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पंजाब से साइकिल चलाकर बिहार के ​लिए निकले 17 मजदूर, मेरठ में बयां किया दर्द

यूपी के मेरठ में शनिवार को 17 मजदूर साइकिल से पहुंचे. इन सभी को बिहार के कटिहार जाना है. ये अमृतसर से 27 अप्रैल को बिहार के लिए निकले हैं.

मेरठ समाचार.
लॉकडाउन की मार झेल रहे मजदूर.
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Published : May 3, 2020, 1:09 AM IST

मेरठ: प्रदेश की सरकारें अपने राज्यों के मजदूरों को वापस बुलाने के लिए कदम उठा रही हैं. इसके बाद भी बड़ी संख्या में लोग दूसरे राज्यों में फंसे हैं. भूखे रहने की नौबत आने पर ऐसे मजदूर लॉकडाउन की परवाह किये बिना अपने घरों की ओर निकल पड़े हैं. शनिवार को मजदूरों की एक टोली मेरठ पहुंची. ये सभी अमृतसर से साइकिल पर बिहार के लिए निकले हैं.

इस टोली में 17 मजदूर शामिल हैं. सभी बिहार के कटिहार जिले के लिए निकले हैं. मजदूरों ने बताया कि ये अमृतसर में रोज मजदूरी कर दो वक्त की रोटी का इंतजाम कर रहे थे. लॉकडाउन में वहीं रूकना पड़ा. सोचा था कि लॉकडाउन खुल जाएगा तो फिर से मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम कर लेंगे. लॉकडाउन में एक महीना अमृतसर में ही बिताया. किसी तरह गुजारा किया, लेकिन अब सब कुछ खत्म हो गया. सरकारी मदद भी नहीं मिली. इसके बाद वापस अपने घर चलने का निर्णय किया.

मेरठ समाचार.
विश्राम करते मजदूर.
साइकिल से शुरू किया सफर मजदूरों ने बताया कि बसें चल नहीं रही थीं. सभी ने तय किया कि एक साथ साइकिल से चलेंगे. 27 अप्रैल को अमृतसर से बिहार के कटिहार जिले के लिए चल दिये. रोजाना 70 से 100 किलोमीटर का सफर साइकिल से तय करते हैं. दिन में गरमी के कारण अधिक सफर नहीं होता, इसलिए कहीं भी रूक जाते हैं. रास्ते में कहीं भोजन भी नहीं मिलता है. अधिकतर सफर चने खाकर और पानी पीकर ही पूरा करते हैं. मजदूरों ने बताया कि एक-दो जगह पर लोगों ने उन्हें कुछ भोजन दिया. अधिकतर सफर में कहीं खाना नहीं मिला.भाजपा नेता ने दिलाई मददशनिवार को जब मजदूरों की टोली मेरठ पहुंची तो ये सब मजदूर हाईवे किनारे आराम करने के लिए खड़े थे. भाजपा युवा मोर्चा के पूर्व जिला मंत्री मनिंदर विहान ने इन मजदूरों को देखा और उनकी परेशानी को जाना. मनिंदर विहान ने थाना प्रभारी पल्लवपुरम दिग्वि​जय नाथ शाही को इन मजदूरों के बारे में जानकारी दी. थाना प्रभारी ने सभी मजदूरों के लिए खाने की व्यवस्था कराई. मजदूर विजय कुमार, संजय, रंजीत शंकर आदि का कहना है कि उन्हें नहीं पता कि आगे का सफर कैसे पूरा होगा. अभी लॉकडाउन खुलने की कोई आस नहीं दिख रही है. मजबूरी में उन्हें वापस अपने घर लौटने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.

मेरठ: प्रदेश की सरकारें अपने राज्यों के मजदूरों को वापस बुलाने के लिए कदम उठा रही हैं. इसके बाद भी बड़ी संख्या में लोग दूसरे राज्यों में फंसे हैं. भूखे रहने की नौबत आने पर ऐसे मजदूर लॉकडाउन की परवाह किये बिना अपने घरों की ओर निकल पड़े हैं. शनिवार को मजदूरों की एक टोली मेरठ पहुंची. ये सभी अमृतसर से साइकिल पर बिहार के लिए निकले हैं.

इस टोली में 17 मजदूर शामिल हैं. सभी बिहार के कटिहार जिले के लिए निकले हैं. मजदूरों ने बताया कि ये अमृतसर में रोज मजदूरी कर दो वक्त की रोटी का इंतजाम कर रहे थे. लॉकडाउन में वहीं रूकना पड़ा. सोचा था कि लॉकडाउन खुल जाएगा तो फिर से मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम कर लेंगे. लॉकडाउन में एक महीना अमृतसर में ही बिताया. किसी तरह गुजारा किया, लेकिन अब सब कुछ खत्म हो गया. सरकारी मदद भी नहीं मिली. इसके बाद वापस अपने घर चलने का निर्णय किया.

मेरठ समाचार.
विश्राम करते मजदूर.
साइकिल से शुरू किया सफर मजदूरों ने बताया कि बसें चल नहीं रही थीं. सभी ने तय किया कि एक साथ साइकिल से चलेंगे. 27 अप्रैल को अमृतसर से बिहार के कटिहार जिले के लिए चल दिये. रोजाना 70 से 100 किलोमीटर का सफर साइकिल से तय करते हैं. दिन में गरमी के कारण अधिक सफर नहीं होता, इसलिए कहीं भी रूक जाते हैं. रास्ते में कहीं भोजन भी नहीं मिलता है. अधिकतर सफर चने खाकर और पानी पीकर ही पूरा करते हैं. मजदूरों ने बताया कि एक-दो जगह पर लोगों ने उन्हें कुछ भोजन दिया. अधिकतर सफर में कहीं खाना नहीं मिला.भाजपा नेता ने दिलाई मददशनिवार को जब मजदूरों की टोली मेरठ पहुंची तो ये सब मजदूर हाईवे किनारे आराम करने के लिए खड़े थे. भाजपा युवा मोर्चा के पूर्व जिला मंत्री मनिंदर विहान ने इन मजदूरों को देखा और उनकी परेशानी को जाना. मनिंदर विहान ने थाना प्रभारी पल्लवपुरम दिग्वि​जय नाथ शाही को इन मजदूरों के बारे में जानकारी दी. थाना प्रभारी ने सभी मजदूरों के लिए खाने की व्यवस्था कराई. मजदूर विजय कुमार, संजय, रंजीत शंकर आदि का कहना है कि उन्हें नहीं पता कि आगे का सफर कैसे पूरा होगा. अभी लॉकडाउन खुलने की कोई आस नहीं दिख रही है. मजबूरी में उन्हें वापस अपने घर लौटने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.
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