मेरठ: एक ओर जहां हर कोई सरकारी और एमएनसी में नौकरी पाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहा है. वहीं मेरठ में चाचा भतीजे की जोड़ी ने न सिर्फ माइक्रोसॉफ्ट में इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़कर गांव का रुख किया, बल्कि गांव में खेती-बाड़ी कर खुद को आत्मनिर्भर बना लिया है. आईटी सेक्टर में कभी नौकरी करने वाले चाचा भतीजा का दिमाग अब खेती-बाड़ी में भी कंप्यूटर की तरह चल रहा है. यही वजह है कि देशी तरीके से विदेशी सब्जियां उगाकर जहां मोटा मुनाफा कमा रहे हैं, वहीं ऑर्गेनिक खेती कर केमिकल से होने वाली बीमारियों से भी लोगों को बचा रहे हैं.
माइक्रोसॉफ्ट की नौकरी छोड़ कर रहे खेती
मेरठ जिले के मोहद्दीनपुर निवासी विनोद कुमार शर्मा और इनके भतीजे मुनीष शर्मा माइक्रोसॉफ्ट इंजीनियर हैं. हैदराबाद की माइक्रोसॉफ्ट कंपनी में प्रिंसिपल ऑपरेशन मैनेजर के पद पर तैनात थे. जबकि मुनीष को भी बतौर इंजीनियर अच्छा पैकेज मिल रहा था. इन्होंने 2017 तक आईटी सेक्टर में सेवा दी. नौकरी करते वक्त चाचा भतीजे की इच्छा थी कि अपने गांव में कुछ अलग करे. जिसके बाद इन्होंने नौकरी छोड़कर अपने गांव का रुख किया और आधुनिक खेती करने का मन बना लिया.
खेती में लगाया कम्प्यूटर दिमाग
गांव लौटे चाचा भतीजे की जोड़ी ने अपने खेतों में पॉलीहाउस बनाकर खेती करना शुरू किया. हालांकि शुरुआती दिनों में इनके सामने काफी समस्याएं आईं, लेकिन इन्होंने अपने कंप्यूटर दिमाग का इस्तेमाल कर सभी समस्याओं को दूर कर दिया. करीब डेढ़ एकड़ में लगे पॉलीहाउस में उगाई गई विभिन्न प्रकार की सब्जियां और फूलों की खुशबू चाचा भतीजे की मेहनत को खुद बयां कर रही हैं. विनोद कुमार शर्मा ने बताया कि पॉलीहाउस लगाने के लिए सरकार 50 प्रतिशत का अनुदान दे रही है.
देशी तरीके से विदेशी सब्जियों की कर रहे खेती
इंजीनियर चाचा भतीजे जितनी मेहनत और लगन से आईटी सेक्टर में काम करते थे. उसी कम्प्यूटर दिमाग को अब सब्जियों की खेती करने में लगा रहे हैं. कम्प्यूटर दिमाग का इस्तेमाल कर पॉलीहाउस में देशी तरीके से विदेशी सब्जियां उगाई जा रही हैं. मुनीष शर्मा बताते है कि वे अपने पॉलीहाउस में चाइनीज कैविज, ब्रॉकली चेरी टमाटर, पार्सले, केल और लेमन ग्रास का उत्पादन कर रहे हैं.
ऑर्गेनिक सब्जियों का कर रहे उत्पादन
खास बात ये है कि चाचा भतीजे के इस पॉलीहाउस में शुद्ध ऑर्गेनिक सब्जियां उगाई जा रही हैं. सब्जियों के पौधों पर किसी भी प्रकार के पेस्टिसाइड्स का इस्तेमाल नहीं किया जाता. इंजीनियर विनोद शर्मा बताते है कि जब भी जरूरत होती है, छाछ और लहसुन के रस का छिड़काव किया जाता है. जिससे न सिर्फ फलों पर आने वाले किट पतंग खत्म हो जाते हैं, बल्कि सब्जियां जहरीली नहीं होती. इन सब्जियों को सीधे पेड़ से तोड़ के बिना धोए खाया जा सकता है. इससे किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं होता.
देशी-विदेशी सब्जियों की बढ़ी मांग
मुनीष शर्मा ने बताया कि उन्होंने अपने पॉलीहाउस में विदेशी सब्जियों के अलावा भिंडी, टमाटर, बैंगन, तोरई, लौकी, हरी, लाल, पीली शिमला मिर्च, फूल गोभी, पत्ता गोभी, धनिया, पुदीना समेत 20 से ज्यादा सब्जियां उगाई हुई हैं. ऑर्गेनिक सब्जियों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है. मुनीष शर्मा के मुताबिक दिल्ली की मंडी नजदीक होने के चलते उनकी सभी सब्जियां दिल्ली की मंडी में जाती हैं. जहां देशी सब्जियों के साथ विदेशी सब्जियों की भी मांग हो रही है.
सामान्य सब्जियों से महंगी बिक रही ऑर्गेनिक सब्जियां
ऑर्गेनिक सब्जियों से किसी भी प्रकार को कोई नुकसान नहीं होता. यही वजह है कि ऑर्गेनिक सब्जियां सामान्य सब्जियों की अपेक्षा कई गुना महंगे दाम पर बिक रही हैं. चाचा भतीजे के मुताबिक ऑर्गेनिक सब्जियों की खेती करने में जितनी ज्यादा लागत आती है, उतना ज्यादा मुनाफा भी हो रहा है. मजदूरों और अन्य खर्चे काट कर लाखों रूपये महीने की आमदनी हो रही है. इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ चाचा-भतीजे की जोड़ी जिले भर में मशहूर हो गई है.