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परिवहन कार्यालय में बाबुओं पर अफसर मेहरबान, कई साल से नहीं बदले पटल

ट्रांसपोर्ट नगर स्थित संभागीय परिवहन कार्यालय में कई बाबू एक ही पटल पर तैनात हैं, लेकिन उनका तबादला नहीं किया जा रहा है.  परिवहन विभाग की ओर से तीन साल में पटल परिवर्तन का स्पष्ट आदेश है. इसके बाद भी एआरटीओ की मेहरबानी से बाबू सालों से एक ही पटल पर जमे हुए हैं.

संभागीय परिवहन कार्यालय
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Published : Aug 12, 2021, 3:34 PM IST

लखनऊ: ट्रांसपोर्ट नगर स्थित संभागीय परिवहन कार्यालय में तीन साल से ज्यादा समय से बाबू एक ही पटल पर जमे हुए हैं. इस दौरान दो एआरटीओ का तबादला हो चुका है, जबकि मौजूदा समय में तैनात एआरटीओ (प्रशासन) का कार्यकाल को भी करीब 10 माह का समय हो चुका है. बावजूद इसके बाबुओं का पटल बदलने की जहमत नहीं उठाई गई. परिवहन विभाग की ओर से तीन साल में पटल परिवर्तन का स्पष्ट आदेश है. इसके बाद भी एआरटीओ की मेहरबानी से बाबू सालों से एक ही पटल पर जमे हुए हैं. ऐसा एक या दो नहीं बल्कि करीब 10 पटल ऐसे हैं, जिन पर बाबुओं की तैनाती के 3 साल पूरे हो चुके हैं. ऐसे में ये साफ है कि कहीं न कहीं इन बाबुओं पर अफसर मेहरबान हैं.

एआरटीओ बदले, फिर भी न बदला पटल

बीते 3 सालों में ट्रांसपोर्ट नगर स्थित आरटीओ कार्यालय में कई एआरटीओ का तबादला हो चुका है. इनमें एआरटीओ राघवेंद्र सिंह और वर्तमान में आरटीओ पद पर प्रमोशन पाकर मिर्जापुर जनपद में तैनात संजय कुमार तिवारी और पदभार के रूप में तैनाती पाने वाली अंकिता शुक्ला शामिल हैं. बीते दिसंबर माह से एआरटीओ प्रशासन के पद पर अखिलेश कुमार द्विवेदी तैनात हैं, बावजूद इसके इन बाबुओं के पटल अभी तक परिवर्तित नहीं हुए हैं. आरटीओ कार्यालय में पटल संख्या एक पर सत्यप्रकाश मालवीय और पंकज सिंह बीते कई सालों से तैनात हैं. इसी प्रकार पटल संख्या 2 पर यशवंत, पटल संख्या 3 पर किशन, पटल संख्या 5 पर दिनेश सिंह, पटल संख्या 6 पर प्रकाश नारायण यादव, रोहित यादव, पटल संख्या 7 पर राजीव खन्ना, पटल संख्या 8 पर विद्याभूषण गुप्ता और रीना चौबे, परमिट सेक्शन में अखिलेश चतुर्वेदी और प्रवर्तन सेक्शन में आलम सालों से तैनाती लिए हुए हैं. इनमें से कई लोग ऐसे हैं जिन्हें कम्प्यूटर भी चलाना नहीं आता है, जबकि पटल संख्या 4 पर तैनात रईस सहित कई और ऐसे लोग हैं जिन्हें दो जगह का काम अलॉट है. नई तैनाती पाए आनंद वर्मा से डीएल फीडिंग का काम लिया जा रहा है जबकि, आशीष मिश्रा से काम ही नहीं लिया जा रहा है.

जानकारी देते संवाददाता
संभागीय परिवहन कार्यालय
संभागीय परिवहन कार्यालय

सारथी भवन में भी पटल परिवर्तन नहीं

बीते कई सालों से ड्राइविंग लाइसेंस बनाने का काम निजी कंपनी के हवाले है. डीएल के लिए नए सिरे से हुई टेंडर प्रक्रिया में कंपनी तो बदल गई, लेकिन कर्मचारी नहीं बदले. डीएल के काम में लगे स्मार्ट चिप के कर्मियों का भी पटल परिवर्तन किया जाना चाहिए, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है.

लखनऊ: ट्रांसपोर्ट नगर स्थित संभागीय परिवहन कार्यालय में तीन साल से ज्यादा समय से बाबू एक ही पटल पर जमे हुए हैं. इस दौरान दो एआरटीओ का तबादला हो चुका है, जबकि मौजूदा समय में तैनात एआरटीओ (प्रशासन) का कार्यकाल को भी करीब 10 माह का समय हो चुका है. बावजूद इसके बाबुओं का पटल बदलने की जहमत नहीं उठाई गई. परिवहन विभाग की ओर से तीन साल में पटल परिवर्तन का स्पष्ट आदेश है. इसके बाद भी एआरटीओ की मेहरबानी से बाबू सालों से एक ही पटल पर जमे हुए हैं. ऐसा एक या दो नहीं बल्कि करीब 10 पटल ऐसे हैं, जिन पर बाबुओं की तैनाती के 3 साल पूरे हो चुके हैं. ऐसे में ये साफ है कि कहीं न कहीं इन बाबुओं पर अफसर मेहरबान हैं.

एआरटीओ बदले, फिर भी न बदला पटल

बीते 3 सालों में ट्रांसपोर्ट नगर स्थित आरटीओ कार्यालय में कई एआरटीओ का तबादला हो चुका है. इनमें एआरटीओ राघवेंद्र सिंह और वर्तमान में आरटीओ पद पर प्रमोशन पाकर मिर्जापुर जनपद में तैनात संजय कुमार तिवारी और पदभार के रूप में तैनाती पाने वाली अंकिता शुक्ला शामिल हैं. बीते दिसंबर माह से एआरटीओ प्रशासन के पद पर अखिलेश कुमार द्विवेदी तैनात हैं, बावजूद इसके इन बाबुओं के पटल अभी तक परिवर्तित नहीं हुए हैं. आरटीओ कार्यालय में पटल संख्या एक पर सत्यप्रकाश मालवीय और पंकज सिंह बीते कई सालों से तैनात हैं. इसी प्रकार पटल संख्या 2 पर यशवंत, पटल संख्या 3 पर किशन, पटल संख्या 5 पर दिनेश सिंह, पटल संख्या 6 पर प्रकाश नारायण यादव, रोहित यादव, पटल संख्या 7 पर राजीव खन्ना, पटल संख्या 8 पर विद्याभूषण गुप्ता और रीना चौबे, परमिट सेक्शन में अखिलेश चतुर्वेदी और प्रवर्तन सेक्शन में आलम सालों से तैनाती लिए हुए हैं. इनमें से कई लोग ऐसे हैं जिन्हें कम्प्यूटर भी चलाना नहीं आता है, जबकि पटल संख्या 4 पर तैनात रईस सहित कई और ऐसे लोग हैं जिन्हें दो जगह का काम अलॉट है. नई तैनाती पाए आनंद वर्मा से डीएल फीडिंग का काम लिया जा रहा है जबकि, आशीष मिश्रा से काम ही नहीं लिया जा रहा है.

जानकारी देते संवाददाता
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सारथी भवन में भी पटल परिवर्तन नहीं

बीते कई सालों से ड्राइविंग लाइसेंस बनाने का काम निजी कंपनी के हवाले है. डीएल के लिए नए सिरे से हुई टेंडर प्रक्रिया में कंपनी तो बदल गई, लेकिन कर्मचारी नहीं बदले. डीएल के काम में लगे स्मार्ट चिप के कर्मियों का भी पटल परिवर्तन किया जाना चाहिए, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है.

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