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मेरठ में 'वेस्ट टू फूड' कैफे की अनोखी पहल, कूड़ा लाओ मुफ्त खाना खाओ

उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में युवाओं ने मिलकर एक सराहनीय कदम उठाया है. दरअसल, एनजीओ के माध्यम से यह लोग कूड़े के बदले खाना दे रहे हैं.

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वेस्ट-टू-फूड कैफे की अनोखी पहल.
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Published : Dec 19, 2019, 8:10 AM IST

मेरठ: अब तक आपने खाने को कूड़े में फेंकने की खबरें सुनी होंगी, लेकिन मेरठ के युवाओं ने मिलकर एक सराहनीय कदम उठाया है. दरअसल, जिले में कुछ युवाओं ने कूड़े के बदले खाना देने की पहल की है. एक एनजीओ के माध्यम से स्वच्छता मिशन को आगे बढ़ाते हुए घरों से निकलने वाले कूड़े के बदले यह लोग जरुरत मंद लोगों को खाना खिला रहे हैं.

वेस्ट-टू-फूड कैफे की अनोखी पहल.

इस अनोखे अभियान को स्वच्छता 'वेस्ट टू फूड' कैफे का नाम दिया गया है. एनजीओ संचालन आयुष मित्तल ने बताया कि कूड़े को रिसाइकल करके खाद बनाई जाती है. साथ ही लोगों को कूड़े के बदले खाना देकर एक नई शुरुआत की गई है. 'वेस्ट टू फूड' कैफे के नाम से यह अभियान चलाया जा रहा है. यह देश में अब तक का दूसरा कैफे है. इससे पहले झारखंड के अम्बिकापुर में इस तरह का अभियान चलाया जा चुका है.

ये भी पढ़ें- गोरखपुर: 'प्लास्टिक मुक्त भारत' की ओर शिवम का कदम, प्लास्टिक से बनेगा ईंधन

सड़क पर कूड़ा उठाने वाले लोग खाने के लिए मोहताज रहते हैं, लेकिन अब ऐसे लोगों की भीड़ इस स्टॉल पर बढ़ती जा रही है. जो लोग कूड़ा नहीं भी लाते है उन्हें पांच रुपये प्लेट के हिसाब से खाना दिया जाता है.

मेरठ: अब तक आपने खाने को कूड़े में फेंकने की खबरें सुनी होंगी, लेकिन मेरठ के युवाओं ने मिलकर एक सराहनीय कदम उठाया है. दरअसल, जिले में कुछ युवाओं ने कूड़े के बदले खाना देने की पहल की है. एक एनजीओ के माध्यम से स्वच्छता मिशन को आगे बढ़ाते हुए घरों से निकलने वाले कूड़े के बदले यह लोग जरुरत मंद लोगों को खाना खिला रहे हैं.

वेस्ट-टू-फूड कैफे की अनोखी पहल.

इस अनोखे अभियान को स्वच्छता 'वेस्ट टू फूड' कैफे का नाम दिया गया है. एनजीओ संचालन आयुष मित्तल ने बताया कि कूड़े को रिसाइकल करके खाद बनाई जाती है. साथ ही लोगों को कूड़े के बदले खाना देकर एक नई शुरुआत की गई है. 'वेस्ट टू फूड' कैफे के नाम से यह अभियान चलाया जा रहा है. यह देश में अब तक का दूसरा कैफे है. इससे पहले झारखंड के अम्बिकापुर में इस तरह का अभियान चलाया जा चुका है.

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सड़क पर कूड़ा उठाने वाले लोग खाने के लिए मोहताज रहते हैं, लेकिन अब ऐसे लोगों की भीड़ इस स्टॉल पर बढ़ती जा रही है. जो लोग कूड़ा नहीं भी लाते है उन्हें पांच रुपये प्लेट के हिसाब से खाना दिया जाता है.

Intro:अब तक आपने खाने को कूड़े में फैंकने की ख़बरें सुनी होंगी. लेकिन आज आपको एक अच्छी खबर दिखाते है. मेरठ में कुछ युवाओं ने कूड़े के बदले खाना देने की पहल की है.


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अब तक आपने खाने को कूड़े में फैंकने की ख़बरें सुनी होंगी. लेकिन आज आपको एक अच्छी खबर दिखाते है. मेरठ में कुछ युवाओं ने कूड़े के बदले खाना देने की पहल की है. एक एनजीओ के माध्यम से प्रधानमंत्री के स्वच्छता मिशन को आगे बढ़ाते हुए घरों से निकलने वाले कूड़े के बदले ये लोग जरुरत मंद लोगों को खाना खिला रहे है. इस अनोखे अभियान को स्वच्छता वेस्ट टू फूड कैफे का नाम दिया गया है. समाज के लिए मिसाल पेश करने वाले इस अभियान पर मेरठ से पारस गोयल की रिपोर्ट.............
कूड़ा लाइये और खाना ले जाइयें.........जी हां कहीं सुना है आपने ऐसा लेकिन मेरठ की सड़कों पर ये नजारा आपको देखने के लिए मिल जाएंगा. क्योंकि स्वच्छता मेरठ के नाम से स्टार्ट अप चलाने वाले आयुष मित्तल और उनके साथियों ने इस अभियान की शुरुआत की है. मेरठ में सड़कों पर कूड़ा बिनने वाले लोगों के लिए ये संस्था वरदान है क्योंकि महज आधा किलो कूड़े के बदले एक प्लेट खाना ये एमजीओ दे रही है. इस एनजीओ का संचालन करने वाले आयुष मित्तल की मानें तो इस कूड़े को रिसाइकल करके खाद बनाई जाती है. जिससे पार्क मेंटेन किए जाते है साथ ही लोगों को कूड़े के बदले खाना देकर एक नई शुरुआत की गई है. वेस्ट टू फूड कैफे के नाम से ये अभियान चलाया जा रहा है ये देश में अब तक का दूसरा कैफे है. इससे पहले झारखंड़ के अम्बिकापुर में इस तरह का अभियान चलाया जा चुका है.............
सड़क पर कूड़ा बिनने वाले लोग खाने के लिए मोहताज रहते है. लेकिन अब ऐसे लोगों की भीड़ इस स्टॉल पर बढ़ती जा रही है. जैसे जैसे लोगों को पता चल रहा है. कि कूड़े के बदले खाना मिलता है. तो जरुरत मंद लोगों की भीड़ इस स्टॉल पर नजर आने लगी है. हालांकि जो लोग कूड़ा नहीं भी लाते है उन्हें पांच रुपये प्लेट के हिसाब से खाना दिया जाता है..............
पश्चिमी उत्तर प्रदेश का मेरठ कूड़े की समस्या से जूझ रहा है. ऐसे में कूड़ा का निस्तारण और गरीबों को भरपेट खाना देने का काम ये एनजीओ कर रहा है. सरकार को चाहिए कि ऐसे एनजीओ को बढ़ावा दे ताकि दोनों ही समस्याओं पर काबू पाया जा सकें...........



बाईट- ओमपाल, कूड़ा बिन्ने वाला............
बाईट- आयुष मित्तल, एनजीओ संचालक............


Conclusion:
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