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मेरठ: नौकरी दिलाने के नाम पर ठगने वाले गिरोह का भंडाफोड, 3 गिरफ्तार

मेरठ में पुलिस ने बेरोजगारों को सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर ठगने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है. मामले में पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है.

fraud case in meerut
सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी
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Published : Nov 11, 2020, 4:23 AM IST

मेरठ: जिले में बेरोजगार युवकों को सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर ठगने वाले गिरोह का पुलिस ने खुलासा करते हुए मास्टर माइंड समेत तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इस गिरोह का एक सदस्य अभी फरार है. पुलिस का दावा है कि जल्द ही उसे भी गिरफ्तार कर ​लिया जाएगा.

एसएसपी मेरठ को सूचना मिली थी कि एक गिरोह बेरोजगारों को सरकारी नौकरी देने के नाम पर ठगी कर रहा है. सूचना पर एसएसपी ने सर्विलांस सैल और मेडिकल पुलिस को गिरोह का खुलासा करने के लिए लगाया. पुलिस टीम ने सूचना एकत्र करने के बाद इस गिरोह के तीन सदस्यों को चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी के पास से गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तार आरोपियों के नाम योगेन्द्र शर्मा, इन्द्रराज सिंह और नवीन शर्मा हैं, जबकि इनका फरार साथी योगेश शर्मा बुलंदशहर का रहने वाला है.

नौकरी दिलाने के नाम पर ठगते थे 3 से 6 लाख रूपये
पुलिस के अनुसार गिरफ्तार योगेंद्र शर्मा इस गिरोह का मास्टर मांइड है. एमए बीएड तक शिक्षा प्राप्त है योगेन्द्र शर्मा अपने साथियों के साथ मिलकर बेरोजगार युवकों को अपनी ठगी के जाल में फंसाता है. यह गिरोह के ठग हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश के बेरोजगार युवकों को आर्मी, राजस्थान पुलिस, दिल्ली पुलिस, हरियाणा पुलिस, असम राइफल, एफसीआई और एमईएस आदि में नौकरी दिलवाने के नाम पर 3 लाख से 6 लाख रूपये तक ठग लेते हैं.

बेरोजगार युवकों करते हैं टारगेट
योगेन्द्र ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि उनका गिरोह ऐसे बेरोजगार युवकों को तलाशतें हैं जो बीए आदि करने के बाद नौकरी तलाशते हैं. ऐसे युवकों को अपने जाल में फंसा कर उन्हें अपने साथ गाड़ी में बैठाकर लखनऊ या दिल्ली में किसी होटल में ले जाकर अपने गिरोह के दूसरे सदस्य से मिलवाते हैं जो उनसे सरकारी विभाग का अफसर बनकर मिलता था. टारगेट किए गए युवकों से उनके सभी जरूरी कागज अंक तालिका, आधार कार्ड, जाति व निवास प्रमाण पत्र आदि अपने पास जमा करा लेते थे.

फर्जी नियुक्ति पत्र दिए
यह गिरोह पैसा वसूलने के बाद फर्जी नियुक्ति पत्र भी दे रहे थे. नियुक्ति पत्र देते समय बेरोजगार को एक से दो महीने के बीच में नौकरी ज्वाइन कराने की बात कहकर वापस घर भेज दिया जाता था. यही नहीं यह गिरोह बेहद चालकी से कुछ युवकों को फर्जी आई कार्ड बनवाकर एफसीआई के गोदामों में काम करने वाले ठेकेदारों से सम्पर्क करके उनके यहां भेज देते थे. इसके बदले में वह प्रति व्यक्ति दो हजार रूपये भी देते थे. ठेकेदार के यहां उनसे 10 से 15 दिन तक काम कराने के बाद छुटटी देकर घर भेज दिया जाता था.

लाखों रूपये की कर चुके हैं ठगी
पुलिस के अनुसार अभी तक की पूछताछ में पता चला है कि यह गिरोह अपने जाल में फंसाए युवकों से लाखों रूपये की ठगी कर चुका है। इस गिरोह के बारे में और जानकारी एकत्र की जा रही है. गिरफ्तार आरोपियों के पास से फर्जी नियुक्ति पत्र, आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक पासबुक और नकदी आदि बरामद की गई है.

मेरठ: जिले में बेरोजगार युवकों को सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर ठगने वाले गिरोह का पुलिस ने खुलासा करते हुए मास्टर माइंड समेत तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इस गिरोह का एक सदस्य अभी फरार है. पुलिस का दावा है कि जल्द ही उसे भी गिरफ्तार कर ​लिया जाएगा.

एसएसपी मेरठ को सूचना मिली थी कि एक गिरोह बेरोजगारों को सरकारी नौकरी देने के नाम पर ठगी कर रहा है. सूचना पर एसएसपी ने सर्विलांस सैल और मेडिकल पुलिस को गिरोह का खुलासा करने के लिए लगाया. पुलिस टीम ने सूचना एकत्र करने के बाद इस गिरोह के तीन सदस्यों को चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी के पास से गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तार आरोपियों के नाम योगेन्द्र शर्मा, इन्द्रराज सिंह और नवीन शर्मा हैं, जबकि इनका फरार साथी योगेश शर्मा बुलंदशहर का रहने वाला है.

नौकरी दिलाने के नाम पर ठगते थे 3 से 6 लाख रूपये
पुलिस के अनुसार गिरफ्तार योगेंद्र शर्मा इस गिरोह का मास्टर मांइड है. एमए बीएड तक शिक्षा प्राप्त है योगेन्द्र शर्मा अपने साथियों के साथ मिलकर बेरोजगार युवकों को अपनी ठगी के जाल में फंसाता है. यह गिरोह के ठग हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश के बेरोजगार युवकों को आर्मी, राजस्थान पुलिस, दिल्ली पुलिस, हरियाणा पुलिस, असम राइफल, एफसीआई और एमईएस आदि में नौकरी दिलवाने के नाम पर 3 लाख से 6 लाख रूपये तक ठग लेते हैं.

बेरोजगार युवकों करते हैं टारगेट
योगेन्द्र ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि उनका गिरोह ऐसे बेरोजगार युवकों को तलाशतें हैं जो बीए आदि करने के बाद नौकरी तलाशते हैं. ऐसे युवकों को अपने जाल में फंसा कर उन्हें अपने साथ गाड़ी में बैठाकर लखनऊ या दिल्ली में किसी होटल में ले जाकर अपने गिरोह के दूसरे सदस्य से मिलवाते हैं जो उनसे सरकारी विभाग का अफसर बनकर मिलता था. टारगेट किए गए युवकों से उनके सभी जरूरी कागज अंक तालिका, आधार कार्ड, जाति व निवास प्रमाण पत्र आदि अपने पास जमा करा लेते थे.

फर्जी नियुक्ति पत्र दिए
यह गिरोह पैसा वसूलने के बाद फर्जी नियुक्ति पत्र भी दे रहे थे. नियुक्ति पत्र देते समय बेरोजगार को एक से दो महीने के बीच में नौकरी ज्वाइन कराने की बात कहकर वापस घर भेज दिया जाता था. यही नहीं यह गिरोह बेहद चालकी से कुछ युवकों को फर्जी आई कार्ड बनवाकर एफसीआई के गोदामों में काम करने वाले ठेकेदारों से सम्पर्क करके उनके यहां भेज देते थे. इसके बदले में वह प्रति व्यक्ति दो हजार रूपये भी देते थे. ठेकेदार के यहां उनसे 10 से 15 दिन तक काम कराने के बाद छुटटी देकर घर भेज दिया जाता था.

लाखों रूपये की कर चुके हैं ठगी
पुलिस के अनुसार अभी तक की पूछताछ में पता चला है कि यह गिरोह अपने जाल में फंसाए युवकों से लाखों रूपये की ठगी कर चुका है। इस गिरोह के बारे में और जानकारी एकत्र की जा रही है. गिरफ्तार आरोपियों के पास से फर्जी नियुक्ति पत्र, आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक पासबुक और नकदी आदि बरामद की गई है.

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