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मेरठ: कोरोना वायरस से फूलों की खेती करने वाले किसानों पर पड़ी दोहरी मार - मेरठ में फूलों की खेती

कोरोना वायरस के संक्रमण को बढ़ने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन से फूलों की खेती करने वाले किसानों पर दोहरी मार पड़ी है. अगेती प्रजाति की फसल को किसानों को जहां खेतों में जुताई कर नष्ट करना पड़ा, वहीं नए फसल भी बोने से अब किसान बच रहे हैं. किसान इस बार कोरोना महामारी को देखते हुए दूसरी ऐसी फसलों का चयन कर रहे हैं, जिसमें उन्हें लॉकडाउन के बावजूद नुकसान का सामना न करना पड़े.

लॉकडाउन से फूलों की खेती को नुकसान.
लॉकडाउन से फूलों की खेती को नुकसान.
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Published : Apr 7, 2020, 9:10 PM IST

मेरठ: पश्चिम यूपी में बड़ी संख्या में किसान फूलों की खेती करते हैं. राजधानी दिल्ली और एनसीआर में फूलों की अच्छी खपत होने के कारण किसान यहां बेमौसम फूलों की खेती करके भी मुनाफा कमा रहे हैं. इस बार कोरोना वायरस ने फूलों की खेती करने वाले किसानों को दोहरी मार दी है. कोरोना के कारण देशभर में लॉकडाउन लगा है, जिस कारण फूलों की खपत शून्य हो गई है.

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फूलों की खेती पर कोरोना की मार.

शादी विवाह का सीजन होने के बावजूद लॉकडाउन की वजह से बड़े समारोह में रोक लग गई है. ऐसे में शादी विवाह में होने वाली फूलों की डिमांड भी खत्म हो गई है. इस समय ग्लोडियस और रजनीगंधा की फसल की सबसे अधिक डिमांड रहती है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से इस बार किसानों को फसल खेत में ही नष्ट करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.

फूलों की खेती करने वाले किसान सर्वेश का कहना है कि फरवरी तक फूलों की अच्छी डिमांड बनी हुई थी. इस बार शादी विवाह के सीजन में भी फूलों की अच्छी डिमांड होने के साथ कीमत भी अच्छी मिलने की उम्मीद थी. मार्च के अंतिम सप्ताह में लगे लॉकडाउन के बाद फूलों की डिमांड पूरी तरह से खत्म हो गई. अभी लॉकडाउन आगे खुलने की जल्द संभावना भी नहीं है. इस कारण उन्होंने अपने खेत में खड़ी फसल को खेत में ही जोतकर अब गन्ने की फसल बो दी है.

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लॉकडाउन से फूलों की खेती को नुकसान.

किसान अनिल कुमार ने बताया कि उन्हें भी अपनी फसल को खेत में ही जोतना पड़ा. मई में सीजनल ग्लोडियस की बुआई करनी थी, लेकिन वर्तमान स्थिति को देखते हुए अब वह इस साल फूलों की खेती नहीं करेंगे. इस बार जो खर्च हुआ था वह भी वसूल नहीं हुआ है. यही हाल रजनीगंधा और गेंदे के फूलों की खेती करने वालों का है. बाजार में डिमांड न होने की वजह से कुछ किसान फूलों को पकाकर बीज तैयार कर रहे हैं, जबकि कुछ ने फसल को खेत से काटकर दूसरी फसल बोने की तैयारी शुरू कर दी है.

सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि​ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. सत्यप्रकाश का कहना है कि इस बार फूलों की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान हुआ है. इस नुकसान की भरपाई करना मुश्किल है. यह समय सीजनल फूलों की खेती के लिए पूरी तरह अनुकूल है, लेकिन किसान कोरोना वायरस की वजह से चल रहे लॉकडाउन के कारण इस बार फूलों की खेती से बच रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- COVID-19: UP में कोरोना के 16 नए मामले आए सामने, कुल संख्या हुई 324

मेरठ: पश्चिम यूपी में बड़ी संख्या में किसान फूलों की खेती करते हैं. राजधानी दिल्ली और एनसीआर में फूलों की अच्छी खपत होने के कारण किसान यहां बेमौसम फूलों की खेती करके भी मुनाफा कमा रहे हैं. इस बार कोरोना वायरस ने फूलों की खेती करने वाले किसानों को दोहरी मार दी है. कोरोना के कारण देशभर में लॉकडाउन लगा है, जिस कारण फूलों की खपत शून्य हो गई है.

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फूलों की खेती पर कोरोना की मार.

शादी विवाह का सीजन होने के बावजूद लॉकडाउन की वजह से बड़े समारोह में रोक लग गई है. ऐसे में शादी विवाह में होने वाली फूलों की डिमांड भी खत्म हो गई है. इस समय ग्लोडियस और रजनीगंधा की फसल की सबसे अधिक डिमांड रहती है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से इस बार किसानों को फसल खेत में ही नष्ट करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.

फूलों की खेती करने वाले किसान सर्वेश का कहना है कि फरवरी तक फूलों की अच्छी डिमांड बनी हुई थी. इस बार शादी विवाह के सीजन में भी फूलों की अच्छी डिमांड होने के साथ कीमत भी अच्छी मिलने की उम्मीद थी. मार्च के अंतिम सप्ताह में लगे लॉकडाउन के बाद फूलों की डिमांड पूरी तरह से खत्म हो गई. अभी लॉकडाउन आगे खुलने की जल्द संभावना भी नहीं है. इस कारण उन्होंने अपने खेत में खड़ी फसल को खेत में ही जोतकर अब गन्ने की फसल बो दी है.

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लॉकडाउन से फूलों की खेती को नुकसान.

किसान अनिल कुमार ने बताया कि उन्हें भी अपनी फसल को खेत में ही जोतना पड़ा. मई में सीजनल ग्लोडियस की बुआई करनी थी, लेकिन वर्तमान स्थिति को देखते हुए अब वह इस साल फूलों की खेती नहीं करेंगे. इस बार जो खर्च हुआ था वह भी वसूल नहीं हुआ है. यही हाल रजनीगंधा और गेंदे के फूलों की खेती करने वालों का है. बाजार में डिमांड न होने की वजह से कुछ किसान फूलों को पकाकर बीज तैयार कर रहे हैं, जबकि कुछ ने फसल को खेत से काटकर दूसरी फसल बोने की तैयारी शुरू कर दी है.

सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि​ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. सत्यप्रकाश का कहना है कि इस बार फूलों की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान हुआ है. इस नुकसान की भरपाई करना मुश्किल है. यह समय सीजनल फूलों की खेती के लिए पूरी तरह अनुकूल है, लेकिन किसान कोरोना वायरस की वजह से चल रहे लॉकडाउन के कारण इस बार फूलों की खेती से बच रहे हैं.

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