मेरठ: समय-समय पर नई आधुनिक तकनीक किसान को प्रदान करने वाला मेरठ का भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान एक बार फिर सुर्खियों में है. इस बार समेकित जैविक खेती की तकनीक देने के लिए जिसे दुनिया भर के किसान अपनाएंगे. आईसीएआर संस्थान में विकसित हुए जैविक खेती के इस नए तरीके को यूएन ग्लास्गो में हुए 26वें जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन में भी सराहा गया.
यही नहीं यूएन में कार्बन मुक्त वायुमंडल के लिए खेती के इस तरीके को बहुत महत्वपूर्ण बताया है. साथी 26वें जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन के 90 पेज के कमेडियम (रिसर्च बुक) में खेती के इस नए तरीके को प्रमुखता से भी दिखाया गया है.
क्या है इंटीग्रेटेड आर्गेनिक फार्मिंग ?
मेरठ में स्थित भारत सरकार के ICAR- इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मिंग सिस्टम्स रिसर्च के डायरेक्टर डॉ. आजाद सिंह पंवार के अनुसार 2016 से वह इस नई प्रणाली पर काम कर रहे हैं. खेती के इस नए तरीके में जैविक खेती और समेकित खेती दोनों को मिलाकर नया तरीका समेकित जैविक खेती तैयार किया है. इसमें किसान को जैविक खेती की सही पद्धति के साथ फसल चक्र, मृदा संरक्षण और मिट्टी का कार्बन मिट्टी में ही रखने की जानकारी देते हैं. खेती के सभी आस्पेक्टस मुर्गी, मछली, मधुमक्खी, केंचुए और अनाज उगाना इनको जोड़कर हमने खेती का नया तरीका बनाया है. जैविक खेती के लिए किसान को गाय के गोबर, मूत्र लेना, हर मेढ़ पर पेड़ लगाना, वेस्ट है उसका इस्तेमाल, वर्मी बनाना यह बताते हैं.
26वें जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन का एक कंपेडियम (रिसर्च बुक) तैयार किया गया है. कंपेडियम (रिसर्च बुक) में दुनियाभर के तमाम देशों में पर्यावरण संरक्षण और कार्बन उत्सर्जन को घटाने के लिए हो रहे उपायों व शोधों को प्रकाशित किया गया है. इसमें भारत से इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मिंग सिस्टम रिसर्च मेरठ का इंटीग्रेटेड आर्गेनिक फार्मिंग कांसेप्ट को 15 पन्नों में प्रकाशित किया गया है ताकि दुनियाभर के देश जैविक खेती के कांसेप्ट को अपनाकर कार्बन उत्सर्जन कम कर अच्छी खेती कर सकें. भारत के अलावा यूएस, यूके, घाना, वियतनाम, मोरक्को, मालावी, इटली, ब्राजील, जापान, न्यूजीलैंड, नीदरलैंड, स्विटरजलैंड के शोध इस किताब में जोड़े गए हैं.
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