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26 जनवरी की परेड में शामिल होगी कृषि उपकरणों की झांकी

यूपी के मुजफ्फरनगर के किसान 26 जनवरी की परेड में शामिल होने के लिए रवाना हो गए हैं. परेड के लिए किसानों ने स्वयं एक झांकी का निर्माण किया है. झांकी में हल बनाया गया है, जो तीन रंगों से रंगा है.

26 जनवरी की परेड में शामिल होगी कृषि उपकरणों की झांकी
26 जनवरी की परेड में शामिल होगी कृषि उपकरणों की झांकी
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Published : Jan 25, 2021, 7:50 PM IST

मेरठ: एक ओर जहां 26 जनवरी को दिल्ली में किसान ट्रैक्टर परेड करने जा रहे हैं. वहीं मुजफ्फरनगर के किसान जनपथ पर कृषि उपकरणों की झांकी लेकर दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं. सोमवार को किसान ट्रैक्टरों के साथ मेरठ पहुंचे. किसानों ने बताया कि इस झांकी को उन्होंने खुद सजाया है. जिसमें 'हल' और अन्य कृषि उपकरणों को सजाया गया है. किसानों का कहना है कि जिस तरह विभिन्न राज्यों से आने वाली झांकियों का प्रदर्शन किया जाएगा, उसी तरह वे अपनी इस कृषि उपकरण वाली झांकी का प्रदर्शन करेंगे. जिससे झांकी देखने वाले दर्शकों को बताया जा सके कि गेंहू, धान, दलहन, तिलहन की फसलों की कैसे पैदावार होती है.

कृषि उपकरणों की झांकी लेकर दिल्ली के लिए रवाना हुए किसान.

झांकी में रखा 'हल'
26 जनवरी को जनपथ पर जहां देश भक्ति की झांकियां निकाली जाती हैं. इस बार आंदोलन कर रहे किसान कृषि उपकरणों की झांकी निकालने जा रहे हैं. मुजफ्फरनगर के किसान हल और अन्य कृषि उपकरणों की झांकी लेकर दिल्ली के लिए रवाना हो चुके हैं. कई दशक पहले यह 'हल' भारत और किसानों की पहचान हुआ करता था.

हाइवे पर किया प्रदर्शन
मेरठ से निकलते हुए मुजफ्फरनगर के किसानों ने इस झांकी का सड़क किनारे प्रदर्शन किया. एक ट्रैक्टर में हल को बनाया गया और उसको सफेद और हरे रंग से रंगा गया है. साथ ही तीनों कानूनों को वापस लेने के लिए स्लोगन भी लिखे हैं. भाकियू कार्यकर्ता अमृत पाल सिंह ने बताया कि ये झांकी आम लोगों को किसानों के संघर्षों के बारे में बताएगी. पहले के समय हल से ही खेतों जुताई होती थी. इसी झांकी को किसान परेड में मंगलवार को शामिल किया जाएगा. शहरों में रहने वाले युवाओं को यह बताने के लिए झांकी निकाली जा रही है कि गेंहू, चावल पन्नियों में नहीं बल्कि हल और किसान की मेहनत से खेतों में उगाया जाता है.

कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा आंदोलन
आपको बता दें कि पिछले 66 दिनों से लगातार कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन कर रहे हैं. सरकार और किसान संगठनों के बीच हुई बैठकें बेनतीजा साबित हुई हैं. जहां किसान संगठन कृषि कानूनों को वापस लेने की जिद्द पर अड़े हैं, वहीं सरकार ने संशोधन के बाद लागू करने की बात कही है. बावजूद इसके आंदोलन का कोई हल नहीं निकल पाया है. जिसके चलते किसानों ने 26 जनवरी को होने वाली टैंकरों की परेड के बीच ट्रैक्टर परेड करने का आह्वान किया हुआ है.

मेरठ: एक ओर जहां 26 जनवरी को दिल्ली में किसान ट्रैक्टर परेड करने जा रहे हैं. वहीं मुजफ्फरनगर के किसान जनपथ पर कृषि उपकरणों की झांकी लेकर दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं. सोमवार को किसान ट्रैक्टरों के साथ मेरठ पहुंचे. किसानों ने बताया कि इस झांकी को उन्होंने खुद सजाया है. जिसमें 'हल' और अन्य कृषि उपकरणों को सजाया गया है. किसानों का कहना है कि जिस तरह विभिन्न राज्यों से आने वाली झांकियों का प्रदर्शन किया जाएगा, उसी तरह वे अपनी इस कृषि उपकरण वाली झांकी का प्रदर्शन करेंगे. जिससे झांकी देखने वाले दर्शकों को बताया जा सके कि गेंहू, धान, दलहन, तिलहन की फसलों की कैसे पैदावार होती है.

कृषि उपकरणों की झांकी लेकर दिल्ली के लिए रवाना हुए किसान.

झांकी में रखा 'हल'
26 जनवरी को जनपथ पर जहां देश भक्ति की झांकियां निकाली जाती हैं. इस बार आंदोलन कर रहे किसान कृषि उपकरणों की झांकी निकालने जा रहे हैं. मुजफ्फरनगर के किसान हल और अन्य कृषि उपकरणों की झांकी लेकर दिल्ली के लिए रवाना हो चुके हैं. कई दशक पहले यह 'हल' भारत और किसानों की पहचान हुआ करता था.

हाइवे पर किया प्रदर्शन
मेरठ से निकलते हुए मुजफ्फरनगर के किसानों ने इस झांकी का सड़क किनारे प्रदर्शन किया. एक ट्रैक्टर में हल को बनाया गया और उसको सफेद और हरे रंग से रंगा गया है. साथ ही तीनों कानूनों को वापस लेने के लिए स्लोगन भी लिखे हैं. भाकियू कार्यकर्ता अमृत पाल सिंह ने बताया कि ये झांकी आम लोगों को किसानों के संघर्षों के बारे में बताएगी. पहले के समय हल से ही खेतों जुताई होती थी. इसी झांकी को किसान परेड में मंगलवार को शामिल किया जाएगा. शहरों में रहने वाले युवाओं को यह बताने के लिए झांकी निकाली जा रही है कि गेंहू, चावल पन्नियों में नहीं बल्कि हल और किसान की मेहनत से खेतों में उगाया जाता है.

कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा आंदोलन
आपको बता दें कि पिछले 66 दिनों से लगातार कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन कर रहे हैं. सरकार और किसान संगठनों के बीच हुई बैठकें बेनतीजा साबित हुई हैं. जहां किसान संगठन कृषि कानूनों को वापस लेने की जिद्द पर अड़े हैं, वहीं सरकार ने संशोधन के बाद लागू करने की बात कही है. बावजूद इसके आंदोलन का कोई हल नहीं निकल पाया है. जिसके चलते किसानों ने 26 जनवरी को होने वाली टैंकरों की परेड के बीच ट्रैक्टर परेड करने का आह्वान किया हुआ है.

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