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NRC के मुद्दे पर बोले शिया धर्मगुरु, गृहमंत्री अमित शाह को लेकर दिया ये बयान

एनआरसी को लेकर मुस्लिम धर्मगुरुओं की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं. यूपी के मऊ में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने रांची से आए शिया समुदाय के मौलाना ने एक ओर जहां एनआरसी का स्वागत किया तो वहीं दूसरी ओर मायूसी की बात भी कही है.

एनआरसी के मुद्दे पर शिया धर्मगुरु ने दी प्रतिक्रिया.
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Published : Oct 6, 2019, 5:24 PM IST

मऊ: असम में लागू हुई एनआरसी के बाद देश भर में एनआरसी पर चर्चाएं चल रही है. वहीं उत्तर प्रदेश में भी एनआरसी लागू करने पर बहस शुरू हो गई है. सीएम योगी द्वारा असम की तरह यूपी में भी एनआरसी को लागू करने की मंशा जताने की बात कहते ही यूपी पुलिस ने भी कवायद शुरू कर दी है.

एनआरसी के मुद्दे पर शिया धर्मगुरु ने दी प्रतिक्रिया.

यूपी पुलिस ने सभी जिलों में रह रहे अवैध बांग्लादेशियों को चिन्हित करने का फैसला किया है. हालांकि यूपी के प्रमुख सचिव गृह अवनीश अवस्‍थी ने शनिवार को वाराणसी में साफ किया कि सूबे में अभी एनआरसी यानी राष्‍ट्रीय नागरिक रजिस्‍टर लागू नहीं किया गया है.

NRC को लेकर मुस्लिम धर्मगुरुओं ने दी प्रतिक्रियाएं
NRC को लेकर मुस्लिम धर्मगुरुओं की प्रतिक्रियाएं भी देखने को मिल रही हैं. यूपी के मऊ में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने रांची से आए शिया समुदाय के मौलाना तहजीबुल उल हसन रिजवी ने कहा कि हम एनआरसी का स्वागत करते हैं. लेकिन गृह मंत्री अमित शाह ने जो बयान दिया है कि एनआरसी से बौद्ध, जैन और सिख को डरने की जरूरत नहीं है यदि उनके पास कागजात नहीं होंगे तो भी उन्हें भारत का निवासी बनाया जाएगा.

उनके इस बयान से देश के मुस्लिम अल्पसंख्यकों में मायूसी छाई है. देश में हिंदू मुस्लिम और सभी धर्मों के लोग भारतीय हैं. विदेशी मूल के जो लोग दहशतगर्द हैं उन्हें हटाना चाहिए. हम प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से अपील करते हैं कि भेदभाव बंद करें. एनआरसी यदि राजनीति के मकसद से लागू की जा रही है तो यह ठीक नहीं है. भाजपा को मुसलमान भी वोट देते हैं.

पश्चिम बंगाल में एनआरसी लागू होना तय: अमित शाह
कोलकाता में मंगलवार को एनआरसी पर एक जनजागरण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा था कि पश्चिम बंगाल में एनआरसी लागू होना तय है. लेकिन उससे पहले सरकार नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के जरिए हिंदू, सिख, जैन, ईसाई और बौद्ध शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दे देगी. शाह ने कहा था, "किसी भी हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध शरणार्थी को देश से बाहर नहीं जाने दिया जाएगा. इसके साथ ही किसी भी घुसपैठिए को भारत में रहने नहीं दिया जाएगा.

इसे भी पढ़ें- असम NRC में शामिल किए जाएं 56 हजार कोच राजबंशी, न करने पर होगा आंदोलन : AKRSU

NRC राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी
एनआरसी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है और इसे हर हाल में लागू किया जाएगा. अमित शाह ने ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस पर एनआरसी को लेकर लोगों को गुमराह करने का आरोप भी लगाया था. उन्होंने कहा था कि बंगाल में एनआरसी को जरूर लागू किया जाएगा. लेकिन उससे पहले नागरिकता (संशोधन) बिल को पारित कर सभी हिंदू, जैन, सिख और बौद्ध शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दे दी जाएगी.

सीपीएम और कांग्रेस ने गृहमंत्री अमित शाह के बयान का किया विरोध
पश्चिम बंगाल के विपक्षी राजनीतिक दलों सीपीएम और कांग्रेस ने भी अमित शाह के बयान का विरोध किया है. गृहमंत्री की तरफ से एनआरसी पर दिए गए इस बयान के कुछ देर बाद ही सीएम ममता बनर्जी ने एक पूजा पंडाल के उद्घाटन के दौरान कहा था कि 'हमारे राज्य में सबका स्वागत है. लोग यहां आकर दुर्गापूजा का आनंद उठा सकते हैं. लेकिन त्योहार के मौके पर विभाजन की राजनीति का सहारा न लें. धार्मिक आधार पर लोगों में विभाजन और मतभेद पैदा नहीं करना चाहिए'.

यूपी में 10 लाख से ज्यादा अवैध बांग्लादेशियों के होने की आशंका
बता दें कि उत्तर प्रदेश में 10 लाख से ज्यादा अवैध बांग्लादेशियों के होने की आशंका है. खुफिया विभाग और पुलिस प्रशासन पहले भी इसमें सर्वे करा चुका है, जिसमें सबसे ज्यादा अवैध बांग्लादेशी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ, सहारनपुर और बुलंदशहर जिलों में रह रहे हैं. ऐसे में पुलिस ने जिलों के बाहरी छोर पर स्थित रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, रोड के किनारे व उसके आसपास नई बस्तियों की पहचान शुरू कर दी है, जहां बांग्लादेशी व अन्य विदेशी नागरिक अवैध रूप से शरण लेते हैं.

मऊ: असम में लागू हुई एनआरसी के बाद देश भर में एनआरसी पर चर्चाएं चल रही है. वहीं उत्तर प्रदेश में भी एनआरसी लागू करने पर बहस शुरू हो गई है. सीएम योगी द्वारा असम की तरह यूपी में भी एनआरसी को लागू करने की मंशा जताने की बात कहते ही यूपी पुलिस ने भी कवायद शुरू कर दी है.

एनआरसी के मुद्दे पर शिया धर्मगुरु ने दी प्रतिक्रिया.

यूपी पुलिस ने सभी जिलों में रह रहे अवैध बांग्लादेशियों को चिन्हित करने का फैसला किया है. हालांकि यूपी के प्रमुख सचिव गृह अवनीश अवस्‍थी ने शनिवार को वाराणसी में साफ किया कि सूबे में अभी एनआरसी यानी राष्‍ट्रीय नागरिक रजिस्‍टर लागू नहीं किया गया है.

NRC को लेकर मुस्लिम धर्मगुरुओं ने दी प्रतिक्रियाएं
NRC को लेकर मुस्लिम धर्मगुरुओं की प्रतिक्रियाएं भी देखने को मिल रही हैं. यूपी के मऊ में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने रांची से आए शिया समुदाय के मौलाना तहजीबुल उल हसन रिजवी ने कहा कि हम एनआरसी का स्वागत करते हैं. लेकिन गृह मंत्री अमित शाह ने जो बयान दिया है कि एनआरसी से बौद्ध, जैन और सिख को डरने की जरूरत नहीं है यदि उनके पास कागजात नहीं होंगे तो भी उन्हें भारत का निवासी बनाया जाएगा.

उनके इस बयान से देश के मुस्लिम अल्पसंख्यकों में मायूसी छाई है. देश में हिंदू मुस्लिम और सभी धर्मों के लोग भारतीय हैं. विदेशी मूल के जो लोग दहशतगर्द हैं उन्हें हटाना चाहिए. हम प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से अपील करते हैं कि भेदभाव बंद करें. एनआरसी यदि राजनीति के मकसद से लागू की जा रही है तो यह ठीक नहीं है. भाजपा को मुसलमान भी वोट देते हैं.

पश्चिम बंगाल में एनआरसी लागू होना तय: अमित शाह
कोलकाता में मंगलवार को एनआरसी पर एक जनजागरण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा था कि पश्चिम बंगाल में एनआरसी लागू होना तय है. लेकिन उससे पहले सरकार नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के जरिए हिंदू, सिख, जैन, ईसाई और बौद्ध शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दे देगी. शाह ने कहा था, "किसी भी हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध शरणार्थी को देश से बाहर नहीं जाने दिया जाएगा. इसके साथ ही किसी भी घुसपैठिए को भारत में रहने नहीं दिया जाएगा.

इसे भी पढ़ें- असम NRC में शामिल किए जाएं 56 हजार कोच राजबंशी, न करने पर होगा आंदोलन : AKRSU

NRC राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी
एनआरसी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है और इसे हर हाल में लागू किया जाएगा. अमित शाह ने ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस पर एनआरसी को लेकर लोगों को गुमराह करने का आरोप भी लगाया था. उन्होंने कहा था कि बंगाल में एनआरसी को जरूर लागू किया जाएगा. लेकिन उससे पहले नागरिकता (संशोधन) बिल को पारित कर सभी हिंदू, जैन, सिख और बौद्ध शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दे दी जाएगी.

सीपीएम और कांग्रेस ने गृहमंत्री अमित शाह के बयान का किया विरोध
पश्चिम बंगाल के विपक्षी राजनीतिक दलों सीपीएम और कांग्रेस ने भी अमित शाह के बयान का विरोध किया है. गृहमंत्री की तरफ से एनआरसी पर दिए गए इस बयान के कुछ देर बाद ही सीएम ममता बनर्जी ने एक पूजा पंडाल के उद्घाटन के दौरान कहा था कि 'हमारे राज्य में सबका स्वागत है. लोग यहां आकर दुर्गापूजा का आनंद उठा सकते हैं. लेकिन त्योहार के मौके पर विभाजन की राजनीति का सहारा न लें. धार्मिक आधार पर लोगों में विभाजन और मतभेद पैदा नहीं करना चाहिए'.

यूपी में 10 लाख से ज्यादा अवैध बांग्लादेशियों के होने की आशंका
बता दें कि उत्तर प्रदेश में 10 लाख से ज्यादा अवैध बांग्लादेशियों के होने की आशंका है. खुफिया विभाग और पुलिस प्रशासन पहले भी इसमें सर्वे करा चुका है, जिसमें सबसे ज्यादा अवैध बांग्लादेशी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ, सहारनपुर और बुलंदशहर जिलों में रह रहे हैं. ऐसे में पुलिस ने जिलों के बाहरी छोर पर स्थित रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, रोड के किनारे व उसके आसपास नई बस्तियों की पहचान शुरू कर दी है, जहां बांग्लादेशी व अन्य विदेशी नागरिक अवैध रूप से शरण लेते हैं.

Intro:मऊ। आसाम में लागू हुई एनआरसीसी के बाद देशभर में एनआरसी पर चर्चाएं चल रही है. वहीं उत्तर प्रदेश में भी एनआरसी लागू करने पर बहस शुरू हो गई है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा असम की तरह यूपी में भी एनआरसी को लागू करने की मंशा जताने की बात कहते ही यूपी पुलिस ने अपनी कवायद शुरू कर दी है. यूपी पुलिस ने सभी जिलों में रह रहे अवैध बांग्लादेशियों को चिन्हित करने का फैसला किया है. हालांकि उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव गृह अवनीश अवस्‍थी ने शनिवार को वाराणसी में साफ किया कि सूबे में अभी एनआरसी यानी राष्‍ट्रीय नागरिक रजिस्‍टर लागू नहीं किया गया है. डीजीपी ने विदेशियों की जांच कर नियमानुसार कार्रवाई करने को कहा है.

एनआरसी को लेकर मुस्लिम धर्मगुरुओं की प्रतिक्रियाएं भी देखने को मिल रही हैं. यूपी के जनपद मऊ में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने रांची से आए शिया समुदाय के मौलाना तहजीबुल हसन रिज़वी ने कहा कि हम एनआरसी का स्वागत करते हैं. लेकिन गृह मंत्री अमित शाह ने जो बयान दिया है कि एनआरसी से बौद्ध, जैन और सिख को डरने की जरूरत नहीं है यदि उनके पास कागजात नहीं होंगे तो भी उन्हें भारत का निवासी बनाया जाएगा. उनके इस बयान से देश के मुस्लिम अल्पसंख्यकों में मायूसी छाई है. देश में हिंदू मुस्लिम और सभी धर्मों के लोग भारतीय हैं. विदेशी मूल के जो लोग दहशतगर्द हैं उन्हें हटाना चाहिए. हम प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से अपील करते हैं कि भेदभाव बंद करें. एनआरसी यदि राजनीति के मकसद से लागू की जा रही है तो यह ठीक नहीं है. भाजपा को मुसलमान भी वोट देते हैं.

Body:गौरतलब है कि कोलकाता में मंगलवार को एनआरसी पर एक जनजागरण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा था कि पश्चिम बंगाल में एनआरसी लागू होना तय है. लेकिन उससे पहले सरकार नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के ज़रिए हिंदू, सिख, जैन, ईसाई और बौद्ध शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दे देगी. शाह ने कहा था, "किसी भी हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध शरणार्थी को देश से बाहर नहीं जाने दिया जाएगा. इसके साथ ही किसी भी घुसपैठिए को भारत में रहने नहीं दिया जाएगा. एनआरसी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बेहद ज़रूरी है और इसे हर हाल में लागू किया जाएगा." अमित शाह ने ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस पर एनआरसी को लेकर लोगों को गुमराह करने का आरोप भी लगाया था. उन्होंने कहा था कि बंगाल में एनआरसी को ज़रूर लागू किया जाएगा. लेकिन उससे पहले नागरिकता (संशोधन) बिल को पारित कर सभी हिंदू, जैन, सिख और बौद्ध शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दे दी जाएगी.

पश्चिम बंगाल के विपक्षी राजनीतिक दलों सीपीएम और कांग्रेस ने भी अमित शाह के बयान का विरोध किया है. गृहमंत्री की तरफ़ से एनआरसी पर दिए गए इस बयान के कुछ देर बाद ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक पूजा पंडाल के उद्घाटन के दौरान कहा था, "हमारे राज्य में सबका स्वागत है. लोग यहां आकर दुर्गापूजा का आनंद उठा सकते हैं. लेकिन त्योहार के मौक़े पर विभाजन की राजनीति का सहारा ना लें. धार्मिक आधार पर लोगों में विभाजन और मतभेद पैदा नहीं करना चाहिए."

बता दें कि उत्तर प्रदेश में 10 लाख से ज्यादा अवैध बांग्लादेशियों के होने की आशंका है. खुफिया विभाग और पुलिस प्रशासन पहले भी इसमें सर्वे करा चुका है, जिसमें सबसे ज्यादा अवैध बांग्लादेशी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ, सहारनपुर और बुलंदशहर जिलों में रह रहे हैं. ऐसे में पुलिस ने जिलों के बाहरी छोर पर स्थित रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, रोड के किनारे व उसके आसपास नई बस्तियों की पहचान शुरू कर दी है जहां बांग्लादेशी व अन्य विदेशी नागरिक अवैध रूप से शरण लेते हैं.

बाईट- मौलाना तहजीबुल हसन रिज़वी (शिया, मौलाना)Conclusion:
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