मेरठ: कृषि कानूनों को लेकर देश का किसान दिल्ली में आंदोलन कर रहा है. जहां देश भर के तमाम किसान संगठनों के साथ सरकार बैठक कर कानूनों में संशोधन करने का आश्वासन दे रही है. वहीं किसान संगठन एवं किसान कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं. इसी बीच पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों को भारतीय किसान यूनियन संस्थापक बाबा महेंद्र सिंह टिकैत की याद आई है. मेरठ के किसान इस आंदोलन में बाबा टिकैत की कमी खल रही है. किसानों का कहना है कि अगर आज बाबा महेंद्र सिंह टिकैत जिंदा होते तो कृषि कानुन के खिलाफ चल रहा है. यह आंदोलन इतना लंबा नहीं चलता. बाबा टिकैत न सिर्फ किसानों में अपनी पकड़ रखते थे, बल्कि सरकारों पर भी उनके रुतबे का असर देखा जाता था.
बाबा टिकैत का रहा रुतबा
ETV भारत ने मेरठ के किसानों के बीच पहुंच कर न सिर्फ आंदोलन को लेकर बात की बल्कि बाबा टिकैत की कमी के बारे में बातचीत की. ETV भारत से बातचीत में किसानों ने बताया कि बाबा महेंद्र सिंह टिकैत पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश के किसानों में अपनी पहचान रखते थे. किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन के संस्थापक के रूप में उन्होंने किसान हित में सैकड़ों आंदोलन किए, जिनमें सरकार को उनकी बात माननी पड़ी. इतना ही नहीं मुख्य मंत्री तो दूर देश के प्रधान मंत्री तक बाबा टिकैत को विशेष तवज्जो देते थे. किसान मुद्दों को लेकर बाबा टिकैत ने निस्वार्थ भाव से किसानों की लड़ाई लड़ते थे.
किसानों को खल रही बाबा टिकैत की कमी
इन दिनों देश भर में कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन चल रहा है. इस आंदोलन में जहां देश भर के किसान संगठन दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन के रहे हैं, लेकिन किसानों की समस्या का कोई समाधान नहीं निकल पा रहा है. इस स्तिथि में किसानों को भारतीय किसान यूनियन संस्थापक बाबा महेंद्र सिंह टिकैत की याद आने लगी है. मेरठ की किसानों का कहना है कि अगर आज बाबा महेंद्र सिंह टिकैत जिंदा होते तो किसानों को ठंड में आदोलन नहीं करना पड़ता. बाबा टिकैत का रुतबा किसानों के साथ सरकारों में भी दिखता था. उनके रहते किसान हित में हुए हर आंदोलन सफल हुआ.
सरकार से मनवा लेते अपनी बात
किसानों ने बताया कि बाबा टिकैत का रुतबा इतना रहा कि वे सरकारों से अपनी बात मनवा लेते थे. अगर सरकार किसान मुद्दों पर बात नहीं मानती तो वे सरकार के खिलाफ अकेले ही धरने पर बैठ जाते थे. उनकी एक आवाज पर देश का किसान आंदोलन में पहुंच जाता था. बाबा टिकैत के कई मामलों में सरकार को झुकने को मजबूर किया है.