मऊ: सरकार विकास के लिए तमाम योजनाएं चला रही है, लेकिन आज भी वास्तविक पात्र इन योजनाओं से अछूते हैं. ऐसा ही एक परिवार मऊ जिले के रकौली गांव में है, जिसके पास रहने के लिए छत तक नहीं है. बारिश के मौसम में परेशान इस परिवार पर गांव के सरकारी स्कूल के प्रधानाचार्य की नजर पड़ी और वे मदद के लिए आगे आए. प्रधानाचार्य ने परिवार की मदद की और बारिश से बचाव के लिए व्यवस्था करा रहे हैं.
प्राथमिक विद्यालय रकौली के प्रधानाचार्य सतीश सिंह एमडीएम के लिए छात्रों के घर-घर जाकर जानकारी एकत्रित कर रहे थे. वे जब कक्षा चार के छात्र प्रमोद के घर पहुंचे तो यहां की हालात देखकर परेशान हो गए. तीन दिनों से लगातार रुक-रुक कर बारिश होने से इनके घर में बैठेने तक की जगह नहीं थी. चारों तरफ पानी ही पानी था. घर की हालत देखकर प्रधानाचार्य सतीश सिंह ने प्रधान को इस मामले की जानकारी दी और मदद करने के लिए कहा. प्रधान ने इस मामले में जवाब दिया कि कागजी प्रक्रिया होने में 6 महीने लग जाएंगे.
प्रधानाचार्य ने की परिवार की मदद
कोई हल न निकलने पर सतीश सिंह ने अपने खर्च से प्रमोद के घर पर शेड लगवाने का निर्णय लिया है. सतीश सिंह ने बताया कि जब वे प्रमोद के घर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि उसकी मां दिव्यांग है. बारिश में पूरा परिवार भीग रहा था. जरूरी सामान झोपड़ी में रखा था, वहीं कुछ सामान खुले में भीग रहा था. तत्काल राहत के लिए पड़ोस के लोगों से मिलकर इनके घर पर शेड लगवाया जा रहा है.
बारिश में पड़ोसी के यहां लेनी पड़ती थी पनाह
पड़ोस के रहने वाले भूपेंद्रनाथ सिंह ने बताया कि इनके पास न तो खेती के लिए जमीन है न ही रहने के लिए घर. बारिश होने पर परिवार भूपेंद्रनाथ के घर रहता है. प्रधान से कई बार कहा गया, लेकिन कोई मदद नहीं मिली. सुदामा के पड़ोसी भूपेंद्रनाथ सिंह ने दो कमरों की दीवारें खड़ी कराईं, लेकिन छत नहीं बन सकी. अब स्कूल के प्रधानाचार्य छत पर शेड रखवा रहे हैं.
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नहीं मिला सरकारी योजनाओं का लाभ
प्रमोद के पिता सुदामा और उसकी मां सुशीला दिव्यांग हैं. सुदामा तो चलने में समर्थ हैं, लेकिन सुशीला बिल्कुल भी नहीं चल पाती है. परिवार को किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. यहां तक कि परिवार के पास ऑनलाइन राशन कार्ड नहीं बना है. सुदामा ने बताया कि किसी तरह से मेहनत-मजदूरी और लोगों से मांगकर परिवार का पेट भरते हैं.