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किसानों को लुभा रहा मछली पालन, खेतों में गन्ना बुवाई की जगह बन रहे तालाब

मेरठ में किसान आय बढ़ाने को लेकर हमेशा चिंतित रहते हैं कि कम लागत में अधिक मुनाफा कैसे हो. बढ़ती महंगाई में प्रत्येक व्यक्ति इसी का उपाय खोज रहा है. खास तौर पर पश्चिम यूपी की बात करें तो यहां अन्नदाताओं की पहली पसंद गन्ना ही है. किसान यहां गन्ने की खेती बड़े पैमाने पर करते हैं. क्योंकि इससे उन्हें अच्छा मुनाफा हो जाता है. जिले के किसान अपनी आमदनी को बढ़ना चाहते हैं. वहीं, इसके लिए मछली पालन (Fish farming) एक अच्छा विकल्प बनकर किसानों को लुभा रहा है.

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किसानों का मछली पालन की ओर रुख
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Published : Jun 4, 2022, 11:30 AM IST

Updated : Jun 4, 2022, 12:17 PM IST

मेरठ: पश्चिम उत्तर प्रदेश को गन्ना बेल्ट के तौर पर जाना जाता है. जिले में ज्यादातर गन्ने की बंपर पैदावर होती है. अब मछली पालन भी किसानों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है. अब अन्नदाता आय को बढ़ाने के लिए मछली पालन से जुड़ रहे हैं. किसानों में फिश फारमिंग (Fish farming) की तरफ रुझान ज्यादा बढ़ रहा है. मछली पालन से कुछ किसान तो इतना प्रेरित हो गए हैं कि उन्होंने अपने खेतों को तालाब में तब्दील कर दिया है.


मत्स्य विभाग (Fisheries department) के अधिकारियों का कहना है कि किसान मछली पालन (Fish farming) से अपनी आर्थिक स्थिति को और मजबूत बना सकते हैं. उन्होंने बताया कि कई किसानों से बातचीत में पता चला है कि पहले वह गन्ने की खेती करते थे. लेकिन, प्रदेश सरकार की मत्स्य विभाग की स्कीम किसानों को पसंद आई और अब वह अपने खेत में फिश फार्मिंग कर रहे हैं. गन्ने से अन्नदाताओं को काफी फायदा होता है. लेकिन, अब फिश फार्मिंग से अपनी आय को दोगुना करने का जतन करते देखे जा रहे हैं.

किसानों की कैसे बढ़ेगी इनकम जानकारी देते हुए संवाददाता


मत्स्य पालक विभाग अभिकरण मेरठ (Fisheries department agency meerut) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (chief executive officer) शिव कुमार ने बताया कि पश्चिमी यूपी में किसानों को गन्ने की फसल ज्यादा टिकाऊ लगती है. लेकिन, सरकार चाहती है कि उनकी की आय दोगुनी हो और इसके लिए अन्नदाता अपनी आय बढ़ाने के लिए मछली पालन को अच्छा विकल्प मानते हैं. वहीं, मत्स्य विभाग ऐसे किसानों को सहयोग करता है.

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मछली पालन की तरफ किसानों का रुझान

मुख्य कार्यकारी अधिकारी (chief executive officer) का कहना है कि केंद्र और प्रदेश सरकार (state government) फिश फार्मिंग (Fish farming) को बढ़ावा देने के लिए इच्छुक कृषकों को आर्थिक मदद भी मुहैया कराती है. कोई भी किसान अपने खेत में मछली पालन कर सकता है. उसके लिए उसे सरकार की तरफ से अंशदान 40 फीसद तक दिया जाएगा. वहीं, महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और मछली पालन से जोड़ने के लिए मत्स्य विभाग 60 फीसद तक आर्थिक सहायता देता है.

मत्स्य पालन विभाग के अफसरों का कहना है कि कुछ किसान अब गन्ने की फसल से मछली पालन (Fish farming) की तरफ अपनी रुचि दिखा रहे हैं. वहीं, रोहटा ब्लॉक के मोनू ने बताया कि पहले वह खेत में गन्ना उगाते थे. लेकिन, अब उन्होंने सरकार की मछली पालन से जुड़ी स्कीम को अपनाया है और इससे उन्हें काफी मुनाफा हो रहा है.

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मछली पालन से प्रेरित हो रहे किसान

यह भी पढ़ें: 'हरिशंकरी' पौधे बढ़ाएंगे वातावरण में ऑक्सीजन लेवल, 1161 पंचायतों में लागू होगी वन विभाग की पहल

केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार की तरफ से किसानों को मछली पालन (Fish farming) से जोड़ने के लिए योजना चलाई जा रही है. इससे उन्हें सब्सिडी भी मुहैया कराई जा रही है. जिम्मेदार अधिकारियों ने बताया कि जिले में लगातार किसानों का रुझान इस तरफ बढ़ रहा है. किसान अब फिश फार्मिंग करने के लिए आगे आ रहे हैं.



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मेरठ: पश्चिम उत्तर प्रदेश को गन्ना बेल्ट के तौर पर जाना जाता है. जिले में ज्यादातर गन्ने की बंपर पैदावर होती है. अब मछली पालन भी किसानों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है. अब अन्नदाता आय को बढ़ाने के लिए मछली पालन से जुड़ रहे हैं. किसानों में फिश फारमिंग (Fish farming) की तरफ रुझान ज्यादा बढ़ रहा है. मछली पालन से कुछ किसान तो इतना प्रेरित हो गए हैं कि उन्होंने अपने खेतों को तालाब में तब्दील कर दिया है.


मत्स्य विभाग (Fisheries department) के अधिकारियों का कहना है कि किसान मछली पालन (Fish farming) से अपनी आर्थिक स्थिति को और मजबूत बना सकते हैं. उन्होंने बताया कि कई किसानों से बातचीत में पता चला है कि पहले वह गन्ने की खेती करते थे. लेकिन, प्रदेश सरकार की मत्स्य विभाग की स्कीम किसानों को पसंद आई और अब वह अपने खेत में फिश फार्मिंग कर रहे हैं. गन्ने से अन्नदाताओं को काफी फायदा होता है. लेकिन, अब फिश फार्मिंग से अपनी आय को दोगुना करने का जतन करते देखे जा रहे हैं.

किसानों की कैसे बढ़ेगी इनकम जानकारी देते हुए संवाददाता


मत्स्य पालक विभाग अभिकरण मेरठ (Fisheries department agency meerut) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (chief executive officer) शिव कुमार ने बताया कि पश्चिमी यूपी में किसानों को गन्ने की फसल ज्यादा टिकाऊ लगती है. लेकिन, सरकार चाहती है कि उनकी की आय दोगुनी हो और इसके लिए अन्नदाता अपनी आय बढ़ाने के लिए मछली पालन को अच्छा विकल्प मानते हैं. वहीं, मत्स्य विभाग ऐसे किसानों को सहयोग करता है.

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मछली पालन की तरफ किसानों का रुझान

मुख्य कार्यकारी अधिकारी (chief executive officer) का कहना है कि केंद्र और प्रदेश सरकार (state government) फिश फार्मिंग (Fish farming) को बढ़ावा देने के लिए इच्छुक कृषकों को आर्थिक मदद भी मुहैया कराती है. कोई भी किसान अपने खेत में मछली पालन कर सकता है. उसके लिए उसे सरकार की तरफ से अंशदान 40 फीसद तक दिया जाएगा. वहीं, महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और मछली पालन से जोड़ने के लिए मत्स्य विभाग 60 फीसद तक आर्थिक सहायता देता है.

मत्स्य पालन विभाग के अफसरों का कहना है कि कुछ किसान अब गन्ने की फसल से मछली पालन (Fish farming) की तरफ अपनी रुचि दिखा रहे हैं. वहीं, रोहटा ब्लॉक के मोनू ने बताया कि पहले वह खेत में गन्ना उगाते थे. लेकिन, अब उन्होंने सरकार की मछली पालन से जुड़ी स्कीम को अपनाया है और इससे उन्हें काफी मुनाफा हो रहा है.

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मछली पालन से प्रेरित हो रहे किसान

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केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार की तरफ से किसानों को मछली पालन (Fish farming) से जोड़ने के लिए योजना चलाई जा रही है. इससे उन्हें सब्सिडी भी मुहैया कराई जा रही है. जिम्मेदार अधिकारियों ने बताया कि जिले में लगातार किसानों का रुझान इस तरफ बढ़ रहा है. किसान अब फिश फार्मिंग करने के लिए आगे आ रहे हैं.



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Last Updated : Jun 4, 2022, 12:17 PM IST
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