियों से बना रहे इकोफ्रेंडली गुलाल

होली के लिए मेरठ के चौधरी चरण सिंह जिला कारागार में बंद कैदी हर्बल गुलाल तैयार कर रहे हैं, जो विशेष काउंटर लगाकर जेल के बाहर कम कीमतों में आम लोगों के लिए भी उपल्बध होगा. कैदी इसी हर्बल गुलाल से होली खेलेंगे और लोगों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश देंगे.

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Published : Mar 4, 2023, 9:50 AM IST

मेरठः देशभर में होली की तैयारियां जोरों पर हैं. इसी कड़ी में जिले के चौधरी चरण सिंह जिला कारागार में बंद कैदी भी होली को लेकर इन दिनों खास तैयारियों में जुटे हुए हैं. जिला कारागार में बंद कैदी रंगों के इस त्योहार के लिए इकोफ्रेंडली हर्बल गुलाल बना रहे हैं. चुकंदर, पालक, टेसू के फूलों समेत अन्य प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल करके हर्बल गुलाल तैयार किया जा रहा है. हिन्दू कैदियों के अलावा मुस्लिम और अन्य समुदायों के कैदी भी पूरा सहयोग कर रहे हैं. यह गुलाल जेल में आने वाले बंदियों के परिजनों के लिए उपलब्ध होगा. इसके साथ ही जेल के बाहर भी इसको बेचने के लिए विशेष काउंटर लगाया जाएगा. ताकि लोग होली के त्योहार में नेचुरल रंगों का इस्तेमाल कर सकें.

वरिष्ठ जेल अधीक्षक राकेश कुमार ने बताया कि होली के त्योहार पर बाजारों में जो गुलाल मिलते हैं, उनमें अधिकतर कैमिकल पाए जाते हैं. यह केमिकल त्वचा के लिए काफी नुकसान दायक होते हैं. इसी वजह से निर्णय लिया गया कि बंदियों से हर्बल गुलाल बनवाया जाए. हर्बल गुलाल बनाने में चुकंदर और पालक का उपयोग किया जा रहा है. बंदी यहां टेलकम पाउडर, आरारोट, सब्जियों के रस से इस हर्बल गुलाल को तैयार कर रहे हैं. इसकी कीमत भी बेहद ही कम रखी गई है, ताकि अधिक से अधिक लोग इस हर्बल गुलाल का उपयोग कर सकें.

वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने कहा कि मेरठ जिला कारागर का बहुत बड़ा फार्म है और बंदियों ने खूब सब्जियां उगाई हुई हैं. उन्हीं में से चुकंदर, पालक, टेसू के फूलों, आदि से हर्बल गुलाल तैयार किया जा रहा है. इस काम को करने में करीब 75 बंदी लगे हैं. कौशल विकास मिशन के तहत कैदियों को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है. कहा जा रहा है कि वो जब जेल से रिहा हों तो समाज के बीच रहकर अच्छा कार्य करते हुए अपने परिवार का पालन पोषण कर सकें.

हर्बल गुलाल बनाने के प्रक्रिया के बार में जिला कारागार के कृषि फार्म से कैदी पालक को काटकर लाते हैं. उसके बाद उसे बारीक पीसकर उसमें से हरा रंग निकाला जाता है और फिर उसमें टेलकम पाउडर मिलाया जा रहा है. इसी तरह मेथी को भी पीसकर हल्का हरा रंग तैयार करके हरा गुलाल और लाइट ग्रीन गुलाल तैयार हो रहा है. वहीं चुकंदर को पीसकर सुर्ख लाल रंग का गुलाल और कम मात्रा में टेलकम मिलाकर पिंक गुलाल तैयार किया जा रहा है. जो गुलाल तैयार हो रहा है. उसमें से प्राकृतिक खुशबू भी प्राप्त हो रही है. वहीं, कुछ गुलाल में इत्र मिलाकर भी उसे खुशबूदार बनाया जा रहा है. जेल अधीक्षक ने बताया कि टेलकम पाउडर बाजार से लाया गया है.

वरिष्ठ जेल अधीक्षक के अनुसार, इन गुलाल का बंदी तो उपयोग करेंगे ही. साथ ही मेन गेट पर एक विशेष काउंटर भी लगाया जा रहा है. वहां से कोई भी व्यक्ति बंदियों के द्वारा तैयार किए गए गुलाल को खरीदकर इस त्यौहार को हर्बल रंगों के साथ मना सकता है. बंदी अपने परिजनों को हर्बल गुलाल का तोह्फा देकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश देंगे. होली के अवसर पर हर्बल गुलाल से ही बंदी त्योहार मनाएंगे और त्यौहार में बंदियों के लिए विशेष व्यंजन भी परोसा जाएगा. इसके अलावा गुलाल से जो भी प्रॉफिट होगा उसे बंदियों में ही बांटा जाएगा.

ये भी पढ़ेंः Holi 2023: काशी में होली का धमाल, हिंदू-मुस्लिम महिला ने साथ मिलकर उड़ाया गुलाल

मेरठः देशभर में होली की तैयारियां जोरों पर हैं. इसी कड़ी में जिले के चौधरी चरण सिंह जिला कारागार में बंद कैदी भी होली को लेकर इन दिनों खास तैयारियों में जुटे हुए हैं. जिला कारागार में बंद कैदी रंगों के इस त्योहार के लिए इकोफ्रेंडली हर्बल गुलाल बना रहे हैं. चुकंदर, पालक, टेसू के फूलों समेत अन्य प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल करके हर्बल गुलाल तैयार किया जा रहा है. हिन्दू कैदियों के अलावा मुस्लिम और अन्य समुदायों के कैदी भी पूरा सहयोग कर रहे हैं. यह गुलाल जेल में आने वाले बंदियों के परिजनों के लिए उपलब्ध होगा. इसके साथ ही जेल के बाहर भी इसको बेचने के लिए विशेष काउंटर लगाया जाएगा. ताकि लोग होली के त्योहार में नेचुरल रंगों का इस्तेमाल कर सकें.

वरिष्ठ जेल अधीक्षक राकेश कुमार ने बताया कि होली के त्योहार पर बाजारों में जो गुलाल मिलते हैं, उनमें अधिकतर कैमिकल पाए जाते हैं. यह केमिकल त्वचा के लिए काफी नुकसान दायक होते हैं. इसी वजह से निर्णय लिया गया कि बंदियों से हर्बल गुलाल बनवाया जाए. हर्बल गुलाल बनाने में चुकंदर और पालक का उपयोग किया जा रहा है. बंदी यहां टेलकम पाउडर, आरारोट, सब्जियों के रस से इस हर्बल गुलाल को तैयार कर रहे हैं. इसकी कीमत भी बेहद ही कम रखी गई है, ताकि अधिक से अधिक लोग इस हर्बल गुलाल का उपयोग कर सकें.

वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने कहा कि मेरठ जिला कारागर का बहुत बड़ा फार्म है और बंदियों ने खूब सब्जियां उगाई हुई हैं. उन्हीं में से चुकंदर, पालक, टेसू के फूलों, आदि से हर्बल गुलाल तैयार किया जा रहा है. इस काम को करने में करीब 75 बंदी लगे हैं. कौशल विकास मिशन के तहत कैदियों को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है. कहा जा रहा है कि वो जब जेल से रिहा हों तो समाज के बीच रहकर अच्छा कार्य करते हुए अपने परिवार का पालन पोषण कर सकें.

हर्बल गुलाल बनाने के प्रक्रिया के बार में जिला कारागार के कृषि फार्म से कैदी पालक को काटकर लाते हैं. उसके बाद उसे बारीक पीसकर उसमें से हरा रंग निकाला जाता है और फिर उसमें टेलकम पाउडर मिलाया जा रहा है. इसी तरह मेथी को भी पीसकर हल्का हरा रंग तैयार करके हरा गुलाल और लाइट ग्रीन गुलाल तैयार हो रहा है. वहीं चुकंदर को पीसकर सुर्ख लाल रंग का गुलाल और कम मात्रा में टेलकम मिलाकर पिंक गुलाल तैयार किया जा रहा है. जो गुलाल तैयार हो रहा है. उसमें से प्राकृतिक खुशबू भी प्राप्त हो रही है. वहीं, कुछ गुलाल में इत्र मिलाकर भी उसे खुशबूदार बनाया जा रहा है. जेल अधीक्षक ने बताया कि टेलकम पाउडर बाजार से लाया गया है.

वरिष्ठ जेल अधीक्षक के अनुसार, इन गुलाल का बंदी तो उपयोग करेंगे ही. साथ ही मेन गेट पर एक विशेष काउंटर भी लगाया जा रहा है. वहां से कोई भी व्यक्ति बंदियों के द्वारा तैयार किए गए गुलाल को खरीदकर इस त्यौहार को हर्बल रंगों के साथ मना सकता है. बंदी अपने परिजनों को हर्बल गुलाल का तोह्फा देकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश देंगे. होली के अवसर पर हर्बल गुलाल से ही बंदी त्योहार मनाएंगे और त्यौहार में बंदियों के लिए विशेष व्यंजन भी परोसा जाएगा. इसके अलावा गुलाल से जो भी प्रॉफिट होगा उसे बंदियों में ही बांटा जाएगा.

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