मेरठः जिले में आजादी के अमृत महोत्सव (Azadi Ka Amrit Mahotsav) पर 15 अगस्त को एक निराली तस्वीर देखने को मिली. यहां एक शख्स 1972 में पुरखों को मिले मेडल को सीने से लगाकर घूमते हैं. मेरठ के रहने वाले गुलजार का कहना है कि उनके पुरखों ने अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति में आजादी के लिए शहादत दी थी. उनके दादा परदादा ने भी आजादी के लिए अपने प्राण न्योछावर किए थे. इसी को देखते हुए 1972 में उनके पुरखों को आजादी की पच्चीसवीं वर्षगांठ के अवसर पर मेडल से नवाजा गया था. इस मेडल में 1947 और 1972 लिखा हुआ है और बीच में चक्र बना हुआ है.
गुलजार का कहना है कि उन्हें इस मेडल को पहनकर फक्र महसूस होता है. वो ऐसे खानदान से ताल्लुक रखते हैं, जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहूति दी थी. गुलजार का कहना है कि उनके पुरखों ने आजाद हिंद फौज में भी कार्य किया था और कई बार जेल भी जाना पड़ा था. मेरठ के लालकुर्ती के रहने वाले गुलजार अहमद ने स्वतंत्रता दिवस के मौक पर अपने वाहन को निराले अंदाज में सजाया हुआ था.
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गुलजार अपने दोपहिया वाहन में महात्मा गांधी की बड़ी तस्वीर लगा रखी है. बाकयदा बांस की लकड़ी से उन्होंने अपनी गाड़ी के पीछे सूरज की आकृति बना रखी है. महात्मा गांधी की तस्वीर के साथ ही गुलजार ने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तस्वीर लगा रखी है. गुलजार अपने सीने में पुरखों को 1972 में मिले मेडल को धारण किए रहते हैं.
गुलजार की देशप्रेम से ओतप्रोत गाड़ी जिधर से निकलती है लोग बरबस ही कहते हैं कि भारत माता की जय. अमर शहीद अमर रहे. भारत के वीर शहीद अमर रहे का नारा लगाते हुए बच्चों को आजादी का जश्न दिखाया. गुलजार का परिवार कई पीढ़ियों से देश की सेवा में समर्पित है. गुलजार का कहना है कि सिर्फ तिरंगा यात्रा या फिर हर घर तिरंगा अभियान के दौरान ही नहीं, उनकी गाड़ी में हमेशा तिरंगा झंडा लगा रहता है.
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