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मऊ: हाईटेक हुई गांव की क्लास, स्मार्ट टीवी से पूरी हो रही शिक्षा की आस

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Published : Aug 25, 2020, 9:01 PM IST

उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में शिक्षकों ने नौनिहालों की पढ़ाई के लिए गांव में इंटरनेट और स्मार्ट टीवी की व्यवस्था की है, ताकि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो.

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मऊ में परिषदीय स्कूल के बच्चों को स्मार्ट टीवी से दी जा रही शिक्षा.

मऊ: कोरोना संक्रमण के दौर में सभी स्कूल बंद हैं. बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल ऑनलाइन क्लास संचालित कर रहे हैं. अब बच्चे घर बैठे ही स्मार्टफोन से क्लास ले रहे हैं. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित परिषदीय विद्यालयों के बच्चों के लिए स्मार्टफोन से पढ़ाई करना मुश्किल है, क्योंकि सभी बच्चों को स्मार्टफोन उपलब्ध करा पाना अभिभावकों के बजट से बाहर है.

मऊ में परिषदीय स्कूल के बच्चों को स्मार्ट टीवी से दी जा रही शिक्षा.

हालांकि मऊ जनपद के परदहां ब्लॉक स्थित प्राथमिक विद्यालय रकौली में स्मार्ट टीवी के जरिए बच्चों को पढ़ाने की मुहिम शिक्षकों ने चलाई है. यहां विद्यालय के शिक्षकों ने स्वयं के खर्च से ग्राम सभा में तीन जगह स्मार्ट टीवी और इंटरनेट की व्यवस्था कर बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिश की है.

दरअसल, कोरोना काल में चल रहे ऑनलाइन क्लास से परिषदीय विद्यालयों के अधिकांश छात्र वंचित हैं, क्योंकि उनके पास स्मार्टफोन नहीं हैं, लेकिन रकौली प्राथमिक विद्यालय के छात्रों के पास स्मार्टफोन नहीं होने के बावजूद इनकी क्लास चल रही है. विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने गांव में स्मार्ट टीवी और इंटरनेट स्थापित किया है, जहां बच्चे घर पर ही पाठ्यक्रम सीख रहे हैं.

सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर बच्चों को दी जा रही क्लास

शिक्षिका सदफ कौसर ने बताया कि छात्रों को स्मार्ट टीवी की सहायता से पढ़ाई कराई जा रही है. बच्चों को 10-10 के समूह में बैठाकर काम देते हैं और चेक करते हैं. गांव में स्थापित स्मार्ट टीवी को स्कूल के समय हम सभी शिक्षक संचालित करते हैं. इस मॉडल से सोशल डिस्टेंस के साथ बच्चों की पढ़ाई सुव्यवस्थित तरीके से चल रही है.

निजी खर्च से स्थापित किया स्मार्ट टीवी और इंटरनेट
कोरोना काल में भी गरीब बच्चों की पढ़ाई जारी रहे, इसके लिए प्राथमिक विद्यालय रकौली के शिक्षकों ने स्वयं के खर्च से तकनीकी शिक्षा उपलब्ध करने का बिड़ा उठाया हुआ है. प्रधानाध्यापक सतीश कुमार सिंह ने बताया कि बच्चों को बिना स्कूल आए ही घर पर शिक्षित किया जा रहा है. सतीश सिंह बताते हैं कि हम लोगों का एक ही उद्देश्य है, बच्चों को शिक्षित करना. इसके लिए जो सम्भव हो पाता है, किया जा रहा है. लॉकडाउन में जब बच्चों का स्कूल बंद हुआ तो हम लोगों ने घर-घर जाकर बच्चों को वर्कशीट और स्टेशनरी वितरित किया, ताकि बच्चों की पढ़ाई का क्रम जारी रहे. इस मॉडल से बच्चों को लाभ मिल रहा है, यह सुखद है.

मऊ: कोरोना संक्रमण के दौर में सभी स्कूल बंद हैं. बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल ऑनलाइन क्लास संचालित कर रहे हैं. अब बच्चे घर बैठे ही स्मार्टफोन से क्लास ले रहे हैं. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित परिषदीय विद्यालयों के बच्चों के लिए स्मार्टफोन से पढ़ाई करना मुश्किल है, क्योंकि सभी बच्चों को स्मार्टफोन उपलब्ध करा पाना अभिभावकों के बजट से बाहर है.

मऊ में परिषदीय स्कूल के बच्चों को स्मार्ट टीवी से दी जा रही शिक्षा.

हालांकि मऊ जनपद के परदहां ब्लॉक स्थित प्राथमिक विद्यालय रकौली में स्मार्ट टीवी के जरिए बच्चों को पढ़ाने की मुहिम शिक्षकों ने चलाई है. यहां विद्यालय के शिक्षकों ने स्वयं के खर्च से ग्राम सभा में तीन जगह स्मार्ट टीवी और इंटरनेट की व्यवस्था कर बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिश की है.

दरअसल, कोरोना काल में चल रहे ऑनलाइन क्लास से परिषदीय विद्यालयों के अधिकांश छात्र वंचित हैं, क्योंकि उनके पास स्मार्टफोन नहीं हैं, लेकिन रकौली प्राथमिक विद्यालय के छात्रों के पास स्मार्टफोन नहीं होने के बावजूद इनकी क्लास चल रही है. विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने गांव में स्मार्ट टीवी और इंटरनेट स्थापित किया है, जहां बच्चे घर पर ही पाठ्यक्रम सीख रहे हैं.

सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर बच्चों को दी जा रही क्लास

शिक्षिका सदफ कौसर ने बताया कि छात्रों को स्मार्ट टीवी की सहायता से पढ़ाई कराई जा रही है. बच्चों को 10-10 के समूह में बैठाकर काम देते हैं और चेक करते हैं. गांव में स्थापित स्मार्ट टीवी को स्कूल के समय हम सभी शिक्षक संचालित करते हैं. इस मॉडल से सोशल डिस्टेंस के साथ बच्चों की पढ़ाई सुव्यवस्थित तरीके से चल रही है.

निजी खर्च से स्थापित किया स्मार्ट टीवी और इंटरनेट
कोरोना काल में भी गरीब बच्चों की पढ़ाई जारी रहे, इसके लिए प्राथमिक विद्यालय रकौली के शिक्षकों ने स्वयं के खर्च से तकनीकी शिक्षा उपलब्ध करने का बिड़ा उठाया हुआ है. प्रधानाध्यापक सतीश कुमार सिंह ने बताया कि बच्चों को बिना स्कूल आए ही घर पर शिक्षित किया जा रहा है. सतीश सिंह बताते हैं कि हम लोगों का एक ही उद्देश्य है, बच्चों को शिक्षित करना. इसके लिए जो सम्भव हो पाता है, किया जा रहा है. लॉकडाउन में जब बच्चों का स्कूल बंद हुआ तो हम लोगों ने घर-घर जाकर बच्चों को वर्कशीट और स्टेशनरी वितरित किया, ताकि बच्चों की पढ़ाई का क्रम जारी रहे. इस मॉडल से बच्चों को लाभ मिल रहा है, यह सुखद है.

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