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मेरठ: गन्ने की फसल में लाल सड़न रोग का खतरा, समय से करें उपचार

उत्तर प्रदेश के पश्चिमी हिस्से में किसान नकदी फसल के लिए गन्ने की खेती पर ज्यादा जोर देते हैं, लेकिन किसानों की गन्ने की फसल में बारिश के समय लाल सड़न रोग लग रहा है. इससे बचाव के लिए वैज्ञानिक सलाह से दवा का छिड़काव कर फसल को बचाया जा सकता है.

जानकारी देते डॉ रामजी सिंह डीन कृषि विश्वविद्यालय.
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Published : Sep 3, 2019, 7:34 AM IST

मेरठ: पश्चिमी यूपी में गन्ने की खेती को किसान ज्यादा तरजीह देते हैं. गन्ने की फसल किसानों के लिए नकदी फसल के रूप में जानी जाती है. बारिश के समय गन्ने की फसल में किसी प्रकार का नुकसान न हो इसके लिए खास ध्यान रखने की जरूरत है. जिले के कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि इस समय गन्ने की फसल में लाल सड़न रोग लगने का अंदेशा बना रहता है. इसलिए उसका समय से उपचार जरूरी है.

जानकारी देते डीन कृषि विश्वविद्यालय के डॉ रामजी सिंह.

गन्ने की फसल में लाल रोग से किसानों का हो रहा नुकसान

  • गन्ने की फसल में लाल सड़न रोग लगने से गन्ने की गुणवत्ता प्रभावित हो जाती है.
  • लाल सड़न रोग की चपेट में आने से गन्ने में न तो अच्छा रस निकलता है और न ही उसका वजन बढ़ता है.
  • रोग लगने से किसान और चीनी मिल दोनों को ही नुकसान का सामना करना पड़ता है.
  • लाल सड़न रोग की चपेट में आने पर गन्ना अंदर से लाल हो जाता है. उसके अंदर लाल-लाल धब्बे बन जाते हैं.
  • रोग की चपेट में आने पर गन्ना पीला पड़कर धीरे-धीरे सूख जाता है. यह रोग एक फंगस के जरिए फैलता है.
  • लाल धब्बे के असर से गन्ने का वजन कम हो जाता है और रस कम बनने से चीनी के लिए रिकवरी भी कम हो जाती है.
  • इस वर्ष गन्ने की फसल में पोखरा बोइंग रोग का असर अधिक देखने को मिल रहा है.
  • वैज्ञानिक सलाह के बाद उपचारित कर फसल में नुकसान को रोका जा सकता है.

गन्ने की फसल को इस रोग से बचाने के लिए गन्ने की बुवाई के समय ही उसे उपचारित करना सबसे अच्छा रहता है. इस समय इस रोग का असर तेजी से होता है. इसलिए किसानों को गन्ने की फसल को रोग से बचाने के लिए समय रहते उस पर वैज्ञानिक सलाह के साथ दवा का छिड़काव करना चाहिए.
-डॉ रामजी सिंह, डीन कृषि विश्वविद्यालय

मेरठ: पश्चिमी यूपी में गन्ने की खेती को किसान ज्यादा तरजीह देते हैं. गन्ने की फसल किसानों के लिए नकदी फसल के रूप में जानी जाती है. बारिश के समय गन्ने की फसल में किसी प्रकार का नुकसान न हो इसके लिए खास ध्यान रखने की जरूरत है. जिले के कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि इस समय गन्ने की फसल में लाल सड़न रोग लगने का अंदेशा बना रहता है. इसलिए उसका समय से उपचार जरूरी है.

जानकारी देते डीन कृषि विश्वविद्यालय के डॉ रामजी सिंह.

गन्ने की फसल में लाल रोग से किसानों का हो रहा नुकसान

  • गन्ने की फसल में लाल सड़न रोग लगने से गन्ने की गुणवत्ता प्रभावित हो जाती है.
  • लाल सड़न रोग की चपेट में आने से गन्ने में न तो अच्छा रस निकलता है और न ही उसका वजन बढ़ता है.
  • रोग लगने से किसान और चीनी मिल दोनों को ही नुकसान का सामना करना पड़ता है.
  • लाल सड़न रोग की चपेट में आने पर गन्ना अंदर से लाल हो जाता है. उसके अंदर लाल-लाल धब्बे बन जाते हैं.
  • रोग की चपेट में आने पर गन्ना पीला पड़कर धीरे-धीरे सूख जाता है. यह रोग एक फंगस के जरिए फैलता है.
  • लाल धब्बे के असर से गन्ने का वजन कम हो जाता है और रस कम बनने से चीनी के लिए रिकवरी भी कम हो जाती है.
  • इस वर्ष गन्ने की फसल में पोखरा बोइंग रोग का असर अधिक देखने को मिल रहा है.
  • वैज्ञानिक सलाह के बाद उपचारित कर फसल में नुकसान को रोका जा सकता है.

गन्ने की फसल को इस रोग से बचाने के लिए गन्ने की बुवाई के समय ही उसे उपचारित करना सबसे अच्छा रहता है. इस समय इस रोग का असर तेजी से होता है. इसलिए किसानों को गन्ने की फसल को रोग से बचाने के लिए समय रहते उस पर वैज्ञानिक सलाह के साथ दवा का छिड़काव करना चाहिए.
-डॉ रामजी सिंह, डीन कृषि विश्वविद्यालय

Intro:स्पेशल: मेरठ- गन्ने की फसल में लाल सडन रोग का खतरा, समय से करें उपचार
मेरठ। वेस्ट यूपी में गन्ने की खेती को किसान प्राथमिकता देते हैं। गन्ने की फसल वेस्ट यूपी के किसानों के लिए नकदी फसल के रूप में जानी जाती है। इस समय गन्ने की फसल में नुकसान ना हो इसके लिए खास ध्यान रखने की जरूरत है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि इस समय गन्ने की फसल में लाल सड़न रोग लगने का अंदेशा बना रहता है। इसलिए उसका समय से उपचार जरूरी है।



Body:गन्ने की फसल में लाल सड़न रोग लगने से गन्ने की गुणवत्ता प्रभावित हो जाती है। इस रोग की चपेट में आने से गन्ने में न तो अच्छा रस निकलता है और ना ही उसका वजन बढ़ता है। इस स्थिति में किसान और चीनी मिल दोनों को ही नुकसान का सामना करना पड़ता है। लाल सड़न रोग की चपेट में आने पर गन्ना अंदर से लाल हो जाता है। उसके अंदर लाल लाल धब्बे बन जाते हैं। इसके असर से गन्ने का वजन कम हो जाता है और रस कम बनने से चीनी के लिए रिकवरी भी कम हो जाती है। सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय के डीन डा. रामजी सिंह ने बताया कि गन्ने की फसल को इस रोग से बचाने के लिए गन्ने की बुवाई के समय ही उसे उपचारित करना सबसे अच्छा रहता है। इस समय इस रोग का असर तेजी से होता है। इसलिए किसानों को गन्ने की फसल को रोग से बचाने के लिए समय रहते उस पर वैज्ञानिक सलाह के साथ दवा का छिड़काव करना चाहिए।


Conclusion:डीन रामजी सिंह ने बताया कि गन्ने की फसल वेस्ट यूपी के किसानों के लिए नकदी फसल मानी जाती है। इसलिए किसान दूसरी फसलों के मुकाबले गन्ने की अधिक बुवाई करते हैं। रामजी सिंह ने बताया कि इस बार गन्ने की फसल में पोखरा बोइंग रोग का असर अधिक देखने को मिल रहा है। इस रोग की चपेट में आने पर गन्ना पीला पढ़कर धीरे-धीरे सूख जाता है। यह रोग एक फंगस के जरिए फैलता है। इसका नियंत्रण बुवाई के समय प्रभावी रूप से किया जा सकता है। इस समय यदि फसल पर इनका असर दिखाई दे तो उसको वैज्ञानिक सलाह के बाद उपचारित कर फसल में नुकसान को रोका जा सकता है।

बाइट- डा रामजी सिंह, डीन कृषि विश्वविद्यालय, मेरठ

अजय चौहान
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