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मेरठः जल पुरूष डॉ. राजेंद्र ने कहा- पर्यावरण संरक्षण भारत की सनातन परम्परा

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Published : Jul 21, 2020, 3:21 AM IST

मेरठ में स्थित शोभित विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित वेबिनार में जलपुरूष डॉ. राजेंद्र सिंह ने कहा कि बहुत कम लोग कोविड-19 के हमारे पर्यावरण पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव और इसमें छुपे प्रकृति के संदेश के बारे में सोचते हैं. हमें सबसे पहले कोविड-19 को समझना जरूरी है. जिस देश ने इस वायरस को ईजाद किया, प्रकृति ने सबसे पहले उसे ही उसका शिकार बना दिया.

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वेबिनार

मेरठः शोभित विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित ‘कोविड-19 के हमारे पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव’ विषय पर आयोजित वेबीनार में मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता भारत के जल पुरुष और मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित डॉ. राजेंद्र सिंह रहे. अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि प्रकृति में बहुत ताकत है. अगर आप प्रकृति को प्यार नहीं करेंगे तो प्रकृति के अंदर गुस्सा पैदा होगा और उसका भयानक रूप आपको कई बार देखने को मिलेगा. इसलिए हमें हर परिस्थिति को गहराई से समझने की जरूरत है.

कोविड-19 देता है हमें सीख
डॉ. राजेंद्र सिंह ने कहा कि भूमि, गगन, वायु, अग्नि और नीर इन पांचों तत्वों में ही भगवान व्याप्त हैं. सनातन में ही भारतीय आस्था और पर्यावरण की रक्षा छुपी हुई है. कोविड-19 हमें सीख देता है कि प्रकृति में वही रह पाएगा जो प्रकृति के अनुकूल रहेगा. उन्होंने कहा कि भारत कभी प्रकृति का विश्व गुरु हुआ करता था, दुनिया को सिखाने वाला देश था. आज वह दूसरों से सीख रहा है. पहले हमारे बुजुर्ग हमें बहुत कुछ सिखाते थे. पानी का सम्मान, पानी का सदुपयोग करना होगा. बचपन से ही बच्चों को यह सब सिखाना होगा.

प्रकृति से रिश्ता टूटा तो आएगी महामारी
जलपुरूष ने कहा कि अगर हमारा प्रकृति के साथ रिश्ता टूट जाएगा तो इस तरह की महामारी और वायरस दोबारा आएगा. आजादी के बाद से हमारे देश में बाढ़ का प्रकोप 10% से ज्यादा बढ़ गया है और जिसका मुख्य कारण प्रकृति की अनदेखी करना है. यदि हम इस देश के भविष्य को अच्छा देखना चाहते हैं तो हमें नेचुरल रूरल इकोनामी ऑफ इंडिया को मजबूत करना होगा. प्रकृति के अंदर लोगों की जरूरतों को पूरा करने की क्षमता है किंतु लोगों के लालच को पूरा करने की क्षमता प्रकृति के अंदर नहीं है.

विश्वविद्यालय बनाएगा अनुसंधान केंद्र
वेबिनार की अध्यक्षता करते हुए शोभित विश्वविद्यालय के कुलाधिपति कुंवर शेखर विजेंद्र ने कहा कि जो व्यक्ति समाज के लिए चिंता करता है, वह समाज का सन्यासी हो जाता है. उन्होंने कहा कि शोभित विश्वविद्यालय गंगोह में प्रकृति के पोषण के लिए अनुसंधान केंद्र स्थापित करेगा.

शोभित विश्वविद्यालय मेरठ के कुलपति प्रोफेसर एपी गर्ग ने कहा कि आज समय है राइट ऑफ नेचर की बात करने का. जिसके अंदर स्वस्थ वायु, स्वच्छ जल एवं स्वस्थ मिट्टी प्रमुख है. नॉर्थ कैरोलिना यूएसए से एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रजत पंवार ने यमुना नदी के विलुप्त होते अस्तित्व पर चिंता जाहिर कर अपने विचार व्यक्त किये. शोभित विश्वविद्यालय गंगोह के कुलपति प्रोफेसर डीके कौशिक ने कहा कि कोविड-19 के चलते दिल्ली एनसीआर के क्षेत्र में प्रदूषण का स्तर घटा है, लेकिन अब इस स्तर को कैसे मेंटेन किया जाए इस पर गंभीरता से सोचना होगा.

मेरठः शोभित विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित ‘कोविड-19 के हमारे पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव’ विषय पर आयोजित वेबीनार में मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता भारत के जल पुरुष और मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित डॉ. राजेंद्र सिंह रहे. अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि प्रकृति में बहुत ताकत है. अगर आप प्रकृति को प्यार नहीं करेंगे तो प्रकृति के अंदर गुस्सा पैदा होगा और उसका भयानक रूप आपको कई बार देखने को मिलेगा. इसलिए हमें हर परिस्थिति को गहराई से समझने की जरूरत है.

कोविड-19 देता है हमें सीख
डॉ. राजेंद्र सिंह ने कहा कि भूमि, गगन, वायु, अग्नि और नीर इन पांचों तत्वों में ही भगवान व्याप्त हैं. सनातन में ही भारतीय आस्था और पर्यावरण की रक्षा छुपी हुई है. कोविड-19 हमें सीख देता है कि प्रकृति में वही रह पाएगा जो प्रकृति के अनुकूल रहेगा. उन्होंने कहा कि भारत कभी प्रकृति का विश्व गुरु हुआ करता था, दुनिया को सिखाने वाला देश था. आज वह दूसरों से सीख रहा है. पहले हमारे बुजुर्ग हमें बहुत कुछ सिखाते थे. पानी का सम्मान, पानी का सदुपयोग करना होगा. बचपन से ही बच्चों को यह सब सिखाना होगा.

प्रकृति से रिश्ता टूटा तो आएगी महामारी
जलपुरूष ने कहा कि अगर हमारा प्रकृति के साथ रिश्ता टूट जाएगा तो इस तरह की महामारी और वायरस दोबारा आएगा. आजादी के बाद से हमारे देश में बाढ़ का प्रकोप 10% से ज्यादा बढ़ गया है और जिसका मुख्य कारण प्रकृति की अनदेखी करना है. यदि हम इस देश के भविष्य को अच्छा देखना चाहते हैं तो हमें नेचुरल रूरल इकोनामी ऑफ इंडिया को मजबूत करना होगा. प्रकृति के अंदर लोगों की जरूरतों को पूरा करने की क्षमता है किंतु लोगों के लालच को पूरा करने की क्षमता प्रकृति के अंदर नहीं है.

विश्वविद्यालय बनाएगा अनुसंधान केंद्र
वेबिनार की अध्यक्षता करते हुए शोभित विश्वविद्यालय के कुलाधिपति कुंवर शेखर विजेंद्र ने कहा कि जो व्यक्ति समाज के लिए चिंता करता है, वह समाज का सन्यासी हो जाता है. उन्होंने कहा कि शोभित विश्वविद्यालय गंगोह में प्रकृति के पोषण के लिए अनुसंधान केंद्र स्थापित करेगा.

शोभित विश्वविद्यालय मेरठ के कुलपति प्रोफेसर एपी गर्ग ने कहा कि आज समय है राइट ऑफ नेचर की बात करने का. जिसके अंदर स्वस्थ वायु, स्वच्छ जल एवं स्वस्थ मिट्टी प्रमुख है. नॉर्थ कैरोलिना यूएसए से एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रजत पंवार ने यमुना नदी के विलुप्त होते अस्तित्व पर चिंता जाहिर कर अपने विचार व्यक्त किये. शोभित विश्वविद्यालय गंगोह के कुलपति प्रोफेसर डीके कौशिक ने कहा कि कोविड-19 के चलते दिल्ली एनसीआर के क्षेत्र में प्रदूषण का स्तर घटा है, लेकिन अब इस स्तर को कैसे मेंटेन किया जाए इस पर गंभीरता से सोचना होगा.

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