मेरठ: इस समय धान की रोपाई का कार्य तेजी से चल रहा है. किसान समय से धान की रोपाई का कार्य समाप्त करना चाहते हैं, लेकिन कुछ स्थानों पर बासमती धान की नर्सरी में ब्लाइट रोग का असर देखा गया है. इसलिए बासमती धान की खेती करने वाले किसानों को इस समय बेहद सावधानी बरतनी होगी. मौसम में आ रहे बदलाव की वजह से भी धान की नर्सरी में रोग अपने पैर जमा रहे हैं. ऐसे में कृषि विशेषज्ञों ने समय रहते इसकी पहचान कर रोग का उपचार करने की सलाह दी है.
बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान के प्रभारी और प्रधान वैज्ञानिक डॉ. रितेश शर्मा ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कि इस समय धान की नर्सरी में कुछ स्थानों पर ब्लाइट रोग का असर देखने को मिल रहा है. ऐसे में किसानों को अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है. डॉ. रितेश शर्मा ने बताया कि जिन किसानों की नर्सरी 20 से 25 दिन की हो गई है, वह उस नर्सरी की खेत में रोपाई कर दें. कुछ किसान नर्सरी की लंबाई कम देख कर उसे खेत में रोपाई नहीं करते, ऐसे में नर्सरी में पौध अधिक समय तक रहने से भी रोग फैलने का अंदेशा बना रहता है, इसलिए किसानों को नर्सरी से पौध निकालकर खेत में रोपाई कर देनी चाहिए.
ऐसे करें उपचार
डॉ. रितेश शर्मा ने बताया कि यदि नर्सरी में ब्लाइट रोग का असर दिखाई दे रहा है, तो जैविक खेती करने वाले किसान ट्राइकोडरमा या स्यूडोमोनास का 5 ग्राम प्रति लीटर के हिसाब से घोल तैयार कर छिड़काव सकते हैं. इसके अलावा जिस पत्ती पर रोग का असर दिखाई दे रहा है, उस पत्ती को तोड़ कर नष्ट कर दें. यह रोग पत्ती के ऊपर आंख के आकार जैसा दिखाई देता है. इसे देखकर किसान पहचान सकते हैं कि उनकी पौध में कौन सा रोग पनप रहा है. किसान किसी भी रसायन का इस्तेमाल करने से पहले खेत में दिख रहे रोग के बारे में कृषि विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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