मेरठ: पश्चिमी यूपी में गन्ने की खेती को किसान ज्यादा तरजीह देते हैं. गन्ने की फसल किसानों के लिए नकदी फसल के रूप में जानी जाती है. बारिश के समय गन्ने की फसल में किसी प्रकार का नुकसान न हो इसके लिए खास ध्यान रखने की जरूरत है. जिले के कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि इस समय गन्ने की फसल में लाल सड़न रोग लगने का अंदेशा बना रहता है. इसलिए उसका समय से उपचार जरूरी है.
गन्ने की फसल में लाल रोग से किसानों का हो रहा नुकसान
- गन्ने की फसल में लाल सड़न रोग लगने से गन्ने की गुणवत्ता प्रभावित हो जाती है.
- लाल सड़न रोग की चपेट में आने से गन्ने में न तो अच्छा रस निकलता है और न ही उसका वजन बढ़ता है.
- रोग लगने से किसान और चीनी मिल दोनों को ही नुकसान का सामना करना पड़ता है.
- लाल सड़न रोग की चपेट में आने पर गन्ना अंदर से लाल हो जाता है. उसके अंदर लाल-लाल धब्बे बन जाते हैं.
- रोग की चपेट में आने पर गन्ना पीला पड़कर धीरे-धीरे सूख जाता है. यह रोग एक फंगस के जरिए फैलता है.
- लाल धब्बे के असर से गन्ने का वजन कम हो जाता है और रस कम बनने से चीनी के लिए रिकवरी भी कम हो जाती है.
- इस वर्ष गन्ने की फसल में पोखरा बोइंग रोग का असर अधिक देखने को मिल रहा है.
- वैज्ञानिक सलाह के बाद उपचारित कर फसल में नुकसान को रोका जा सकता है.
गन्ने की फसल को इस रोग से बचाने के लिए गन्ने की बुवाई के समय ही उसे उपचारित करना सबसे अच्छा रहता है. इस समय इस रोग का असर तेजी से होता है. इसलिए किसानों को गन्ने की फसल को रोग से बचाने के लिए समय रहते उस पर वैज्ञानिक सलाह के साथ दवा का छिड़काव करना चाहिए.
-डॉ रामजी सिंह, डीन कृषि विश्वविद्यालय