मेरठ: जिले में स्थित मेडिकल कॉलेज में स्टाफ का नया कारनामा सामने आया है. मेडिकल स्टाफ ने न सिर्फ कोरोना संक्रमण से हुई बुजुर्ग के शव को परिजनों की जानकारी के बिना शव का अंतिम संस्कार लावारिश के रूप में कर दिया बल्कि कंट्रोल रूम में परिजनों के पूछने पर तबीयत में सुधार होने की बात कही गई. मरीज के अंतिम संस्कार के बाद भी मरीज को आईसीयू में शिफ्ट करने का दावा किया गया. इस बात का खुलासा उस वक्त हुआ जब परिजनों ने मेडिकल कॉलेज पहुंच कर मरीज के गायब करने का आरोप लगाया. मृतक बुजुर्ग की बेटी ने प्रिसिंपल को अपने पिता के बारे में जानकारी मांगी और वीडियो वायरल कर सीएम योगी से बरामदगी की गुहार लगाई.
21 अप्रैल को मेडिकल में हुए थे भर्ती
बता दें कि बरेली निवासी संतोष कुमार (65) को गाजियाबाद के कोविड अस्पतालों में जगह नहीं मिलने पर 21 अप्रैल की सुबह 11:36 मिनट पर मेरठ मेडिकल कॉलेज के कोविड वार्ड में भर्ती कराया था. कोरोना प्रोटोकॉल के तहत उनकी तबियत के बारे में जानने के लिए कोविड सेंटर का हेल्पलाइन नंबर दिया गया था. उनकी बेटी शिखा ने वीडियो वायरल कर बताया था कि मेडिकल कर्मचारियों ने 3 मई को बताया था कि उनके पिता का ऑक्सीजन लेवल 92 आने के बाद आईसीयू में शिफ्ट किया गया है. लेकिन 3 मई के बाद कोविड सेंटर से संतोषजनक जवाब नहीं मिला. कई बार फोन करने के बाद यही कहा जाता था कि कुछ देर में फोन करें.
मेडिकल स्टाफ की बड़ी लापरवाही हुई उजागर
अस्पताल से संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर बेटी और दामाद शुक्रवार को मेरठ मेडिकल पहुंचे. उन्होंने कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार और कोविड वार्ड प्रभारी डॉ. धीरज बालियान से पूछा तो मेडिकल स्टाफ में हड़कंप मच गया. उन्होंने संतोष कुमार को कोविड वार्ड और अस्पताल में तलाश किया लेकिन उनका कुछ पता नहीं चल पाया. इसके बाद बेटी शिखा ने वीडियो वायरल कर सीएम योगी से पिता की बरामदगी की गुहार लगाई थी.
सरकार ने रिपोर्ट तलब की
मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार ने बताया कि संतोष कुमार कोविड वार्ड में 23 अप्रैल को मौत हो गई थी. उस दौरान कोविड वार्ड में एक ही नाम के कई मरीज भर्ती थे. जिसके चलते परिजनों को 3 मई तक दूसरे मरीज के स्वास्थ्य संबंधी जानकारी दी जाती रही. संतोष कुमार की बेटी ने मेडिकल पहुंचकर पड़ताल की तो पता चला कि उनके मरीज का तो अज्ञात शव के रूप में अंतिम संस्कार दिया गया था. जबकि कंट्रोल रूम में फोन करने पर उन्हें लगातार दूसरे मरीज की रिपोर्ट दी जा रही थी. शिखा के वायरल वीडियो के बाद प्रदेश सरकार ने मेडिकल प्रशासन से रिपोर्ट तलब की है.
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मामले की हो रही जांच
प्रिंसिपल डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार ने बताया कि उस वक्त ड्यूटी पर तैनात स्टाफ और तीन डॉक्टरों से जवाब मांगा है. उन्होंने बताया कि संतोष 21 अप्रैल को गाजियाबाद से मेरठ के मेडिकल कॉलेज भर्ती हुए थे. जल्दबाजी में उनका फोन नंबर एवं पता, संबंधित रिकार्ड पुस्तिका में नहीं चढ़ाया गया. कोविड वार्ड में इसी नाम के तीन-चार मरीज भर्ती थे. 23 अप्रैल की सुबह बरेली निवासी संतोष की मौत हो गई. मोर्चरी में शव तीन दिनों तक रखा रहा लेकिन उनके तीमारदार नहीं आये. इसके बाद अज्ञात के रूप में अंतिम संस्कार कर दिया गया. शुक्रवार को पुलिस की उपस्थिति में अज्ञात की श्रेणी में दर्ज किए गए चार शवों की फोटो दिखाकर शिनाख्त कराई गई. इसी दौरान लड़की ने अपने पिता की फोटो को पहचान की. डॉ. ज्ञानेंद्र ने बताया कि इस मामले में जांच कमेटी गठित की गई है. ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों, नर्स और इंचार्ज की भूमिका की जांच कराई जा रही है. जांच के बाद लापरवाह स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.