मेरठ: रोने की यह चीखें किसी के भी कलेजे में छेद कर देंगी. एक मां की गोद सूनी हो गयी...तो एक बीवी की मांग का सिंदूर मिट गया. 4 साल की छोटी बच्ची काइरा के पिता अब लौटकर नहीं आने वाले. एक बूढ़े बाप के लिये इससे बड़ा दुख क्या होगा कि उसे अपने कंधों पर जवान बेटे की अर्थी को ले जाना पड़े.
मेजर केतन शर्मा आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गये. सोमवार को अनंतनाग में आतंकियों के साथ मुठभेड़ हुई. मेजर केतन शर्मा की टीम ने आतंकियों को घेर लिया. दोनों तरफ से फायरिंग हुई. मेजर की टीम ने दो आतंकियों को ढेर कर दिया. इसी बीच तीसरे आतंकी ने भागने की कोशिश की. मेजर केतन शर्मा ने भागते हुए आतंकी का पीछा करते हुए फायरिंग की. आतंकी की तरफ से की गयी जवाबी फायरिंग में मेजर केतन शर्मा को गोली लगी. मौके पर ही मेजर केतन शर्मा शहीद हो गये. हालांकि बाद में मेजर केतन शर्मा की टीम ने तीसरे आतंकी को भी मार गिराया.
जैसे ही मेजर शर्मा के घर शहादत की खबर मिली पूरे घर में मातम छा गया. मेरठ स्थित उनके घर पर जिलाधिकारी समेत तमाम लोग पहुंचने लगे. सभी शहीद के परिवार को सांत्वना दे रहे थे. सभी को अब शहीद मेजर के पार्थिव शरीर का इंतजार था. किसी तरह से रात गुजरी. अगले दिन मेजर शर्मा के पार्थिव शरीर के आने के पहले रास्ते में फूल बिछाये गये. मां भारती का लाल जो आ रहा था. और जब मेजर शर्मा का पार्थिव शरीर पहुंचा तो पूरा माहौल भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारों से गूंजने लगा. मेजर शर्मा की मां और उनकी बीवी पार्थिव शरीर से लिपटकर रो रही थीं. हर किसी की आंखें नम थीं.
शहीद मेजर केतन शर्मा 2012 में लेफ्टिनेंट बने थे और उसके बाद मेजर. पिता के इकलौते बेटे मेजर शर्मा की छह साल पहले शादी हुई थी. चार साल की बेटी कायरा अब फिर कभी अपने पिता से नहीं मिल पाएगी. पिता रवींद्र शर्मा और मां उषा शर्मा का रो-रोकर बुरा हाल है. पत्नी ने अपने शहीद पति को आखिरी सलामी दी. एक लाल अपने देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गया.
उन आंखों की दो बूंद से सात समंदर हारे हैं...जिन मेहंदी वाले हाथों ने अपने मंगलसूत्र उतारे हैं.