अयोध्या/इटावा/फर्रूखाबाद : अधिवक्ता संशोधन विधेयक 2025 के विरोध में बार काउंसिल ऑफ उतर प्रदेश के आह्वान पर अधिवक्ताओं ने अयोध्या में भी प्रदर्शन किया. मंगलवार को अधिवक्ताओं ने रामपथ पर कचहरी गेट के सामने भारी संख्या में एकत्रित होकर धरना प्रदर्शन किया. नाराज अधिवक्ताओं ने न्यायिक कार्य का बहिष्कार कर जमकर नारेबाजी की. इस दौरान अधिवक्ताओं ने विधेयक को वापस लेने की मांग की. इस दौरान भारी संख्या में सुरक्षा बल भी तैनात रहा.
27 फरवरी को बार काउंसिल की बैठक : सिविल कोर्ट के अधिवक्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार विधेयक वापस ले. उन्होंने कहा कि इस तरह का विधेयक पास नहीं होने देंगे. इसके लिए अधिवक्ताओं का आंदोलन जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि हम सरकार से अपील करेंगे कि इस तरह का बिल ना पास किया जाए. अधिवक्ताओं के हित में जो हो, जो उसकी सुरक्षा में हो, इस तरह का बिल लाएं और पास करें. उन्होंने कहा कि 27 फरवरी को फिर बार काउंसिल की बैठक कर विरोध की रणनीति बनाई जाएगी. इस दौरान अधिवक्ताओं में महामंत्री गिरीश चंद तिवारी, पूर्व अध्यक्ष कलिका मिश्रा, पूर्व अध्यक्ष पारस पांडे, सौरभ मिश्रा, पूर्व मंत्री आलोक खरे, विकास श्रीवास्तव, समेत हजारों की संख्या में अधिवक्ता मौजूद रहे.
फर्रूखाबाद में भी वकीलों ने किया प्रदर्शन : जिले में कोतवाली फतेहगढ़ के कलक्ट्रेट परिसर में अधिवक्ता संशोधन विधेयक 2025 के विरोध में मंगलवार को अधिवक्ताओं ने प्रदर्शन किया. इस दौरान पुलिसकर्मियों और अधिवक्ताओं में झड़प भी हो गई. आक्रोशित अधिवक्ताओं ने नारेबाजी कर प्रदर्शन किया. अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष राजेश अग्निहोत्री ने कहा कि विधेयक को वापस लेना चाहिए.
इटावा में न्यायिक कार्य से विरत रहे अधिवक्ता : जिला बार एसोसिएशन और सिविल बार एसोसिएशन के वकीलों ने मंगलवार को न्यायिक कार्य से विरत रहकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया. अधिवक्ताओं ने जिला जज और जिलाधिकारी को 15 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सौंपा. जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल कुमार सिंह गौर और सिविल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल कुमार तिवारी ने बताया कि न्यायालयों में कई अनियमितताएं हो रही हैं. वकीलों ने मांग की है कि अधिवक्ताओं की सुरक्षा के लिए एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट को तत्काल लागू किया जाए. इसके अलावा, कचहरी परिसर में पेयजल, शौचालय और सफाई की उचित व्यवस्था किए जाने की मांग भी उठाई. वकीलों ने साफ कर दिया कि उनकी मांगें पूरी न होने पर वे बड़े आंदोलन के लिए तैयार हैं.