मेरठः कोरोना काल ने कई जिंदगियां निगल ली. जिससे कई परिवार तबाह हो गए और मासूम बच्चे अनाथ हो गए. इसी तरह जिले के 13 महीने के बच्चे सारांश के सिर से पिता का साया भी कोरोना काल में उठ गया. अब मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना (CM Child Service Scheme) के तहत सारांश को मिल रही धनराशि परिवार का सहारा बन रही है.
कोरोनाकाल में अनाथ हुए बच्चों की व्यथा किसी को झकझोर दे. ऐसी ही एक हृदयविदारक कहानी मेरठ के एक दुधमुहे बच्चे सारांश की है. सारांश को इस दुनिया में आए अभी मात्र तीन महीने ही हुए थे कि 2 सितम्बर 2020 को उसके सिर से पिता का साया उठ गया. घर में इकलौते कमाने वाले आलेख सक्सेना की मौत के बाद न सिर्फ इस बच्चे के सिर से पिता का साया उठा बल्कि उनकी पत्नी और बुजुर्ग माता पिता की मानों दुनिया ही उजड़ गई. प्राइवेट नौकरी के जरिए घर का खर्च उठाने वाले आलेख की मौत के बाद परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. पत्नी रितिका सक्सेना कहती हैं कि पैंतीस साल की उम्र में उनके पति की मौत के बाद वो एक एक रुपये के लिए तरस गए. आलेख के बुजुर्ग माता पिता का कहना है कि आज की तारीख में उनके साथ अगर कोई फौलाद बनकर खड़ा है तो वो सरकार है. वो कहते हैं कि अगर सरकार न होती तो वो दाने-दाने को मोहताज हो गए होते. आलेख की पत्नी कहती हैं कि अभी कुछ दिन पहले सरकार की तरफ से बच्चे के लालन-पालन के लिए चार हजार रुपये प्रति महीने की आर्थिक मदद मिलने लगी है, जिससे घर का खर्च चल रहा है.
सारांश की मां कहती हैं कि घर में कोई कमाने वाला नहीं बचा है, इसलिए सरकार उन्हें रोजगार उपलब्ध कराए. ताकि वो बच्चे और बुजु़र्ग माता पिता की देखभाल कर सकें. वहीं सारांश के दादा-दादी का दुख बॉलीवुड की सारांश फिल्म की याद दिला देता है. जिला प्रोबेशन अधिकारी शत्रुघ्न कन्नौजिया ने बताया कि मेरठ में कोरोना काल में अनाथ हुए 102 बच्चों को प्रशासन ने चिह्नित किया गया है. इनमें 13 बच्चे ऐसे हैं, जिनके माता-पिता दोनों इस दुनिया में नहीं हैं. जबकि 89 बच्चे ऐसे हैं जिनके मां या फिर पिता को कोरोना वायरस ने छीन लिया है.