ETV Bharat / state

नर्सिंग होम और डॉक्टर के यहां हो कोरोना जांच के लिए सैंपल लेने की व्यवस्थाः प्रमुख सचिव

author img

By

Published : Nov 22, 2020, 6:46 AM IST

प्रमुख सचिव स्वास्थ्य आलोक कुमार ने शनिवार को आईएमए प्रतिनिधियों, प्राईवेट डाक्टर और नर्सिंग होम संचालकों के साथ बैठक की. इस दौरान प्रमुख सचिव ने कहा कि प्राइवेट डॉक्टर और नर्सिंग होम संचालक कोरोना नियंत्रण में सहयोग करें. कोरोना के संदिग्ध मरीजों की सूचना नियमित रूप से स्वास्थ्य विभाग को दें. उन्होंने कहा कि प्राइवेट डॉक्टर्स और नर्सिंग होम में कोरोना जांच के सैंपल लेने की व्यवस्था हो.

प्रमुख सचिव ने की बैठक.
प्रमुख सचिव ने की बैठक.

मेरठः प्रमुख सचिव ने कहा कि कोरोना जांच के लिए जो सैंपल लिए जाएं उन्हें एलएलआरएम मेडिकल कालेज और अन्य जांच केन्द्रों पर भेजा जाए. इसके लिए उन्होंने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन करने के लिए कहा जिसमें मुख्य चिकित्सा अधिकारी, प्रधानाचार्य एलएलआरएम मेडिकल कालेज और आईएमए के अध्यक्ष होंगे. प्रमुख सचिव ने कहा कि कोरोना नियंत्रण के लिए हम सब एक टीमवर्क के रूप में कार्य करें. उन्होंने कहा कि केजीएमयू लखनऊ में ईसीसीएस (इलेक्ट्राॅनिक कोविड केयर सपोर्ट) नेटवर्क जिसके माध्यम से वरिष्ठ चिकित्सक से वर्चुअल संवाद कर किसी भी मरीज के इलाज के संबंध में सलाह ले सकते हैं. उन्होंने कहा कि नर्सिंग होम और कोरोना का इलाज कर रहे अस्पताल इसका उपयोग करें.

सांस की दिक्कत वाले मरीजों की कराए जांच
आयुक्त अनीता सी. मेश्राम ने कहा कि जिस भी मरीज को बुखार है या सांस लेने में तकलीफ है. उनकी कोरोना जांच अवश्य कराई जाए. उन्होंने कहा कि आईएलआई और साॅरी के मरीजों की भी कोरोना जांच आवश्यक रूप से कराई जाए. जिलाधिकारी के. बालाजी ने कहा कि अस्पतालों से समय रहते मेडिकल कॉलेज को मरीज को भेजना आवश्यक है, ताकि उसका जीवन बचाया जा सके. उन्होंने कहा कि सभी प्राइवेट अस्पताल इसकी गंभीरता को समझे और सहयोग करें.

मरीज की स्थिति की पहचान के सात कारण
केजीएमयू लखनऊ के डॉ. सूर्यकान्त त्रिपाठी ने कहा कि मेरठ एक क्रांतिधरा है और पौराणिक महत्व का शहर है. उन्होंने बताया कि यदि मरीज में अल्टर्ड सेन्सोरियम या कमजोर सामान्य स्थिति, दो या तीन दिन से लगातार उपचार के बावजूद 101 डिग्री से ऊपर बुखार रहना, 120 से ज्यादा पल्स रेट होना, सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर 90 से कम होना, श्वास गति 30 प्रति मिनट से ज्यादा होना, आक्सीजन स्तर यानि सेचुरेशन 90 से कम होना और विभिन्न अंगों के अक्रियाशील होने पर मरीज को समय रहते तत्काल एल-3 अस्पताल के लिए भेज देना चाहिए.

पहले ​10 दिन महत्वपूर्ण
एसजीपीजीआई लखनऊ के डॉ. संदीप कुबा ने कहा कि कोरोना मरीज के इलाज में प्रथम 10 दिन अत्यंत महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि कोविड-19 से संबंधित विभिन्न दिशा-निर्देश और अनुभव को साझा करने के लिए कोविड-19 एसजीपीजीआई वेबसाइट पर डाटा और वीडियो आदि उपलब्ध कराया गया है. इस दौरान प्रधानाचार्य एलएलआरएम मेडिकल कालेज डॉ. ज्ञानेन्द्र कुमार ने कहा कि मेडिकल कॉलेज में कोरोना जांच के लिए आरटीपीसीआर के 4 लाख टेस्ट किए जा चुके हैं.

मेरठः प्रमुख सचिव ने कहा कि कोरोना जांच के लिए जो सैंपल लिए जाएं उन्हें एलएलआरएम मेडिकल कालेज और अन्य जांच केन्द्रों पर भेजा जाए. इसके लिए उन्होंने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन करने के लिए कहा जिसमें मुख्य चिकित्सा अधिकारी, प्रधानाचार्य एलएलआरएम मेडिकल कालेज और आईएमए के अध्यक्ष होंगे. प्रमुख सचिव ने कहा कि कोरोना नियंत्रण के लिए हम सब एक टीमवर्क के रूप में कार्य करें. उन्होंने कहा कि केजीएमयू लखनऊ में ईसीसीएस (इलेक्ट्राॅनिक कोविड केयर सपोर्ट) नेटवर्क जिसके माध्यम से वरिष्ठ चिकित्सक से वर्चुअल संवाद कर किसी भी मरीज के इलाज के संबंध में सलाह ले सकते हैं. उन्होंने कहा कि नर्सिंग होम और कोरोना का इलाज कर रहे अस्पताल इसका उपयोग करें.

सांस की दिक्कत वाले मरीजों की कराए जांच
आयुक्त अनीता सी. मेश्राम ने कहा कि जिस भी मरीज को बुखार है या सांस लेने में तकलीफ है. उनकी कोरोना जांच अवश्य कराई जाए. उन्होंने कहा कि आईएलआई और साॅरी के मरीजों की भी कोरोना जांच आवश्यक रूप से कराई जाए. जिलाधिकारी के. बालाजी ने कहा कि अस्पतालों से समय रहते मेडिकल कॉलेज को मरीज को भेजना आवश्यक है, ताकि उसका जीवन बचाया जा सके. उन्होंने कहा कि सभी प्राइवेट अस्पताल इसकी गंभीरता को समझे और सहयोग करें.

मरीज की स्थिति की पहचान के सात कारण
केजीएमयू लखनऊ के डॉ. सूर्यकान्त त्रिपाठी ने कहा कि मेरठ एक क्रांतिधरा है और पौराणिक महत्व का शहर है. उन्होंने बताया कि यदि मरीज में अल्टर्ड सेन्सोरियम या कमजोर सामान्य स्थिति, दो या तीन दिन से लगातार उपचार के बावजूद 101 डिग्री से ऊपर बुखार रहना, 120 से ज्यादा पल्स रेट होना, सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर 90 से कम होना, श्वास गति 30 प्रति मिनट से ज्यादा होना, आक्सीजन स्तर यानि सेचुरेशन 90 से कम होना और विभिन्न अंगों के अक्रियाशील होने पर मरीज को समय रहते तत्काल एल-3 अस्पताल के लिए भेज देना चाहिए.

पहले ​10 दिन महत्वपूर्ण
एसजीपीजीआई लखनऊ के डॉ. संदीप कुबा ने कहा कि कोरोना मरीज के इलाज में प्रथम 10 दिन अत्यंत महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि कोविड-19 से संबंधित विभिन्न दिशा-निर्देश और अनुभव को साझा करने के लिए कोविड-19 एसजीपीजीआई वेबसाइट पर डाटा और वीडियो आदि उपलब्ध कराया गया है. इस दौरान प्रधानाचार्य एलएलआरएम मेडिकल कालेज डॉ. ज्ञानेन्द्र कुमार ने कहा कि मेडिकल कॉलेज में कोरोना जांच के लिए आरटीपीसीआर के 4 लाख टेस्ट किए जा चुके हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.