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UP Assembly Election 2022 : मऊ जिले की मोहम्मदाबाद गोहना-355 विधानसभा का डेमोग्राफी - मोहम्मदाबाद गोहना 355 विधानसभा का डेमोग्राफी

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) में अब कुछ ही महीने शेष हैं. वहीं मोहम्मदाबाद गोहना विधानसभा सीट मऊ जिले की महत्वपूर्ण सीट है, जिस पर चुनावी पंडितों की नजर बनी हुई है. आइये जानते हैं इस सीट पर किस जाति का कितना प्रभाव है, साथ ही अब तक कौन-कौन पार्टी इस सीट पर कब्जा जमाने में सफल हो पायी हैं.

UP Assembly Election 2022
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Published : Oct 2, 2021, 3:41 PM IST

मऊ : मऊ जिले की 4 विधानसभा सीटों में से एक सीट है मोहम्मदाबाद गोहना-355. यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. देव ऋषि देवल की तपोभूमि देवलास, खुराहट का देइस्थान तथा करहा में बाबा घनश्याम दास की तपोभूमि और मंदिर, गुरादारी मठ इस विधानसभा के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल हैं. यह सीट 2022 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर काफी अहम है. पूरे प्रदेश के चुनावी पंडितों की नजर इस विधानसभा सीट पर बनी हुई है. इसकी वजह भी बड़ी दिलचस्प है. ऐसा देखा गया है कि पिछले 10 विधानसभा चुनावों में इस सीट से जिस दल का विधायक चुना गया, प्रदेश में उसी दल की सरकार सत्ता में बैठती है.

SC सुरक्षित सीट है मुहम्मदाबाद गोहना विधानसभा-355

लगभग 455 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल की इस विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 374300 हैं. यहां महिला-पुरुष अनुपात 875 है. अनुसूचित और ओबीसी मतदाताओं के बहुलता वाले इस विधानसभा क्षेत्र में 2017 में बीजेपी के उम्मीदवार श्रीराम सोनकर ने 73493 वोट पाकर सीधी टक्कर में बीएसपी के राजेंद्र कुमार 72955 वोट को 538 मतों के मामूली अंतर से पराजित किया था. 102000 दलित वोटर, 58000 यादव, 56000 मुस्लिम, 31000 चौहान और 24 हजार राजभर वोटर इस सीट पर उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करते हैं. लगभग हर चुनाव में यहां बसपा, सपा, भाजपा में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलता है.

पिछले आठ विधानसभा चुनाव में से तीन बार बसपा, तीन बार भाजपा, दो बार सपा ने जीत हासिल की थी. अगर पिछले चुनाव पर नजर डालें तो 2012 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर सपा विजयी रही थी. 2012 विधानसभा चुनाव में सपा के बैजनाथ पासवान ने बीएसपी के राजेंद्र कुमार को पराजित किया था, जबकि 2007 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी के राजेंद्र कुमार ने सपा के बनवारी को 3562 वोटों से हराया था.


स्वास्थ्य, शिक्षा, बेरोजगारी, बदहाल सड़कें, बिजली कटौती, पानी और बुनकर विधानसभा क्षेत्र के प्रमुख चुनावी मुद्दे हैं. यह विधानसभा हमेशा से सुरक्षित सीट रही है. जातीय समीकरण यहां चुनावी मुद्दे को प्रभावित करते रहे हैं. जीत-हार जातिगत आधार पर तय होने लगते हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में रोजगार का कोई भी बड़ा केंद्र नहीं है. रोजगार की तलाश में देश के अन्य हिस्सों और विदेशों में भटकते यहां के युवकों के लिए रोजगार की समस्या भी एक चुनावी मुद्दा है.

पूर्वांचल की महत्वाकांक्षी सड़क योजना पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का इस विधानसभा क्षेत्र से गुजरते हुए भी उसका ठहराव ना होना, इस बार चुनावी मुद्दा होगा. वहीं स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में यह विधानसभा काफी पिछड़ा हुआ है. मुद्दे सिर्फ चुनाव के समय ही उठते हैं और चुनाव के बाद फिर अगले चुनाव तक शांत हो जाते हैं. यही किस्सा बार-बार दोहराया जाता है. बिजली-पानी और बदहाल सड़कें भी केवल चुनावी मुद्दा बनकर रह गए हैं. वैसे भी इस सीट पर विकास के मुद्दे से ज्यादा जाति समीकरण ही हावी रहते हैं.

इसे भी पढे़ं- जल जीवन मिशन मोबाइल ऐप लॉन्च, पीएम मोदी बोले- 2 लाख गांवों में कचरा प्रबंधन शुरू


2022 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर कड़ी टक्कर देखने को मिल सकता है. सबकी नजर अबकी बार इस बात पर रहेगी कि इस त्रिकोणीय मुकाबले में जीत किसकी होगी. यहां से जिस पार्टी का विधायक चुना जाएगा, क्या उसी पार्टी की सरकार प्रदेश में बनेगी या यह मिथक टूटेगा.

मऊ : मऊ जिले की 4 विधानसभा सीटों में से एक सीट है मोहम्मदाबाद गोहना-355. यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. देव ऋषि देवल की तपोभूमि देवलास, खुराहट का देइस्थान तथा करहा में बाबा घनश्याम दास की तपोभूमि और मंदिर, गुरादारी मठ इस विधानसभा के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल हैं. यह सीट 2022 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर काफी अहम है. पूरे प्रदेश के चुनावी पंडितों की नजर इस विधानसभा सीट पर बनी हुई है. इसकी वजह भी बड़ी दिलचस्प है. ऐसा देखा गया है कि पिछले 10 विधानसभा चुनावों में इस सीट से जिस दल का विधायक चुना गया, प्रदेश में उसी दल की सरकार सत्ता में बैठती है.

SC सुरक्षित सीट है मुहम्मदाबाद गोहना विधानसभा-355

लगभग 455 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल की इस विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 374300 हैं. यहां महिला-पुरुष अनुपात 875 है. अनुसूचित और ओबीसी मतदाताओं के बहुलता वाले इस विधानसभा क्षेत्र में 2017 में बीजेपी के उम्मीदवार श्रीराम सोनकर ने 73493 वोट पाकर सीधी टक्कर में बीएसपी के राजेंद्र कुमार 72955 वोट को 538 मतों के मामूली अंतर से पराजित किया था. 102000 दलित वोटर, 58000 यादव, 56000 मुस्लिम, 31000 चौहान और 24 हजार राजभर वोटर इस सीट पर उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करते हैं. लगभग हर चुनाव में यहां बसपा, सपा, भाजपा में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलता है.

पिछले आठ विधानसभा चुनाव में से तीन बार बसपा, तीन बार भाजपा, दो बार सपा ने जीत हासिल की थी. अगर पिछले चुनाव पर नजर डालें तो 2012 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर सपा विजयी रही थी. 2012 विधानसभा चुनाव में सपा के बैजनाथ पासवान ने बीएसपी के राजेंद्र कुमार को पराजित किया था, जबकि 2007 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी के राजेंद्र कुमार ने सपा के बनवारी को 3562 वोटों से हराया था.


स्वास्थ्य, शिक्षा, बेरोजगारी, बदहाल सड़कें, बिजली कटौती, पानी और बुनकर विधानसभा क्षेत्र के प्रमुख चुनावी मुद्दे हैं. यह विधानसभा हमेशा से सुरक्षित सीट रही है. जातीय समीकरण यहां चुनावी मुद्दे को प्रभावित करते रहे हैं. जीत-हार जातिगत आधार पर तय होने लगते हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में रोजगार का कोई भी बड़ा केंद्र नहीं है. रोजगार की तलाश में देश के अन्य हिस्सों और विदेशों में भटकते यहां के युवकों के लिए रोजगार की समस्या भी एक चुनावी मुद्दा है.

पूर्वांचल की महत्वाकांक्षी सड़क योजना पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का इस विधानसभा क्षेत्र से गुजरते हुए भी उसका ठहराव ना होना, इस बार चुनावी मुद्दा होगा. वहीं स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में यह विधानसभा काफी पिछड़ा हुआ है. मुद्दे सिर्फ चुनाव के समय ही उठते हैं और चुनाव के बाद फिर अगले चुनाव तक शांत हो जाते हैं. यही किस्सा बार-बार दोहराया जाता है. बिजली-पानी और बदहाल सड़कें भी केवल चुनावी मुद्दा बनकर रह गए हैं. वैसे भी इस सीट पर विकास के मुद्दे से ज्यादा जाति समीकरण ही हावी रहते हैं.

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2022 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर कड़ी टक्कर देखने को मिल सकता है. सबकी नजर अबकी बार इस बात पर रहेगी कि इस त्रिकोणीय मुकाबले में जीत किसकी होगी. यहां से जिस पार्टी का विधायक चुना जाएगा, क्या उसी पार्टी की सरकार प्रदेश में बनेगी या यह मिथक टूटेगा.

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