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यूपी विधानसभा चुनाव 2022 : उस विधानसभा सीट के समीकरण जहां दो दशक से मुख्तार का है दबदबा - मऊ सदर विधानसभा की डेमोग्राफी

मऊ जिले में कुल 4 विधानसभा सीटें हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में 3 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी का कमल खिला था. वहीं मऊ सदर विधानसभा-356 से पिछले 25 वर्षों से बाहुबली मुख्तार अंसारी का कब्जा अब तक बरकरार है. विधानसभा चुनाव 2022 में पूर्वांचल समेत पूरे उत्तर प्रदेश की निगाहें मऊ सदर विधानसभा सीट पर रहेगी. 2022 में इस सीट पर किस जाति का कितना असर है, साथ ही अब तक कौन-कौन पार्टी इस सीट पर कब्जा जमाने में सफल हो पाई हैं. पेश है यह खास रिपोर्ट.

यूपी विधानसभा चुनाव 2022
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Published : Oct 2, 2021, 4:28 PM IST

मऊ : UP Assembly Election 2022 : मऊ सदर पर बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी का दबदबा पिछले दो दशक से भी ज्यादा समय से बरकरार है. हालांकि पिछले कुछ समय से मुख्तार के करीबियों पर शासन के सख्त रवैया अपना लेने से, इस बार मुख्तार के गढ़ में सेंध लगाने के कयास लगाए जा रहे हैं. हाालंकि यह तो आने वाला समय बताएगा कि इस सीट पर जनता किसे अपना नेता चुनती है.

आपको बता दें, मऊ सदर विधानसभा अपनी साड़ियों के लिए भारत ही नहीं बल्कि विश्व में प्रसिद्ध है. मऊ की साड़ियां बनारसी साड़ियों को कड़ी टक्कर देती हैं. अपनी सायरन से कभी शहर के लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचने वाली और रोजगार के बड़े स्रोत शहर की दो कताई मिलें पिछले दो दशकों से बंद पड़ी हैं. अपनी पौराणिक धरोहर को समेटे शीतला धाम मंदिर और वनदेवी धाम मंदिर शहर को अध्यात्म से जोड़ती हैं. यहां स्थित कृषि अनुसंधान केंद्र विश्व पटल पर अपनी छाप छोड़ता है. राष्ट्रीय उद्यान रोज गार्डन और बन देवी धाम पर्यटन के क्षेत्र में अपनी भूमिका दर्शाते हैं.

सदर विधानसभा से बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी के कारण पिछले 2 दशकों से बहुचर्चित सीट पूर्वांचल के सबसे हॉट सीट में से एक मानी जाती है. ऐसा माना जाता है कि मऊ विधानसभा सीट का परिणाम आसपास के अन्य विधानसभा सीटों को भी प्रभावित करता है. मऊ सदर के विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 470666 हैं. जबकि महिला पुरुष अनुपात 890 है. यह विधानसभा सीट राजनीतिक दृष्टिकोण से हमेशा चर्चा का विषय बना रहता है. मुस्लिम बुनकर बाहुल्य इस सीट पर अनुसूचित और पिछड़ी जातियां भी अपना प्रभाव रखती हैं. हालांकि मुस्लिम वोटरों की संख्या अधिक होने से इस सीट पर मुस्लिम विधायक ही जीतते आए हैं. एक बार जनसंघ से चुनाव लड़े लल्लू बाबू ही एकमात्र हिंदू विधायक रहे.


विधानसभा के जाति आंकड़े कुछ इस प्रकार हैं

सदर विधानसभा सीट पर लगभग 170000 मुस्लिम वोटर, 91000 अनुसूचित, 45000 यादव, 45500 राजभर, 42500 चौहान वोटर प्रत्याशियों के भाग का फैसला करते हैं. कभी कम्युनिस्टिक गढ़ माने जाने वाली मऊ सदर के लिए ऐसी मान्यता थी कि कोई भी विधायक यहां से दोबारा जीत नहीं पाता था. लेकिन इस मिथक को तोड़ा गाजीपुर के मुख्तार अंसारी ने. मुख्तार न केवल 5 बार विधायक बने बल्कि इसे अपना गढ़ भी बना लिया. मुख्तार ने अपना वर्चस्व इस कदर कायम किया कि पूर्वांचल की कई सीटों पर मुख्तार के कुनबे का दबदबा हो गया.


मऊ सदर सीट पर पिछले 2 दशकों से बाहुबली मुख्तार अंसारी का कब्ज़ा रहा है. मुख्तार फिलहाल बांदा जेल में बंद है. मुख्तार अंसारी का राजनीतिक इतिहास कभी एक दल के साथ नहीं रहा. जीत के लिए हवा का रुख भांपकर कभी बसपा कभी सपा तो कभी खुद की पार्टी से चुनाव जीतता आया. बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा समर्थित सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के महेंद्र राजभर को 8698 मतों से पराजित कर फिर से मऊ सदर सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा.


पिछले विधानसभा चुनाव की चर्चा करें तो इससे पहले 2012 के विधानसभा चुनाव में मुख्तार अंसारी खुद की पार्टी कौमी एकता दल से चुनाव जीता था, जिसमें उसने बसपा के भीम राजभर को हराया था. 2007 के विधानसभा चुनाव में मुख्तार अंसारी ने निर्दल चुनाव लड़ते हुए बसपा के विजय प्रताप को 7018 वोटों से हराया था. बाहुबली मुख्तार अंसारी के कुनबे का प्रभाव पूर्वांचल के कई सीटों पर माना जाता है. अब चुनावी पंडितों की नजर इस बात पर रहेगी कि हवा के रुख को भांपने में माहिर बाहुबली 2022 में यहां किस पार्टी से चुनाव लड़ता है. कुछ समय पहले ही मुख्तार अंसारी के बड़े भाई सिबकतुल्लाह ने समाजवादी पार्टी का दामन थामा है. इससे इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि मऊ सदर विधानसभा से मुख्तार अंसारी सपा का चेहरा हो सकता है.


मऊ सदर विधानसभा के नगर में दो स्पिनिंग मिल होने के बावजूद दशकों से बंद होना बेरोजगारी को बढ़ावा देता है. इन मिलों को चालू होना भी एक चुनावी मुद्दा है. वैसे तो जिले को प्राइवेट अस्पतालों का हब भी कहा जाता है. लेकिन सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं सर्दी जुखाम बुखार तक ही सीमित रहती हैं. बुनकर बाहुल्य क्षेत्र होने के नाते बुनकरों को बिजली की कमी हमेशा सताती है और यह सभी राजनीतिक दलों का चुनावी एजेंडा बना रहता है. इस विधानसभा के विधायक मुख्तार अंसारी का लगभग डेढ़ दशकों से जेल में बंद रहना विकास उदासीनता को बढ़ाता है. चुनाव में जाति और धर्म विकास पर हावी होते दिखाई देते हैं.

इसे भी पढ़ें- CM योगी ने आजादी के अग्रदूत राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को किया नमन


कुल मिलाकर मऊ जनपद की सभी 4 विधानसभा सीटों पर मुद्दे एक जैसे ही दिखाई पड़ते हैं. सत्ताधारी दल के तीन विधायक और एक कैबिनेट मंत्री होने के बावजूद भी यह जिला विकास के मामले में काफी पिछड़ा हुआ नजर आता है. अब देखना यह है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में कोई मुद्दों रहता है या केवल धर्म और जाति के आधार पर ही चुनाव लड़ा जाता है.

मऊ : UP Assembly Election 2022 : मऊ सदर पर बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी का दबदबा पिछले दो दशक से भी ज्यादा समय से बरकरार है. हालांकि पिछले कुछ समय से मुख्तार के करीबियों पर शासन के सख्त रवैया अपना लेने से, इस बार मुख्तार के गढ़ में सेंध लगाने के कयास लगाए जा रहे हैं. हाालंकि यह तो आने वाला समय बताएगा कि इस सीट पर जनता किसे अपना नेता चुनती है.

आपको बता दें, मऊ सदर विधानसभा अपनी साड़ियों के लिए भारत ही नहीं बल्कि विश्व में प्रसिद्ध है. मऊ की साड़ियां बनारसी साड़ियों को कड़ी टक्कर देती हैं. अपनी सायरन से कभी शहर के लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचने वाली और रोजगार के बड़े स्रोत शहर की दो कताई मिलें पिछले दो दशकों से बंद पड़ी हैं. अपनी पौराणिक धरोहर को समेटे शीतला धाम मंदिर और वनदेवी धाम मंदिर शहर को अध्यात्म से जोड़ती हैं. यहां स्थित कृषि अनुसंधान केंद्र विश्व पटल पर अपनी छाप छोड़ता है. राष्ट्रीय उद्यान रोज गार्डन और बन देवी धाम पर्यटन के क्षेत्र में अपनी भूमिका दर्शाते हैं.

सदर विधानसभा से बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी के कारण पिछले 2 दशकों से बहुचर्चित सीट पूर्वांचल के सबसे हॉट सीट में से एक मानी जाती है. ऐसा माना जाता है कि मऊ विधानसभा सीट का परिणाम आसपास के अन्य विधानसभा सीटों को भी प्रभावित करता है. मऊ सदर के विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 470666 हैं. जबकि महिला पुरुष अनुपात 890 है. यह विधानसभा सीट राजनीतिक दृष्टिकोण से हमेशा चर्चा का विषय बना रहता है. मुस्लिम बुनकर बाहुल्य इस सीट पर अनुसूचित और पिछड़ी जातियां भी अपना प्रभाव रखती हैं. हालांकि मुस्लिम वोटरों की संख्या अधिक होने से इस सीट पर मुस्लिम विधायक ही जीतते आए हैं. एक बार जनसंघ से चुनाव लड़े लल्लू बाबू ही एकमात्र हिंदू विधायक रहे.


विधानसभा के जाति आंकड़े कुछ इस प्रकार हैं

सदर विधानसभा सीट पर लगभग 170000 मुस्लिम वोटर, 91000 अनुसूचित, 45000 यादव, 45500 राजभर, 42500 चौहान वोटर प्रत्याशियों के भाग का फैसला करते हैं. कभी कम्युनिस्टिक गढ़ माने जाने वाली मऊ सदर के लिए ऐसी मान्यता थी कि कोई भी विधायक यहां से दोबारा जीत नहीं पाता था. लेकिन इस मिथक को तोड़ा गाजीपुर के मुख्तार अंसारी ने. मुख्तार न केवल 5 बार विधायक बने बल्कि इसे अपना गढ़ भी बना लिया. मुख्तार ने अपना वर्चस्व इस कदर कायम किया कि पूर्वांचल की कई सीटों पर मुख्तार के कुनबे का दबदबा हो गया.


मऊ सदर सीट पर पिछले 2 दशकों से बाहुबली मुख्तार अंसारी का कब्ज़ा रहा है. मुख्तार फिलहाल बांदा जेल में बंद है. मुख्तार अंसारी का राजनीतिक इतिहास कभी एक दल के साथ नहीं रहा. जीत के लिए हवा का रुख भांपकर कभी बसपा कभी सपा तो कभी खुद की पार्टी से चुनाव जीतता आया. बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा समर्थित सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के महेंद्र राजभर को 8698 मतों से पराजित कर फिर से मऊ सदर सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा.


पिछले विधानसभा चुनाव की चर्चा करें तो इससे पहले 2012 के विधानसभा चुनाव में मुख्तार अंसारी खुद की पार्टी कौमी एकता दल से चुनाव जीता था, जिसमें उसने बसपा के भीम राजभर को हराया था. 2007 के विधानसभा चुनाव में मुख्तार अंसारी ने निर्दल चुनाव लड़ते हुए बसपा के विजय प्रताप को 7018 वोटों से हराया था. बाहुबली मुख्तार अंसारी के कुनबे का प्रभाव पूर्वांचल के कई सीटों पर माना जाता है. अब चुनावी पंडितों की नजर इस बात पर रहेगी कि हवा के रुख को भांपने में माहिर बाहुबली 2022 में यहां किस पार्टी से चुनाव लड़ता है. कुछ समय पहले ही मुख्तार अंसारी के बड़े भाई सिबकतुल्लाह ने समाजवादी पार्टी का दामन थामा है. इससे इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि मऊ सदर विधानसभा से मुख्तार अंसारी सपा का चेहरा हो सकता है.


मऊ सदर विधानसभा के नगर में दो स्पिनिंग मिल होने के बावजूद दशकों से बंद होना बेरोजगारी को बढ़ावा देता है. इन मिलों को चालू होना भी एक चुनावी मुद्दा है. वैसे तो जिले को प्राइवेट अस्पतालों का हब भी कहा जाता है. लेकिन सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं सर्दी जुखाम बुखार तक ही सीमित रहती हैं. बुनकर बाहुल्य क्षेत्र होने के नाते बुनकरों को बिजली की कमी हमेशा सताती है और यह सभी राजनीतिक दलों का चुनावी एजेंडा बना रहता है. इस विधानसभा के विधायक मुख्तार अंसारी का लगभग डेढ़ दशकों से जेल में बंद रहना विकास उदासीनता को बढ़ाता है. चुनाव में जाति और धर्म विकास पर हावी होते दिखाई देते हैं.

इसे भी पढ़ें- CM योगी ने आजादी के अग्रदूत राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को किया नमन


कुल मिलाकर मऊ जनपद की सभी 4 विधानसभा सीटों पर मुद्दे एक जैसे ही दिखाई पड़ते हैं. सत्ताधारी दल के तीन विधायक और एक कैबिनेट मंत्री होने के बावजूद भी यह जिला विकास के मामले में काफी पिछड़ा हुआ नजर आता है. अब देखना यह है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में कोई मुद्दों रहता है या केवल धर्म और जाति के आधार पर ही चुनाव लड़ा जाता है.

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